पाठकों के पत्र
देशद्रोहियों का पर्दाफाश
बीस मई के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित ‘भीतर के दुश्मन’ संपादकीय अत्यंत महत्वपूर्ण है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की मदद करने वाले देशद्रोहियों का पर्दाफाश हुआ, जो भारतीय सैनिक गतिविधियों की सूचनाएं आईएसआई को भेजते थे। कुछ पैसों की लालच में यूट्यूबर ज्योति मल्होत्रा जैसे लोग भारत-विरोधी प्रचार में शामिल पाए गए। उसकी आईएसआई और पाकिस्तानी उच्चायोग से संपर्क की जानकारी भी सामने आई है। पकड़े गए गद्दारों की फांसी सज़ा होनी चाहिए। यह हमारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए भी एक चेतावनी है।
शामलाल कौशल, रोहतक
आतंकी देश को कर्ज
इन दिनों पाकिस्तान लगातार कर्ज लेकर अपनी डूबती अर्थव्यवस्था को संभालने की कोशिश कर रहा है, जो इमरान खान सरकार से लेकर अब शहबाज शरीफ सरकार तक जारी है। इसी बीच, उसके पाले हुए आतंकी संगठनों की हरकतों के चलते वह युद्ध की स्थिति में भी पहुंच गया है। आश्चर्य है कि ऐसी स्थिति में भी आईएमएफ ने उसे एक अरब डॉलर का कर्ज दे दिया। क्या यह पैसा युद्ध में इस्तेमाल नहीं हो सकता? क्या इससे वैश्विक मूल्यों का अपमान नहीं होता? ऐसे देश को बार-बार कर्ज देना अनुचित है।
मनमोहन राजावत, शाजापुर
आतंकवाद विरोधी दिवस
इक्कीस मई को राष्ट्रीय आतंकवाद विरोधी दिवस मनाया जाता है। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में बेगुनाह पर्यटकों की जानें गईं, जिससे पूरे देश में शोक और आक्रोश का माहौल है। यह घटना फिर याद दिलाती है कि आतंकवाद कितना निर्दयी और अमानवीय है। आज आतंकवाद वैश्विक संकट बन चुका है। भारत लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता की अपील करता रहा है। आतंकवाद को शह देने वाले देशों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर