पाठकों के पत्र
समानता की राह
दैनिक ट्रिब्यून में 6 मई के संपादकीय पृष्ठ पर डॉ. रामजीलाल के लेख ‘समता न्याय आधारित विकल्प के समक्ष चुनौतियां’ से डॉ. भीमराव अंबेडकर के विचारों की स्पष्टता मिलती है। उनका लक्ष्य समतावादी समाज की स्थापना था, जिसमें समानता, स्वतंत्रता, और सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक न्याय हो। अम्बेडकरवाद जातिवाद, अस्पृश्यता, और वंचित वर्गों के सशक्तीकरण पर जोर देता है। यह विविधता में एकता के सिद्धांत का समर्थन करता है, जो भारत के सामाजिक सद्भाव को बनाए रखता है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
अंबेडकर के विचार
छह मई के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. रामजीलाल का लेख ‘समता व न्याय आधारित विकल्प के समक्ष चुनौतियां’ में डॉ. आंबेडकर के विचारों को वर्तमान संदर्भ में प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया है। जब तक समाज में दलित-शोषित वर्ग रहेगा, तब तक उनके विचार प्रासंगिक रहेंगे। आज डॉ. अंबेडकर के विचारों को मानने तक सीमित नहीं बल्कि विचारों को अपनाने की आवश्यकता है।
डॉ. ममता कुमारी, करनाल
सटीक सैन्य कार्रवाई
भारत की सेना ने आतंकी ठिकानों पर सटीक सैन्य कार्रवाई कर पाकिस्तान को सख्त संदेश दिया है। यह कदम भारत की शांति-प्रिय नीति के अनुरूप है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति को स्थिति से अवगत कराया। बसपा सहित विपक्ष ने सरकार के कदम का समर्थन किया और इसे सराहनीय बताया। देश एकजुट होकर इस कार्रवाई के साथ खड़ा है।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
विरोध की मर्यादा
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के विरोध के अजीब तरीके अपनाए हैं। हाल ही में ‘बिना सिर वाला’ पोस्टर प्रतीकात्मक विरोध था, परंतु यह कट्टरपंथी नारों की याद दिलाने लगता है, जिससे असली मुद्दा छूट सकता है। विरोध का तरीका मर्यादित और सोच-समझकर चुना जाना चाहिए, वरना यह स्वयं कांग्रेस को ही नुकसान पहुंचा सकता है।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.