पाठकों के पत्र
अनुचित वकालत
जिस औरंगजेब की क्रूरता की खून से सनी हुई कहानियां हिंदुस्तान के कोने-कोने में सुनने और पढ़ने को मिलती हैं, उस औरंगजेब का गुणगान करने वाले सपा नेता अबू आजमी के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। उस पर केस दर्ज करना या जेल में भेजना पर्याप्त नहीं है। सरकार को चाहिए कि अबू आजमी के साथ वैसा ही व्यवहार किया जाए, जैसा औरंगजेब अपने समय में भारतीयों के साथ करता था। सच तो यह है कि पंजाब में गुरु गोबिंद सिंह जी और महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के छक्के छुड़ाए। जिस व्यक्ति को औरंगजेब अच्छे लगते हैं, वह भारत का नागरिक होने के योग्य भी नहीं है।
लक्ष्मीकांता चावला, अमृतसर
जलवायु परिवर्तन का खतरा
दैनिक ट्रिब्यून में चार मार्च के सम्पादकीय पृष्ठ पर ज्ञानेंद्र रावत के लेख ‘बड़ी चुनौती है जलवायु परिवर्तन से निपटना’ में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन अब वैश्विक खतरा बन गया है। इसके कारणों में अत्यधिक जंगलों की कटाई, संसाधनों की अत्यधिक चाहत और प्रदूषण प्रमुख हैं। जलवायु परिवर्तन से मौसम, स्वास्थ्य और प्रकृति को नुकसान हो रहा है। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुतारेस के अनुसार, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती लक्ष्य से बाहर हैं। देशों का यह कर्तव्य है कि वे नागरिकों को जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभाव से बचाएं।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़
स्वास्थ्य ही धन
‘स्वास्थ्य ही धन है’ यह बात पर्व और त्योहारों के माध्यम से सार्थक होती है, जो हमारे शारीरिक और मानसिक कल्याण में सहायक होते हैं। इन दिनों के दौरान नियम, संयम, व्रत, उपवास, आहार-विहार, तीर्थाटन और दान जैसे कार्य करते हुए हम आत्मकल्याण प्राप्त कर सकते हैं। इससे हम स्वस्थ, चुस्त और दुरुस्त रहते हैं। इसलिए धर्म, पर्व और आध्यात्मिकता से जुड़कर ही जीवन को सशक्त बनाया जा सकता है।
बीएल शर्मा, तराना, उज्जैन