धंधेबाजी के खेल में फ्यूजन और कनफ्यूजन
आलोक पुराणिक
हो क्या रहा है, यह समझना जरूरी है—एक छात्र आया मेरे पास। मैंने समझाने की कोशिश की।
छात्र : सर, ईरान पर इस्राइल ने हमला कर दिया है। पाकिस्तान ईरान का दोस्त है। ईरान का दुश्मन अमेरिका है और यह अमेरिका पाकिस्तान का बॉस है। मतलब हम क्या मानें पाकिस्तान ईरान का दोस्त है या दुश्मन है, क्या है।
सर : बेटा पाकिस्तान मुल्क नहीं कटोरा है, कटोरा वहीं जाता है, जहां से कुछ भीख मिलने का आसार हो। जहां से चार पैसे मिल जायें, यह कटोरा वहां चला जायेगा। पाकिस्तान चीन का चमचा है पर अमेरिका का चमचा भी हो जाता है, जब वर्ल्ड बैंक वगैरह से लोन लेना हो, तो। यूं अमेरिका और चीन आपस में दोस्त नहीं हैं। यूं दुश्मन भी नहीं हैं, दोनों को धंधा करना है। जिन्हें धंधा करना होता है, वो पक्के तौर पर दुश्मनी नहीं करते। धंधे वाले दुश्मनी नहीं पालते। जिनके पास कोई काम धंधा न होता, वह लड़ाई में कूद लेते हैं। ईरान के पास भी कोई धंधा नहीं है और पाकिस्तान के पास भी धंधा नहीं है तो इन्होंने लड़ने को ही धंधा बना लिया है।
छात्र : अमेरिका को सब जगह मार क्यों मचानी होती है, पश्चिम एशिया से लेकर ताइवान तक, क्यों।
सर : अमेरिका का बहुत बड़ा धंधा है, उसे हथियार बेचने होते हैं। सऊदी अरब को डराना है कि इस्राइल मार देगा, पाकिस्तान को डराना है कि भारत मार देगा, फिर डराकर हथियार बेच देता है। पाकिस्तान बहुत शाणा मुल्क है, वह कहता है कि हमारे पास पैसे नहीं हैं, हमें ऐसे उधार पर हथियार दो, जिस उधार को वापस न करना पड़े। भिखारी से कोई नहीं जीत सकता।
छात्र : तो आखिर में यह खेल धंधे का ही है क्या।
सर : सिर्फ धंधे का नहीं है। चौधरी बनने का शौक हो जाता है कइयों को। सऊदी अरब के पास बहुत पैसे हैं तो वह नेचुरल चौधरी है। फटीचर तुर्की को भी चौधरी बनने का शौक है। ईरान को भी चौधराहट के सपने आते हैं। ईरान के पास अगर बहुत पैसे होते, तो अमेरिका ईरान को हथियार बेचकर कमा लेता। ईरान के पास पैसे नहीं हैं, तो अमेरिका की कोई रुचि ईरान में नहीं है। जहां से कमाई का जुगाड़ न हो अमेरिका वहां रुचि नहीं लेता। ट्रंप मूलत: बिजनसमैन हैं। उन्हें माल बेचना है। चौधरी बनने का शौक बहुत बुरा होता है, अगर अंटी में पैसे न हो। अंटी में पैसे हो, तो हर शौक किया जा सकता है। ईरान को शौक चौधराहट का है, चौधराहट में सऊदी अरब बनना है ईरान को। उस गरीब की बहुत दुर्गति होती है, जो चौधरी बनने का ख्वाब देखने लगे। ईरान के साथ यही हो रहा है। पाकिस्तान को कनफ्यूजन है कि एटम बम से खुद-ब-खुद अमीरी आ जायेगी, तो हाल यह हो गया है कि वह न्यूक्लियर कटोरे में दुनियाभर से भीख मांग रहा है।