पाठकों के पत्र
आपत्ति जताना दुर्भाग्यपूर्ण
भारत सरकार द्वारा आतंकवाद के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने हेतु विभिन्न देशों में डेलिगेशन भेजना एक सराहनीय कदम है। इसमें सभी दलों के नेताओं को शामिल करना सरकार की लोकतांत्रिक सोच को दर्शाता है। शशि थरूर जैसे अनुभवी नेता को डेलिगेशन में शामिल करना एक अच्छा रणनीतिक निर्णय था। कांग्रेस द्वारा इस पर आपत्ति जताना दुर्भाग्यपूर्ण है और राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध प्रतीत होता है। ऐसे मुद्दों पर सभी दलों को राजनीति से ऊपर उठकर एकजुटता दिखानी चाहिए।
विभूति बुपक्या, खाचरौद, म.प्र.
दुश्मनों को सज़ा मिले
बीस मई के ट्रिब्यून में प्रकाशित ‘भीतर के दुश्मन’ संपादकीय देश के अंदर छिपे गद्दारों पर सटीक टिप्पणी है। जासूसी कोई नया काम नहीं, लेकिन आधुनिक तकनीक ने इसे बेहद आसान बना दिया है। यूट्यूब की आड़ में ज्योति मल्होत्रा द्वारा की गई देशविरोधी गतिविधियां गंभीर चिंता का विषय हैं। ऐसी गतिविधियां देश की सुरक्षा और संप्रभुता के लिए बड़ा खतरा हैं। गद्दार चाहे कहीं भी हों, उन्हें सख्त सजा मिलनी ही चाहिए।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.
आत्मनिर्भरता से जवाब
सत्रह मई के दैनिक ट्रिब्यून में पुष्परंजन का लेख ‘विकल्प और भी हैं...’ भारत की सशक्त कूटनीति को उजागर करता है। पाक हमलों के जवाब में भारत का कड़ा रुख सराहनीय है। तुर्किये और चीन की भूमिका चिंताजनक रही। तुर्किये से आयात बंद करना और उत्तर साइप्रस मुद्दे पर कड़ा रुख उचित कदम है। भारत को आत्मनिर्भरता से ही चीन और तुर्किये को करारा जवाब मिलेगा।
शाम लाल कौशल, रोहतक
विवादित बोल
मध्य प्रदेश के मंत्रियों द्वारा दिए गए विवादास्पद बयानों से देश में रोष है। कर्नल सोफिया कुरैशी पर अशोभनीय टिप्पणी को लेकर अनुचित बयान, उनकी संवैधानिक समझ पर सवाल खड़े करते हैं। पार्टी की चुप्पी दर्शाती है कि यह ध्यान भटकाने की सोची-समझी रणनीति हो सकती है।
धर्मवीर अरोड़ा, फरीदाबाद