पाठकों के पत्र
जागरूकता और जीवनशैली
बाईस फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय में सरकार द्वारा गैर संक्रामक रोगों की समय पर पहचान और इलाज के लिए उठाए गए कदमों का स्वागत किया गया। 30 साल से अधिक उम्र के लगभग 90 करोड़ लोग शुगर, बीपी, कैंसर, मोटापा आदि से प्रभावित हैं। सरकार ने आशा वर्करों और एएनएम के माध्यम से घर-घर जाकर स्वास्थ्य जांच करने का प्रस्ताव रखा है, जो सराहनीय है। खानपान व जीवनशैली में बदलाव तंबाकू का सेवन और योगाभ्यास की कमी इन रोगों का मुख्य कारण हैं। जागरूकता और जीवनशैली में सुधार जरूरी है।
शामलाल कौशल, रोहतक
गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार
दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे पर केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी का बयान गैर-जिम्मेदाराना है। वे जनता को दोषी ठहरा रहे हैं, जबकि नेताओं की राजनीतिक बयानबाजी और नाकामियों को नकारा नहीं जा सकता। महाकुंभ में व्यवस्था की कमी और अनियमितताएं शासन-प्रशासन की जिम्मेदारी हैं। जनता को अब जागरूक होकर ऐसे लापरवाह नेताओं को सबक सिखाना होगा, जो अपनी गलतियों को छिपाने के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं।
हेमा हरि उपाध्याय, उज्जैन म.प्र.
अश्लीलता पर फटकार
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यूट्यूबर रणबीर इलाहाबादिया और अन्य प्रतिभागियों की अश्लील टिप्पणियों पर कड़ी फटकार लगाई और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर है और समाज को शर्म महसूस होनी चाहिए। महिला आयोग ने भी नोटिस जारी किया। सरकार को ओटीटी प्लेटफार्म पर अश्लील सामग्री के प्रसारण पर रोक लगानी चाहिए। परिवारों को भी यह सुनिश्चित करना चाहिए कि युवा सही दिशा में जाएं और नैतिक शिक्षा प्राप्त करें।
वीरेंद्र कुमार जाटव, दिल्ली