पाठकों के पत्र
भाषा पर राजनीति
चौबीस मई के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘पुल बने भाषा’ नई शिक्षा नीति 2020 के तहत भाषाई मतभेदों पर आधारित था। दक्षिण भारत में हिंदी को थोपे जाने की आशंका जताई जाती है, जबकि वहां स्थानीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जाती है। भाषाई विविधता भारत की सांस्कृतिक सुंदरता का प्रतीक है। परंतु जब किसी कर्मचारी का स्थानांतरण होता है, तो स्थानीय भाषा न जानना समस्या बनता है। ऐसे में भाषा को राजनीति का औजार न बनाकर, हिंदी व अन्य भाषाओं को आपस में जोड़ने वाले पुल के रूप में देखा जाना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
जीवटता के प्रतीक
चौबीस मई के दैनिक ट्रिब्यून में हेमंत पाल का लेख ‘पांच दशक बाद भी नहीं दरकी है दीवार’ अमिताभ बच्चन की सशक्त अभिनय यात्रा का जीवंत चित्रण है। सात हिंदुस्तानी से शुरुआत कर दीवार में एंग्री यंग मैन के रूप में उन्होंने युवाओं की भावनाएं व्यक्त कीं। विजय जैसे किरदारों से अन्याय और शोषण के विरुद्ध स्वर उठाया। शोले, सिलसिला, कभी खुशी कभी ग़म जैसी सौ से अधिक फिल्मों में अमिट छाप छोड़ी। 83 वर्ष की आयु में भी वे कौन बनेगा करोड़पति से सक्रिय हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक
योग के संयोग
आज हर परिवार में कोई न कोई सदस्य बीमारी की चपेट में रहता है, जिससे आर्थिक और मानसिक परेशानियां बढ़ जाती हैं। वहीं योग हमारे जीवन के लिए अनमोल है और शरीर को स्वस्थ रखने का सबसे सस्ता और प्रभावी साधन भी। 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है, जिसमें पूरे विश्व में योग के महत्व को समझाया जाता है। प्रधानमंत्री का विजन है कि हमारा देश विकसित बने, जिसमें योग की भूमिका अहम है। हमें सबको मिलकर योग अपनाना है, स्वस्थ रहना है और देश की प्रगति में योगदान देना है।
राहुल शर्मा, रसीना, कैथल