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नई व्यापार रणनीति से मुकाबले की कोशिश

04:00 AM Mar 06, 2025 IST
नई व्यापार रणनीति से मुकाबले की कोशिश
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अमेरिका के टैरिफ वॉर के मुकाबले के लिए भारत की नई द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं एक असरकार हथियार है। भारत के लिए ट्रंप की चुनौतियों के बीच वैश्विक कारोबार के नए अवसर भी निर्मित हो रहे हैं। इससे भारत को वैश्विक निर्यात में भी बढ़त मिल सकती है।

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डॉ. जयंतीलाल भंडारी

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप द्वारा कनाडा और मैक्सिको पर 25 फीसदी और चीन के आयात पर भी 10 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ प्रभावी किए जाने के बाद इन देशों ने भी अमेरिका पर जवाबी टैरिफ लगाए हैं। इससे नया ट्रेड वॉर शुरू हो गया है। अब भारत भी टैरिफ वृद्धि के मद्देनजर अमेरिका के निशाने पर है। जहां भारत में अमेरिकी टैरिफ से टेक्सटाइल, दवाई, ऑटोमोबाइल, इस्पात, एल्युमीनियम और सेमीकंडक्टर जैसे सेक्टर्स में चिंताएं हैं, वहीं हमारे शेयर बाजार के दोनों सूचकांक सेंसेक्स और निफ्टी बड़ी गिरावट के दौर में हैं।
ऐसे में भारत अमेरिका के लिए उपयुक्त टैरिफ रियायतों की नई रणनीति के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं की ट्रंप की टैरिफ मार से मुकाबला करने को सुनियोजित रूप से आगे बढ़ रहा है। खास बात यह भी है कि जहां अमेरिका से निर्मित टैरिफ चुनौतियों के बीच अब भारत को निर्यात के नए मौके मिलने की उम्मीद है, वहीं ट्रंप की नीति से भारत को चीन प्लस वन के रूप में दुनिया के वैश्विक व्यापार में तेजी से बढ़ने का मौका भी मिलते हुए दिखाई दे सकेगा। चार मार्च को प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि दुनिया का हर देश भारत के साथ आर्थिक कारोबारी साझेदारी मजबूत करना चाहता है। हमारे उद्योग-कारोबार क्षेत्र को नए मौके हासिल करने के लिए आगे बढ़ना चाहिए।
दरअसल, ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट और रेसिप्रोकल टैरिफ की नीति के कारण दुनिया में तेजी से आर्थिक और कारोबारी उठापटक चल रही है। नया व्यापार युद्ध शुरू हो गया है। वैश्विक व्यापार नए सिरे से दोबारा स्थापित होने जा रहा है। विश्व व्यापार संगठन अब मुख्य स्तम्भ के रूप में नहीं बचा है और सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफएन) के दर्जे के तहत गैर-भेदभावपूर्ण शुल्क खत्म हो रहे हैं। ऐसे में भारत ने रणनीतिपूर्वक एक अप्रैल से प्रभावी होने वाले वर्ष 2025-26 के बजट में अमेरिका से आने वाली वस्तुओं जैसे महंगी मोटरसाइकिल, सैटेलाइट के लिए ग्राउंड इंस्टॉलेशन और सिंथेटिक फ्लेवरिंग एसेंस जैसे कुछ सामानों पर शुल्क घटा दिए हैं। साथ ही मित्र देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापार और मुक्त व्यापार समझौतों (एफटीए) की ऐसी नई रणनीति पर आगे बढ़ा है, जिसमें मित्र देशों को पर्याप्त रियायतें भी हैं।
इसी परिप्रेक्ष्य में विगत 28 फरवरी को प्रधानमंत्री मोदी और यूरोपीय आयोग (ईयू) की प्रेसिडेंट उर्सला वोन लेयेन ने दोनों पक्षों के बीच कारोबार एवं आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौता को लेकर जारी किंतु-परंतु को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। दोनों नेताओं ने प्रतिबद्धता जताते हुए अपने संबंधित मंत्रालयों को निर्देश दिया कि दोनों पक्षों के हितों के मुताबिक भारत-ईयू व्यापार समझौते पर इस वर्ष 2025 के अंत तक मुहर लगाई जाए। उल्लेखनीय है कि विगत 13 फरवरी पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप के बीच हुई वार्ता के दौरान द्विपक्षीय कारोबार को वर्ष 2030 तक 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य रखा है। पिछले माह फरवरी में भारत के दौरे पर आए ब्रिटेन के व्यवसाय व कारोबार मंत्री जोनाथन रेनाल्ड्स ने कहा कि व्यापारिक समझौते का उद्देश्य पांच से छह वर्षों में द्विपक्षीय कारोबार को तीन गुना करना है। इसी तरह अमेरिका और ब्रिटेन के साथ भी मुक्त व्यापार व निवेश समझौते को इसी साल 2025 में पूर्ण किए जाने के मद्देनजर भी भारत ने रणनीति तय की है। उल्लेखनीय है कि अमेरिका, यूरोपीय आयोग और ब्रिटेन इन तीनों का भारत के कुल द्विपक्षीय वैश्विक कारोबार में एक-तिहाई से भी ज्यादा का हिस्सा है। निश्चित रूप से इस समय ट्रंप के टैरिफ तूफान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्विपक्षीय व्यापार वार्ताओं की ऐसी डगर को तेजी से आगे बढ़ा रहे हैं, जो उन्होंने तीसरे कार्यकाल से ही लगातार आगे बढ़ाना शुरू किया है।
निस्संदेह, अमेरिका के टैरिफ वार के मुकाबले के लिए भारत की नई द्विपक्षीय व्यापार वार्ताएं भारत का एक असरकार हथियार है। भारत के लिए ट्रंप की चुनौतियों के बीच वैश्विक कारोबार के नए अवसर भी निर्मित हो रहे हैं। एक ओर अमेरिका में भारत के निर्यात बढ़ सकते हैं, वहीं दूसरी ओर भारत को वैश्विक निर्यात में भी बढ़त मिल सकती है। अब चीन पर अमेरिका द्वारा भारी टैरिफ लगाने से जिन क्षेत्रों में चीन अमेरिका को प्रमुखता से निर्यात करता है, उनमें से कई क्षेत्रों में अमेरिका को भारत अपना निर्यात सरलता से बढ़ा सकता है। इन क्षेत्रों में इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल उपकरण, मोबाइल फोन, फुटवीयर, टेक्सटाइल और गार्मेंट्स, फर्नीचर और घर के सजावटी सामान, वाहनों के कल पुर्जे, खिलौने और रसायन आदि शामिल हैं।
इस परिप्रेक्ष्य में भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए वर्ष 2025-26 के बजट में स्वीकृत किया गया एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन अहम भूमिका निभाएगा। इतना ही नहीं, ट्रंप के रुख और नीति से भारत को चीन प्लस वन के रूप में दुनिया के वैश्विक व्यापार में तेजी से बढ़ने का मौका भी मिलते हुए दिखाई दे रहा है। चीन में मैन्यूफैक्चरिंग करने वाली कई विदेशी कंपनियां भी भारत का रुख कर सकती हैं। ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की रणनीति की तर्ज पर भारत में भी प्रधानमंत्री मोदी इंडिया फर्स्ट की रणनीति को तेजी से आगे बढ़ाकर घरेलू उद्योग कारोबार और अर्थव्यवस्था को तेजी से बेरोकटोक आगे बढ़ाने के मौके को मुट्ठी में ले सकते हैं।

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लेखक अर्थशास्त्री हैं।

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