नाटक में जीवन के सार्थक प्रश्न
गोविंद शर्मा
रचनाकार सोमेश खिंची की यह दूसरी पुस्तक है, जिसमें दो नाटक संकलित हैं — ‘चम्मच’ और ‘मैंगो अंकल’। यद्यपि इन्हें बाल नाटक कहा गया है, किन्तु ये दोनों नाटक किशोरवय पाठकों के लिए अधिक उपयुक्त प्रतीत होते हैं।
पहले नाटक ‘चम्मच’ में एक वृद्ध व्यक्ति अपनी बेटी की तलाश में याददाश्त खो बैठता है। थाली में चम्मच बजने की ध्वनि से बेटी को अपने अब्बू की और पिता को अपनी बेटी की स्मृति लौट आती है — और दोनों का मिलन होता है। इस नाटक में बेटियों की सुरक्षा के साथ-साथ सांप्रदायिक एकता का संदेश भी निहित है।
दूसरा नाटक ‘मैंगो अंकल’ है। वस्तुतः कोई मैंगो मैन नहीं होता, किंतु एक बालक को आम के पेड़ में मैंगो अंकल दिखाई देता है। वह उससे मित्रता करता है, रूठता है, मनाता है — और उससे प्राप्त आम उसे अत्यंत स्वादिष्ट लगते हैं। नाटक पर्यावरण संरक्षण और प्रकृति से भावनात्मक जुड़ाव का संदेश देता है।
यह समस्या उन बच्चों में सामान्यतः पाई जाती है जिनके माता-पिता नौकरी या व्यवसाय के कारण अक्सर स्थान बदलते रहते हैं। जब घर में समवयस्क साथी न हो, तो बड़ा या छोटा भाई-बहन भी वह सुकून नहीं दे पाता जिसकी आकांक्षा बालक करता है। नाटक का बाल पात्र अविनाश इसी पीड़ा से जूझ रहा है। वह अपने पुराने मित्रों को छोड़कर किसी अन्य शहर या होस्टल में जाना नहीं चाहता, किंतु परिस्थितियों के आगे विवश है।
दोनों नाटकों में हर दृश्य का विस्तृत विवरण दिया गया है, जिससे इनके मंचन में सहजता होगी। इनकी लेखन शैली वीडियो फिल्म की पटकथा से मिलती-जुलती है। भाषा सरल और सहज है, परंतु पढ़ते समय उस समय असहजता होती है जब बार-बार प्रिंटिंग की अशुद्धियां सामने आती हैं।
पुस्तक : मैंगो अंकल लेखक : सोमेश खिंची प्रकाशक : आनंद कला मंच, भिवानी पृष्ठ : 98 मूल्य : रु. 300.