पाठकों के पत्र
मुफ्तखोरी संकट
सर्वोच्च न्यायालय ने मुफ्त योजनाओं के बेतहाशा लागू करने पर आपत्ति जताई, कहा कि इससे समाज में परिश्रम की भावना कमजोर हो सकती है। न्यायालय ने चेतावनी दी कि सरकारों को अस्थायी लाभ देकर जनता को दीर्घकालिक संकट में नहीं डालना चाहिए। आत्मनिर्भर भारत की दिशा में शिक्षा, स्वरोजगार और तकनीकी दक्षता को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि लोग सरकारी सहायता पर निर्भर न रहें। राष्ट्र को मुफ्तखोरी नहीं, बल्कि परिश्रम और स्वावलंबन की ओर बढ़ना होगा।
आरके जैन, बड़वानी, म.प्र
ट्रंप की कूटनीति
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्यापार घाटे को सुधारने के लिए मोदी को तेल, गैस, एफ-35 लड़ाकू विमान और अन्य सामरिक सामग्री खरीदने के लिए दबाव बनाया है। इसके जरिए भारत-अमेरिका व्यापार में संतुलन लाने की कोशिश की जा रही है। भारत ने अमेरिकी वस्तुओं पर न्यायसंगत टैरिफ लगाने का वादा किया। वहीं कूटनीतिक तौैर पर ट्रंप ने 26/11 के साजिशकर्ता तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी। दोनों देशों के बीच व्यापार 2030 तक दोगुना करने और आतंकवाद से मिलकर लड़ने का फैसला हुआ।
शामलाल कौशल, रोहतक
युवा मन और अध्यात्म
सोलह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून के रविरंग अंक में डा. संजय वर्मा के लेख में प्रयागराज कुंभ में युवा वर्ग की बड़ी संख्या में उपस्थिति पर चर्चा की गई है। यह सवाल उठता है कि क्या युवा अध्यात्म की ओर आकर्षित हो रहे हैं? आज का युवा आमतौर पर महत्वाकांक्षी है, जो बाह्य तृप्ति के लिए साधु-संतों की ओर उम्मीद से देखता है, लेकिन उसे गहरा आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त नहीं होता। लेखक ने युवा वर्ग को सनातन धर्म और आध्यात्मिकता से जोड़ने का प्रयास किया, जो सराहनीय है।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल