पाठकों के पत्र
संस्कारों ने निखारा
बारह अप्रैल के दैनिक ट्रिब्यून में कृष्ण कुमार शर्मा का लेख ‘तरुण कुमार के दिए संस्कारों ने निखारा जया को’ पढ़ने को मिला। लेख में जया बच्चन को एक प्रतिभाशाली अदाकारा और सजग सांसद के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिनके व्यक्तित्व को उनके पिता तरुण कुमार के दिए गए संस्कारों ने विशेष दिशा प्रदान की। एक साधारण पारिवारिक पृष्ठभूमि से उठकर उन्होंने न केवल सिनेमा में बल्कि राजनीति में भी उल्लेखनीय पहचान बनाई। उनकी अभिनय क्षमता, सामाजिक चेतना और दृढ़ता उन्हें विशिष्ट बनाती है। गुड्डी से लेकर शोले तक और संसद के मंच तक उनका सफर प्रेरणादायक है। वे आज भी अपनी सादगी, गरिमा और स्पष्ट सोच के लिए जानी जाती हैं। उनका जीवन नई पीढ़ी के लिए एक आदर्श है।
शामलाल कौशल, रोहतक
कांग्रेस की रणनीति
राहुल गांधी द्वारा कांग्रेस संगठन में दलित, पिछड़े और आदिवासियों को 60 प्रतिशत भागीदारी देने की बात कर इन्हें सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम है। ‘पलायन रोको, नौकरी दो’ यात्रा के समापन पर उनकी नीति स्पष्ट दिखी। कांग्रेस अब इन वर्गों को संगठित कर रही है, जो कभी मंडल रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल चुकी थी। संगठन में भागीदारी बढ़ाना सराहनीय है, इसकी असली परीक्षा बिहार और बंगाल के चुनावों में होगी।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली
चिंताजनक स्थिति
वक्फ संशोधन बिल के खिलाफ पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा निन्दनीय है। लोगों के घरों में आग, महिलाओं से दुर्व्यवहार और पुरुषों को पीटे जाने की वजह से 500 से अधिक हिंदुओं ने पलायन कर लिया है। यह हिंसा साम्प्रदायिकता का ही उदाहरण है। फिलहाल बेकाबू स्थिति को काबू कर लोगों को सुरक्षित रखना सरकार की जिम्मेदारी है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली