पाठकों के पत्र
जिम्मेदारी निभाएं कश्मीरी
हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले में निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाया गया, जो मानवता पर कलंक है। पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को माफ नहीं किया जा सकता। आतंकियों के घाटी में छिपने से यह स्पष्ट है कि उन्हें स्थानीय मदद मिल रही है। सभी नागरिकों, विशेषकर स्थानीय कश्मीरियों को चाहिए कि वे देशभक्ति दिखाते हुए आतंकवाद का विरोध करें और संदिग्ध गतिविधियों की सूचना प्रशासन को दें। ऐसे तत्वों पर सख्त कार्रवाई आवश्यक है।
अंकित सोनी, मनावर, म.प्र.
देश की एकता के लिए
चौबीस अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में विश्वनाथ सचदेव का लेख ‘त्रिभाषा फॉर्मूले में विरोध हिंदी का क्यों?’ महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा करता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया गया था, लेकिन कुछ दक्षिणी राज्यों ने इसे ‘साम्राज्यवादी भाषा’ मानकर विरोध किया। हिंदी, अंग्रेजी और स्थानीय भाषाओं का त्रिभाषी फार्मूला सभी राज्यों को स्वीकार करना चाहिए ताकि देश की एकता बनी रहे।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
पाक की साजिश
पाक आतंकियों द्वारा पहलगाम में 26 पर्यटकों की हत्या देश में सांप्रदायिक तनाव भड़काने की साजिश थी। लेकिन देशवासियों ने एकजुटता और संयम दिखाकर इस नापाक मंसूबे को नाकाम किया। हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी को समझना होगा कि देश सर्वोपरि है। एकता और शांति से ही आतंकवाद और नफरत फैलाने वालों को मुंहतोड़ जवाब दिया जा सकता है।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
पाक ने पाप स्वीकारे
अठाईस अप्रैल के ‘दैनिक ट्रिब्यून’ में प्रकाशित संपादकीय ‘पाक ने पाप स्वीकारे’ में पाकिस्तान की आतंकी हरकतों पर सवाल उठाए गए हैं। पाकिस्तान आतंकवाद के समर्थन में लगातार संलिप्त है और अपनी भूमिका स्वीकारने में प्रपंच करता रहता है। भारत को अब भविष्य की चिंता छोड़कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
अमृतलाल मारू, इंदौर, म.प्र.