पाठकों को आमंत्रण
जन संसद की राय है कि भारतीय रेलवे में व्यवस्थागत सुधार आवश्यक हैं, खासकर त्योहारों और धार्मिक पर्वों के दौरान भीड़ प्रबंधन के संदर्भ में। यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासनिक उपायों और वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना जरूरी है।
भीड़ प्रबंधन सुधारें
भारतीय रेलवे में प्रणालीगत सुधार की आवश्यकता है, खासकर त्योहारों और धार्मिक पर्वों के दौरान भीड़ प्रबंधन में। रेलवे को टिकट वितरण और नई रेलगाड़ियों के संचालन में संवेदनशील प्रशासन की जरूरत है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सीमित संख्या में टिकट जारी की जानी चाहिए। रेलगाड़ियों के समय में बदलाव और स्थगन पर वैकल्पिक व्यवस्था की आवश्यकता है। यात्रियों को भी अनुशासन बनाए रखते हुए अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए। प्रशासनिक अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए और वैज्ञानिक भीड़ प्रबंधन अपनाना चाहिए।
जेबी भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
तंत्र की नाकामी
नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ ने सरकारी तंत्र की नाकामी को उजागर किया। इस हादसे के बाद सरकार और रेलवे भीड़ प्रबंधन पर बड़ी बातें करने लगे, लेकिन यह मुद्दा मीडिया की सुर्खियों तक ही सीमित रहता है। त्योहारों और धार्मिक स्थलों की ओर जाने वाली ट्रेनों में एडवांस बुकिंग होती है, जिससे जनरल डिब्बों में भीड़ बढ़ जाती है। आने वाले वर्षों में बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए सरकार को ट्रेनों की संख्या और पटरियों का विस्तार करने की जरूरत है, ताकि यात्रा सुरक्षित और सुविधाजनक हो सके।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
नीतिगत बदलाव से सुरक्षा
रेलवे स्टेशनों पर प्लेटफार्म की संख्या में वृद्धि न होने के बावजूद रेलगाड़ियों और यात्रियों की संख्या बढ़ रही है, जिससे हादसों का खतरा बढ़ता है। विशेष रूप से तीर्थ स्थलों पर और त्योहारों के दौरान यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ जाती है, जिसके लिए अतिसतर्कता आवश्यक है। गाड़ियों के प्लेटफार्म परिवर्तन, टिकटों की अधिक बिक्री और गाड़ियों के विलंब से भीड़ बढ़ती है। समय की प्रतिबद्धता, सतर्कता, अनुशासन और पूर्वनिर्धारित समयसारणी का पालन करके हादसों को रोका जा सकता है।
अनूप कुमार गक्खड़, हरिद्वार
जिम्मेदारी तय हो
रेलवे हादसों की घटनाएं निरंतर बढ़ रही हैं, लेकिन हम कोई सबक नहीं लेते। मृतकों और घायलों को मुआवजा देकर तथा जांच समिति गठित कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर ली जाती है। हाल ही में दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए बड़े हादसे के दौरान रेलवे ने श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए पुख्ता इंतजाम क्यों नहीं किए? क्यों ज्यादा टिकट बांटे गए? रेल मंत्री को अपनी नैतिक जिम्मेदारी निभाते हुए इस्तीफा देना चाहिए। मानवीय त्रासदी रोकने के लिए अधिकारियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए।
सत्यप्रकाश गुप्ता, बलेवा, रेवाड़ी
आवश्यक सुधार जरूरी
भारत में रेलवे एक सस्ता और सुरक्षित यात्रा माध्यम है, लेकिन बढ़ती जनसंख्या और ट्रेनों की ज्यादा आवाजाही से स्टेशनों पर भीड़ बढ़ रही है, जो हादसों का कारण बन रही है। इन हादसों को रोकने के लिए प्लेटफॉर्म टिकट बंद किया जाना चाहिए और रेलवे स्टाफ को बुजुर्ग व अशक्त यात्रियों के लिए बैठने की व्यवस्था करनी चाहिए। एंट्री और एग्जिट प्वाइंट पर गेट होना चाहिए, यात्रियों को ट्रेन छूटने से आधा घंटा पहले प्लेटफॉर्म पर पहुंचने का निर्देश दिया जाना चाहिए और चैकिंग गश्त बढ़ानी चाहिए।
भगवानदास छारिया, इंदौर, म.प्र.
पुरस्कृत पत्र
नई तकनीक मददगार
रेलवे स्टेशनों पर हादसे लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर सुरक्षा संकट हैं। इन्हें रोकने के लिए ठोस कदम उठाने जरूरी हैं। आधुनिक स्वचालित सिग्नलिंग से मानवीय त्रुटियां कम होंगी और ट्रेनों की नियमित जांच व बेहतर रखरखाव से तकनीकी कमियां दूर होंगी। रेलवे क्रॉसिंग पर मजबूत अवरोधक और चेतावनी संकेत अनिवार्य हैं। स्टाफ को उन्नत प्रशिक्षण देकर आपातकाल के लिए तैयार करना चाहिए। यात्रियों में जागरूकता बढ़ाने और भीड़ प्रबंधन के लिए अतिरिक्त कर्मचारी तैनात किए जाने से सुरक्षा बेहतर हो सकती है।
आरके जैन ‘अरिजीत’, बड़वानी, म.प्र.