पाठकों के पत्र
आतंकी के आंसू
दुनियाभर में घोषित आतंकवादी मसूद अजहर अपनों पर पड़ी चोट से फूट-फूट कर रो पड़ा। भारत सरकार के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद जब उसका परिवार उजड़ गया, उसके 14 नजदीकी मारे गए और आतंकवाद का उसका प्रशिक्षण केंद्र नष्ट हो गया। तब दुनिया ने उसे पहली बार रोते हुए देखा। वह कह रहा था—‘अच्छा होता कि मैं मर जाता।’ जिस मसूद अजहर को निर्दोषों की हत्या, पहलगाम में मासूमों के कत्लेआम जैसे कृत्य भी नहीं डिगा सके, वही आज अपनों की मौत पर बिलख रहा है। मसूद को तब तक जीवित रहना चाहिए, जब तक उसका एक-एक सपना, एक-एक ठिकाना और आतंकवाद की हर बुनियाद पूरी तरह से समाप्त न हो जाए।
लक्ष्मीकांता चावला, अमृतसर
सस्ती दवा
छह मई के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय 'गरीब की दवा' में सस्ती जेनेरिक दवाइयों के प्रयोग से गरीबों पर महंगी एलोपैथिक दवाइयों का आर्थिक बोझ कम करने की आवश्यकता बताई गई है। एलोपैथिक दवाइयों की महंगाई के कारण गरीब मरीजों पर भारी आर्थिक बोझ पड़ता है। जेनेरिक दवाइयां सस्ती होते हुए भी उतनी ही असरदार हैं। सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से जेनेरिक दवाइयां लिखने का आग्रह किया है, जिससे गरीबों को राहत मिलेगी। अब जरूरत है कि देश में इनके प्रति जागरूकता बढ़ाई जाए ताकि अधिक से अधिक लोग इनका लाभ उठा सकें।
शामलाल कौशल, रोहतक
निर्णायक कदम
सात मई के संपादकीय लेख ‘युद्ध के कगार पर’ को पढ़ने का अवसर मिला, जिसमें लेखक ने पहलगाम की आतंकी घटना, उसके बाद देश-विदेशों में उपजे जनाक्रोश तथा संयुक्त राष्ट्र द्वारा व्यक्त की गई अंतरराष्ट्रीय चिंता का सटीक विश्लेषण प्रस्तुत किया है। नि:संदेह, युद्ध की विभीषिका किसी भी देश के लिए विनाशकारी होती है। इसी कारण प्रधानमंत्री ने समयोचित ढंग से कार्रवाई की योजना बनाई, जिसका परिणाम ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रूप में सामने आया।
एमएल शर्मा, कुरुक्षेत्र
दीर्घकालिक हित देखें
सात मई के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय 'युद्ध के कगार पर' में सही मुद्दे उठाए हैं। आम धारणा है कि युद्ध किसी समस्या का हल नहीं है और आपसी बातचीत से समस्या को सुलझाना दोनों देशों के हित में है। लेकिन राष्ट्रीय अस्मिता से कोई समझौता नहीं हो सकता। इस में कोई शक नहीं कि 22 अप्रैल को जो कुछ पहलगाम में हुआ, उस से पूरा देश आहत है, किंतु पूर्ण युद्ध होने की स्थिति में मंजर दोनों मुल्कों के हित में नहीं होगा। संक्षिप्त भारतीय कार्रवाई के बाद दोनों देशों को मिल-बैठकर समस्या का निराकरण करना चाहिए।
डीवी अरोड़ा, फरीदाबाद
आत्मरक्षा समय की मांग
गत दिनों पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत-पाक युद्ध की आशंका बढ़ गई है। ऐसी स्थिति में हर नागरिक को आत्मरक्षा और आपदा प्रबंधन की जानकारी होनी चाहिए। यह प्रशिक्षण स्कूल स्तर से शुरू होना चाहिए। सरकार द्वारा मॉक ड्रिल कराना सराहनीय कदम है, परंतु जन जागरूकता और तैयारी भी उतनी ही आवश्यक है।
राहुल शर्मा, रसीना, कैथल
एकता सद्भाव की जीत
बाईस अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भारत में धार्मिक दंगे भड़काने की गहरी साजिश थी। देशवासियों ने संयम और एकता का परिचय देते हुए आतंकियों के मंसूबों को विफल कर दिया। सभी समुदायों और राजनीतिक दलों ने एकजुटता दिखाई। यह परिपक्वता और भाईचारा हमें भविष्य में भी बनाए रखना चाहिए।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली