पाठकों के पत्र
सख़्त रुख सही
भारत द्वारा पाकिस्तान के साथ हुए सिंधु जल समझौते को स्थगित करने का निर्णय समयानुकूल और सराहनीय है। वर्षों से हम दरियादिली दिखाते हुए पाकिस्तान को पानी देते आए हैं, जबकि वह आतंकवाद के माध्यम से हमारे देश को नुकसान पहुंचाता रहा है। पंजाब, हिमाचल और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों को स्वयं अधिक पानी की जरूरत होती है, फिर भी हमने संयम रखा। अब पहलगाम जैसी घटनाओं के बाद भारत को कड़ा रुख अपनाना चाहिए। जब तक पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतें नहीं रोकता, तब तक कोई बातचीत या सहयोग नहीं होना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
राजनीति या रणनीति
एक मई के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित ‘केंद्र का जातिगत गणना करने का फैसला’ चौंकाने वाला है। सरकार पहले इस मांग का विरोध करती रही, जिसे राहुल गांधी उठाते रहे हैं। अब अचानक जातीय गणना का ऐलान राजनीतिक रणनीति लगती है। संभवतः प्रधानमंत्री मोदी यह मुद्दा विपक्ष से छीनना चाहते हैं। यह कदम बिहार व उत्तर प्रदेश चुनावों को ध्यान में रखकर उठाया गया है। वहीं पहलगाम आतंकी हमले से ध्यान केंद्रित करने तथा सेना को उचित कार्रवाई करने के लिए समय देना चाहते हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
एकता का प्रमाण
तीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘समरस भारतीय समाज बनाने की उम्मीद’ प्रेरक है। पहलगाम त्रासदी के बाद पूरे देश में सभी धर्मों का एकजुट होना बताता है कि आतंकियों का फूट डालने का मंसूबा नाकाम रहा। विपक्ष का बिना शर्त समर्थन, जनता का सरकार पर विश्वास और घाटी में लौटते पर्यटक सामाजिक एकता और विश्वास का प्रमाण हैं।
शामलाल कौशल, रोहतक