पाठकों के पत्र
फंडिंग की छानबीन
बाईस फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित खबर 'बाइडेन शासन काल में भारत को हुई फंडिंग की जांच' में भारत में विदेशी फंडिंग से अस्थिरता उत्पन्न करने के मामलों पर चर्चा की गई है। वर्ष 2014 से अमेरिका भारत की संस्थाओं को आर्थिक सहायता दे रहा है, जिसका राजनीतिक लक्ष्यों के लिए उपयोग भी हो सकता है। खबर के अनुसार, बाइडेन शासन काल में भारत में करोड़ों डॉलर भेजे गए थे, ताकि मतदान को बढ़ाया जा सके। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने विदेशी फंडिंग की छानबीन और श्वेत पत्र जारी करने की मांग की है, जबकि विदेश मंत्रालय ने इसे आंतरिक मामला बताया है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
दुरुपयोग पर अंकुश
चौबीस फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित सम्पादकीय लेख ‘अभिव्यक्ति की आजादी के दुरुपयोग पर अंकुश’ में डिजिटल प्लेटफार्मों के नियमन की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। हाल ही में एक यूट्यूबर की अभद्र टिप्पणी से उत्पन्न विवाद ने इसे और जरूरी बना दिया है। केन्द्र सरकार और शीर्ष अदालत के संज्ञान में आने के बाद, अश्लीलता और हिंसक अभिव्यक्तियों पर रोक लगाने की बात की गई है। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी समिति का भी यही कहना है कि नए नियमों की आवश्यकता है।
जय भगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
नेतृत्व की कसौटी
रेखा गुप्ता को दिल्ली की मुख्यमंत्री बनाए जाने पर भाजपा पर विपक्ष आरोप लगाएगा, लेकिन पार्टी हाईकमान का दृष्टिकोण स्पष्ट है। भाजपा ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाकर यह संदेश दिया कि पार्टी किसी को भी मुख्यमंत्री बना सकती है, जैसे हिमाचल प्रदेश में जयराम ठाकुर को बनाया गया था। महिला को मुख्यमंत्री पद देने से भाजपा की छवि में निखार होगा। अब डबल इंजन सरकार का जिम्मा है कि वह दिल्ली की समस्याओं, जैसे प्रदूषण और स्वच्छता, पर कैसे काबू पाती है।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर