पाठकों के पत्र
जैव विविधता की रक्षा
बाईस मई को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता दिवस मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य प्रकृति और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाए रखना है। जैव विविधता का अर्थ है—जीव-जंतुओं और पेड़-पौधों में विविधता, जो एक-दूसरे पर निर्भर हैं। आधुनिकता की अंधी दौड़ ने इस संतुलन को बिगाड़ दिया है। हमें पर्यावरण संरक्षण के माध्यम से जैव विविधता को बचाना होगा।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सतर्कता जरूरी
इक्कीस मई के दैनिक ट्रिब्यून में ऋतुपर्ण दवे का लेख ‘कोरोना की दस्तक पर सजगता जरूरी’ जेएन-1 वेरिएंट के खतरे को लेकर जागरूक करता है। केरल, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में इसके ढाई से अधिक मामले मिले हैं। बुजुर्गों में एंटीबॉडी की कमी इसका प्रमुख कारण है। सरकार को पहले से चिकित्सा व सजगता के पुख्ता इंतज़ाम कर लेने चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
भीतर छिपे दुश्मन
बीस मई के ट्रिब्यून में प्रकाशित ‘भीतर के दुश्मन’ संपादकीय देश में छिपे गद्दारों पर तीखा प्रहार है। तकनीक के सहारे देशविरोधी गतिविधियां अब सरल हो गई हैं। यूट्यूब की आड़ में देश की गुप्त जानकारियां लीक करना गंभीर अपराध है। ऐसे देशद्रोहियों को कड़ा दंड मिलना चाहिए क्योंकि राष्ट्र की एकता और संप्रभुता सर्वोपरि है।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
जीवन अस्त-व्यस्त
बेंगलुरु में बारिश ने जीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जल मग्न सड़कें, पानी में डूबी कारें, ट्रैफिक जाम, घरों के अंदर पानी, करंट लगने से लोगों की मौत और कई जगह दीवारें तक टूट गई। सरकार को इन समस्याओं से बचने के लिए जल निकासी के पर्याप्त इंतजाम करने चाहिए ताकि लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े। बारिश में सबसे ज्यादा दिक्कत आफिस जाने वालों और विद्यार्थियों को होती है, जिसका हल निकालना अति आवश्यक है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली