पाठकों के पत्र
दावों की सच्चाई
पहलगाम के बैसरन में सैलानियों पर आतंकी हमला दिल दहलाने वाला है, जो केंद्र सरकार के शांति के दावों की सच्चाई उजागर करता है। हर हमले के बाद बयानबाज़ी होती है, पर हालात जस के तस रहते हैं। धर्म पूछकर हत्या करना देश के सौहार्द को तोड़ने की साजिश है। जनता को संयम रखना चाहिए, लेकिन सरकार को अब सख़्त कदम उठाकर आतंकियों की कमर तोड़नी होगी, वरना न आमजन सुरक्षित रहेगा, न हमारे जवानों की कुर्बानी थमेगी।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
कठोर कार्रवाई हो
पहलगाम में पर्यटकों पर आतंकी हमले की खबर ने हर संवेदनशील व्यक्ति को झकझोर दिया। यह सवाल उठता है कि जब जम्मू-कश्मीर आतंकवाद के साये में है, तो सुरक्षा में लापरवाही क्यों? पाकिस्तान समर्थित कट्टरपंथियों की मानसिकता भारत विरोधी रही है, लेकिन भारत को आतंरिक सुरक्षा मजबूत कर आतंकवाद पर कठोर कार्रवाई करनी होगी। युद्ध समाधान नहीं, लेकिन आत्मरक्षा में कमजोरी भी उचित नहीं।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सतर्कता जरूरी
पंद्रह अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में दीपक कुमार शर्मा का लेख ‘सरकार व समाज मिलकर निकालें समाधान’ आवारा कुत्तों की बढ़ती आक्रामकता पर केंद्रित था। देश में हर साल रैबीज से 20,000 मौतें होती हैं। कांग्रेस सांसद कीर्ति चिदंबरम ने टास्क फोर्स बनाने का सुझाव दिया है। टीकाकरण और नसबंदी के उपाय जरूरी हैं। लोगों को सतर्क रहना चाहिए और अस्पतालों में मुफ्त टीके उपलब्ध होने चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
निंदनीय हमला
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों द्वारा पर्यटकों पर अंधाधुंध गोलियां बरसाना निंदनीय है। धर्म के नाम पर खून-खराबा न सिर्फ देश की एकता को तोड़ना बल्कि साम्प्रदायिकता फैलाना भी है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली