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नसीहतों के सर्द मौसम में मिठास की आस

04:00 AM Dec 05, 2024 IST
नसीहतों के सर्द मौसम में मिठास की आस
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शमीम शर्मा

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मौसम के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा नसीहतें सर्दियों में सुनने को मिलती हैं। कोई कहता है टोपी-मौजे पहनो, सिर-कान हमेशा ढक कर रखो। कोई कहता है रात को दूध-जलेबी खाओ तो कोई कहता है दूध के साथ गाेंद का लड्डू खाओ। डाक्टरों की सुनो तो कहेंगे मीठे की तरफ झांको भी मत। आम आदमी तो बेचारा असमंजस में ही पड़ा हुआ है कि क्या करें और क्या न करें क्यांेकि गोंद व तिल के लड्डू, रेवड़ी-मूंगफली और गाजर-मूली तो बाजार में खूब आ गई पर सर्दियां तो अभी पूरी तरह से आ ही नहीं रही। पर यह सभी जरूर सोचते होंगे कि सर्दियों में शरबत, ठंडाई, आइसक्रीम पता नहीं कहां छुपकर बैठते होंगे।
सर्दियां आते ही बूंदी के लड्डू लापता हो जाते हैं और गोंद के लड्डुओं का राज आने लगता है। पर यह आसान नहीं है क्योंकि बीच में ही तिल के लड्डू अपने आगमन गोंद को पछाड़ने का प्रयास करते हैं। गुजरात के भुज जिले में तो लड्डू खाने का मुकाबला भी आयोजित होता है। जिसे हम शादी के लड्डू फूटना कहते हैं, वे तो बूंदी वाले लड्डू ही होते हैं क्योंकि गोंद का लड्डू फूटना तो दूर, कई बार तो बेलन से तोड़ना पड़ता है। वृक्षों से मिलने वाला गोंद प्रकृति का दिया बहुमूल्य उपहार है जो जोड़ों के दर्द में फायदेमंद माना जाता है। साथ ही सर्दियों में ऊर्जा प्रदान करता और हड्डियों में प्राण फूंक देता है। एक चतुर सुजान महिला की नसीहत है कि लड्डू बनाते समय उन पर काजू लगा दें और फिर निकाल लें। खाने वाले को लगेगा कि शायद काजू लगाया तो था पर गिर गया होगा।
ठंड की छाती चीर कर जो ठंडे पानी से नहा लेते हैं, वे भी कमाल के वीर-वीरांगना हैं। पर यह पता लगाना कठिन है कि गोंद के लड्डू और गर्म जलेबी एक साथ सामने दिख जायें तो वे किस पर पहले लपकेंगे? आजकल एक नया ही अचम्भा देखने को मिल रहा है कि लोगों ने लड्डू खाने चाहे कम कर दिये पर लड्डू गोपाल घर-घर विराजमान हो रहे हैं। हरियाणा में कई ऐसे भी लोग हैं जिन्हें जलेबी देखते ही अपनी हार की याद सताने लगती है।
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एक बर की बात है चौधरी सुरजे ने सबेरे-सबेरे पुलिस कंट्रोल रूम मैं फोन कर‍्या।
चौधरी : थारे सीसीटीवी कैमरे ठीक चाल्लैं सै के?
कंट्रोल रूम : जी जनाब।
चौधरी : छबीलदास आली गली दीखै सै?
कंट्रोल रूम : जी जनाब।
चौधरी : कोने वाली नत्थू हलवाई की दुकान दीखै सै?
कंट्रोल रूम : जी जनाब। क्या बात हो गई?
चौधरी : रै बात किमें नीं, एक बर देखकै बताइये गरम जलेबी सिक री सैं के?

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