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पाठकों के पत्र

04:00 AM Jun 20, 2025 IST
पाठकों के पत्र
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कठोर कार्रवाई हो
आतंकवाद न किसी धर्म का होता है, न विचारधारा का; यह केवल विनाश लाता है और उसकी कीमत निर्दोष लोगों को चुकानी पड़ती है। एफएटीएफ जैसे वैश्विक संगठनों को पाकिस्तान जैसे देशों पर अब चेतावनी नहीं, सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। आतंकी संगठनों को मिलने वाली आर्थिक मदद ही उनकी ताकत बनती है। पुलवामा, उरी, कारगिल और हालिया पहलगाम हमले में जो मां-बाप अपने बच्चों को खो चुके हैं, उनके दर्द की कल्पना भी असंभव है। अब निर्णायक कदम जरूरी हैं।
स्मृति सेन, शूलिनी विवि, सोलन

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बेटियों की उड़ान
आज ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियां खेल जगत में नई पहचान बना रही हैं। कभी जिन गांवों में खेल सिर्फ पुरुषों तक सीमित थे, वहां अब बेटियां राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सफल हो रही हैं। संसाधनों की कमी, सामाजिक बंदिशें और पारिवारिक रोकटोक के बावजूद उन्होंने मेहनत, आत्मविश्वास और संघर्ष से अपनी राह बनाई है। उनकी सफलता में माता-पिता का समर्थन और सरकारी योजनाओं की अहम भूमिका रही है।
तन्नू, चौ़ देवी लाल विवि, सिरसा

युद्ध गंभीर खतरा
इस्राइल और ईरान के बीच संभावित युद्ध विश्व शांति के लिए गंभीर खतरा है। बढ़ते तनाव से पश्चिम एशिया में भयंकर युद्ध हो सकता है, जिसका असर पूरा विश्व झेलेगा। यूक्रेन-रूस और इस्राइल-फलस्तीन संघर्षों के बीच, विश्व समुदाय को युद्ध रोकने के लिए सक्रिय प्रयास करने चाहिए। शांति बनाने के लिए वैश्विक दबाव बहुत जरूरी है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली

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श्रमिकों का शोषण
कर्नाटक सरकार काम के घंटे 10 से 12 करने की योजना बना रही है, जो श्रमिकों पर सीधा प्रहार है। इससे शारीरिक-मानसिक तनाव बढ़ेगा और पारिवारिक जीवन प्रभावित होगा। आर्थिक विकास श्रमिकों के शोषण से नहीं होना चाहिए। सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए जो श्रमिकों को सम्मानजनक जीवन दें, नहीं तो सामाजिक असंतोष बढ़ सकता है।
आरके जैन, बड़वानी, म.प्र.

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