पाठकों के पत्र
बंगाल में बढ़ती हिंसा
वक्फ संशोधन कानून को लेकर पश्चिम बंगाल में हो रहे उपद्रव बेहद चिंताजनक हैं। निजी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाना अस्वीकार्य है। नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी ने स्थिति को और भी तनावपूर्ण बना दिया है। लोकतंत्र में शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार सभी को है, लेकिन हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए सभी को फैसले का शांतिपूर्वक इंतजार करना चाहिए। ममता बनर्जी को सख्त रुख अपनाना होगा ताकि शांति बनी रहे और राजनीति में कटुता न बढ़े।
हेमा हरि उपाध्याय, खाचरोद, उज्जैन
अभिभावकों को राहत
शिक्षा राष्ट्र निर्माण की नींव है, पर निजी स्कूलों की मनमानी फीस वृद्धि ने इसे व्यापार बना दिया था। शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत एक ड्राफ्ट तैयार किया है, जिससे फीस वृद्धि पर नियंत्रण होगा। अब स्कूलों को अपनी स्थिति, संसाधन, शिक्षक स्तर व शैक्षणिक गुणवत्ता के आधार पर ही सीमित रूप से फीस बढ़ाने की अनुमति होगी। आय-व्यय की पारदर्शिता अनिवार्य होगी। यह देशभर में एक समान प्रणाली लागू कर अभिभावकों को राहत देगा।
आरके जैन, बड़वानी, म.प्र.
बेरोजगारों के हित
हाल ही में हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाने को लेकर हलचल तेज़ हो गई है। वर्तमान में रिटायरमेंट आयु 58 वर्ष है। सुक्खू सरकार को इस मुद्दे पर संतुलित और दूरदर्शी निर्णय लेना चाहिए, ताकि बेरोजगार युवाओं की उम्मीदों को आघात न पहुंचे। हालांकि सभी को सरकारी जॉब मिलना संभव नहीं, क्योंकि सरकारी क्षेत्र में अवसरों की संख्या सीमित है। नौकरी के लिए उम्र की भी सीमा है। वहीं बेरोजगारी की समस्या बढ़ रही है। ऐसे में प्रदेश में रोजगार से संबंधित नीति बनाते समय युवाओं के हितों का ध्यान रखना आवश्यक है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर