पाठकों के पत्र
रक्षा व विकास का पुल
जम्मू-कश्मीर में बने दुनिया के सबसे ऊंचे चिनाब रेल ब्रिज का उद्घाटन 272 किमी लंबे ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल प्रोजेक्ट का अहम हिस्सा है। यह प्रोजेक्ट अंतर्राष्ट्रीय सीमा तक भारतीय सेना के पहुंचने के समय को पांच गुना घटा देगा। अभी तक सैनिकों और साजो-सामान को पहुंचने में लगभग 16 घंटे लगते थे, लेकिन चिनाब ब्रिज बनने के बाद यह समय घटकर 3 घंटे रह जाएगा। किसी भी युद्ध की स्थिति में यह ब्रिज सैनिकों की तैनाती के लिए वरदान साबित होगा। इस पुल के बनने से बेहतर कनेक्टिविटी होगी, जिससे पर्यटन और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।
सिमरन कम्बोज़, चौ. देवी लाल विवि, सिरसा
दुखदाई घटना
दस जून के सम्पादकीय ‘बेवफाई के सनम’ में इंदौर के एक शादीशुदा जोड़े का हनीमून पर जाना और युवक की हत्या होने के बारे में लिखा गया। शादी के बाद युगल में से किसी एक का दूसरे के द्वारा कत्ल अत्यंत दुखदाई है। यह सब जबरदस्ती की शादियों का नतीजा है। अब वक्त आ गया है कि माता-पिता को समाज, रूढ़िवादी सोच और संकीर्ण मानसिकता से निकल अपने बच्चों की पसंद को अपनाना चाहिए। लेकिन हत्या करना किसी समस्या का हल नहीं है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
सौहार्द का संकल्प
पांच जून के दैनिक ट्रिब्यून में दीपक कुमार शर्मा का लेख ‘प्रकृति के संरक्षण की भावनात्मक मुहिम’ पर्यावरण संरक्षण पर बल देता है। विकास की अंधी दौड़ ने पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाई है। प्रदूषण से स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है। ‘एक वृक्ष मां के नाम’ अभियान सराहनीय है। पेड़ लगाना, जल, वायु व पर्वतों की रक्षा आवश्यक है। युद्ध रोकना भी पर्यावरण सुरक्षा का मार्ग है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल