पाठकों के पत्र
प्रदूषण मुद्दा क्यों नहीं
छह फरवरी के दैनिक ट्रिब्यून के संपादकीय ‘जानलेवा वायु प्रदूषण’ विषय पर चर्चा की गई। ज़हरीली वायु से कैंसर के शिकार होने वाले पुरुषों और महिलाओं की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है। हैरानी की बात यह है कि वायु प्रदूषण भारत में चुनावी मुद्दा नहीं बनता और न ही इस जानलेवा समस्या के प्रति लोगों में जागरूकता दिखाई देती है। राजधानी दिल्ली में पराली जलाने से होने वाला प्रदूषण कुल प्रदूषण का केवल 14 प्रतिशत हिस्सा है। प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ग्रैप जैसे उपायों का इस्तेमाल करते हुए 2024 में लगभग 81 लाख लोगों की भागीदारी से वातावरण को प्रदूषणमुक्त बनाने का अनुमान है। मानव जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकारों को प्रभावी उपायों को लागू करना चाहिए।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल
बेतुकी बयानबाजी
पटना में एक रैली को संबोधित करते हुए कांग्रेसी नेता राहुल गांधी ने कहा कि वह उस दिन का इंतजार कर रहे हैं जब दलित और कमजोर वर्ग के लोग भारत की हर संस्था में शीर्ष पदों पर काबिज होंगे। कांग्रेस शासित प्रदेशों में इस उद्देश्य को हासिल करने का मौका नेता प्रतिपक्ष के पास इस समय भी है। क्या वह इसे साकार करना चाहते हैं? अपने भाषण के दौरान राहुल ने यह भी पूछा कि क्या देश में दलित प्रोफेसर परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार कर रहे हैं? क्या राहुल यह बताएंगे कि परीक्षा के प्रश्न पत्र तैयार करने के लिए पेपर सेट करने वाले की योग्यता का मापदंड दलित या गैर-दलित होने पर आधारित होता है?
ईश्वर चन्द गर्ग, कैथल
एजेंटों पर शिकंजा कसें
अमेरिका से 104 अवैध प्रवासी भारतीयों को वापस देश लाया गया है। ये वो लोग हैं जो विदेश में पैसा कमाने के चक्कर में एजेंटों के चक्कर में फंस जाते हैं। कर्ज ले, जमीनें बेच या गिरवी रख, ये लोग डंकी रूट से अमेरिका में प्रवेश करते हैं। सरकार को तो चाहिए ही कि ऐसे एजेंटों पर शिकंजा कसे। पर साथ ही साथ लोगों को भी एहतियात बरत इनके चंगुल में नहीं फंसना चाहिए। सतर्कता और सावधानी जरूरी है।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली