दो दशक और स्त्रियां
गीताश्री
पिछले बीस सालों में स्त्रियों की दुनिया बहुत बदली है। हर क्षेत्र में उनकी भूमिका में बदलाव आए हैं और उनकी स्थितियां बदल गई हैं। स्त्रियों की सोच बदली है, लेकिन उनके प्रति समाज और परिवार के रवैये में आंशिक बदलाव ही दिखाई दे रहे हैं। महिला सशक्तीकरण महिलाओं की शिक्षा, रोजगार और राजनीतिक भागीदारी में वृद्धि हुई है। नब्बे के दशक की शुरुआत का किस्सा। मेरी चचेरी बहन की शादी तय हो रही थी, मुंबई के एक पढ़े-लिखे बैंकर से। मेरी बहन जमशेदपुर में एक स्कूल में पढ़ाती थीं। शादी तय होने के बाद जब उनसे मिलने गई तो खुश हो कर बोली, अब मैं मुंबई में काम करूंगी।
दो दिन बाद बहन का फोन आया कि वो मुझसे मिलना चाहती हैं। उदास थी। उसके होने वाले पति का मानना था कि शादी के बाद उसे नौकरी करने की कोई जरूरत नहीं है। उसका काम होगा बूढ़े और बीमार सास-ससुर को संभालना। उनके खाने-पीने, दवा-दारू का ख्याल रखना। बहन की आंखों से आंसू झरने लगे, ‘मैं कोई बगावती लड़की नहीं हूं, पर हां, मैं नौकरी नहीं छोड़ना चाहती। मेरा वजूद मेरी नौकरी से बनता है।’ दरअसल यहां वजूद मुख्य है। नि:संदेह, स्त्री-विमर्श ने स्त्रियों को उनके वजूद का अहसास कराया है। रिश्ता तोड़ने की मेरी सलाह का पूरे परिवार ने मजाक बना दिया। बहन की जिंदगी टॉक्सिक होनी ही थी। तीस साल में खुद न जाने क्या-क्या रोग पाल बैठी और डिप्रेशन का शिकार हो गई सो अलग। बहन की बेटी को मुझे कुछ समझाना ही नहीं पड़ा। अपने लिए तो लड़ी ही, अपनी मां के लिए भी लड़ी।
बीस सालों में लड़कियों की एक पूरी पीढ़ी जवान हो गई जिसने दबने अथवा चुप रहने को थैंक यू कहकर पीछा छुड़ा लिया और अपनी आवाज़ को बुलंदी दी। आंकड़े बताते हैं कि स्त्री, विकास के तमाम दावों के बावजूद अधिक खतरों से घिर गई है; इसमें शारीरिक और मानसिक दोनों तरह की असुरक्षा शामिल है। दरअसल जो स्त्रियां लिखती हैं वे सिर्फ़ अपनी बात नहीं कहतीं, बल्कि उन तमाम स्त्रियों की कहानी कहती हैं जो अपनी बात कह नहीं पाती हैं।
आज स्त्रियों का व्यापक स्तर पर लिखना वृहद सामूहिक चेतना और बहनापे की अभिव्यक्ति है। इस एका भाषा में बड़ी ताकत होती है। जब कवि माया एंजेलु कहती हैं- ‘स्टिल आई राइज़’ तो वे सिर्फ़ अपने देश की अश्वेत स्त्रियों की बात नहीं कर रही होती हैं, बल्कि उनकी कविता हर उस स्त्री की आवाज़ बन जाती है जिसे तमाम चुनौतियों के बावजूद आगे बढ़ने का प्रयास करना होता है।
साभार : शब्दांकन डॉट कॉम