पाठकों के पत्र
तर्कसंगत हो नीति
हि.प्र. की वर्तमान शराब नीति, जिसमें रिटेलर मनमानी कीमतें वसूलते हैं, राज्य की आय में नुकसान कर रही है। उपभोक्ता उच्च दामों के कारण अन्य राज्यों से शराब खरीदते हैं, जिससे राज्य को कम राजस्व मिलता है। वहीं महंगी शराब के बजाय, सस्ते विकल्पों की ओर प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो समाज के लिए हानिकारक हो सकता है। सरकार को शराब की बिक्री को उचित दामों पर नियंत्रित करना चाहिए, ताकि गुणवत्ता वाली शराब बिके और रिटेलर के मुनाफे पर नियंत्रण हो। इस तरह से प्रदेश की आय बढ़ेगी और उपभोक्ताओं को ठगे जाने से बचाया जा सकेगा।
भरत शर्मा, ब्रह्मपुरी, पालमपुर
आशातीत सफलता
अठाईस फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून का संपादकीय ‘कामयाबी का जनोत्सव’ प्रयागराज महाकुंभ के आशातीत सफल समापन पर विचार प्रकट करने वाला था। महाकुंभ में संगम में लगभग 66 करोड़ देश-विदेश के श्रद्धालुओं ने सनातनी परंपरा को जीवंत कर दिया। श्रद्धालुओं का कुंभ पर्व पर एकत्रित होना सामाजिक, आध्यात्मिक एकता समरसता का प्रतीक है। उत्तर प्रदेश सरकार की कुशल शासन प्रशासन व्यवस्था से महाकुंभ को सफल बनाया उल्लेखनीय है। इतना ही नहीं संगम स्थलों के सफाई अभियान में श्रमदान करने वालों को सम्मानित किया जाना काबिले तारीफ है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
जेनेरिक दवाइयां को बढ़ावा
अठाईस फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में डॉ. शशांक द्विवेदी का लेख ‘जेनेरिक दवाइयां : अधिक संख्या में आबादी तक पहुंचे सस्ती दवाइयां’ पर आधारित था। लेख में बताया गया कि ब्रांडेड दवाइयां महंगी होती हैं, जिससे हर साल लाखों लोग गरीबी रेखा के नीचे चले जाते हैं। जेनेरिक दवाएं, जो उसी साल्ट से बनती हैं, 10 से 20 गुना सस्ती होती हैं और इन्हें सरकारी योजनाओं में बढ़ावा दिया जा रहा है। डॉक्टरों को जेनेरिक दवाइयों का प्रयोग के लिए बढ़ावा देना चाहिए।
शामलाल कौशल, रोहतक