दुनिया का सबसे छोटा देश हर कदम पवित्रता का अहसास
वेटिकन सिटी, दुनिया का सबसे छोटा देश, रोम के दिल में स्थित है और धार्मिक, सांस्कृतिक, और ऐतिहासिक दृष्टि से अद्वितीय है। यहां स्थित सेंट पीटर्स बैसिलिका और पोप का निवास स्थल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। हर कदम पर पवित्रता का अनुभव होता है, जहां आस्था और कला का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है। यह स्थल न केवल धार्मिक महत्ता रखता है, बल्कि दुनिया के सबसे समृद्ध और प्रभावशाली स्थानों में भी शामिल है।
अमिताभ स.
इटली की राजधानी रोम में यूरोप के मशहूर फव्वारों में से एक ट्रेवी फाउंटेन के सामने कोई सेल्फी क्लिक करने में, तो कोई विशाल हौदी में सिक्के उछाल-उछाल कर फेंकने में लगा रहता है। बोलचाल और राष्ट्रीय भाषा इटेलियन है, अंग्रेजी कम ही समझते हैं, इसलिए इशारों से समझ आया है कि दाएं हाथ से बायें कंधे के ऊपर से उछाल कर सिक्का फेंकने वाला एक रोज रोम जरूर लौट कर आता है।
सिटी की सैर
गलियों से यूं तफ़रीह करते-कराते आधे घंटे की पैदल दूरी तय कर कब वेटिकन सिटी पहुंच जाते हैं, पता ही नहीं चलता। यह शहर नहीं, पूरा देश है- महज 17 वर्ग मील में फैला दुनिया का सबसे छोटा देश है! पोप ही इसके राजा है। टिबर नदी के एक किनारे रोम है, तो दूसरे किनारे वेटिकन सिटी। यह साल 1377 से ईसाई धर्मगुरु पोप का निवास है।सबसे बड़ा चर्च
वेटिकन परिसर पहाड़ी पर है। रोमन कैथोलिक चर्च के धर्मगुरु पोप यहीं रहते हैं। आधे हिस्से में हेरिटेज इमारतें हैं। इनमें सेंट पीटर्स बैसीलिका सबसे विशाल और शानदार है। इसके बीचोंबीच सेंट पीटर्स स्क्वेयर है। खास दिनों पर, लोगों का हुजूम पोप के दर्शन और आशीर्वाद लेने उमड़ता है। पेंटिंग्स और प्रतिमाएं सजा वेटिकन सिटी का सबसे बड़ा अट्रेक्शन ही नहीं, रोमन कैथोलिक ईसाइयों का दुनिया का सबसे बड़ा चर्च भी है। ऊपर नीले रंग का विशाल गुम्बद शोभित है, ऐन नीचे सेंट पीटर की कब्र है। यहीं एक पावन द्वार है, जिसे ‘पोर्टा सेंटा’ कहते हैं। इतनी भव्य है कि इसे बनने में 176 साल लग गए।
राजनीतिक और सामाजिक स्वरूप
सैर कराते-कराते गाइड बताने लगा, ‘वेटिकन सिटी में न लोकतंत्र है, न ही राजा का राज। पोप ही सर्वोच्च है’, और बताया, ‘न खेती-बाड़ी होती है, न ही कोई उद्योग है। फिर भी, छोटा-सा देश दुनिया के सबसे अमीर देशों में शुमार है।’ बावजूद इसके हर धार्मिक स्थल की तरह इधर-उधर सड़कों पर भिखारी नजर आते हैं। वरना यूरोप के अन्य देशों में गरीब हैं, लेकिन कोई यूं सरेआम भीख मांगता नहीं दिखता। अमूमन दूसरे यूरोप के देशों में भिखारी कलात्मक ढंग से सज-संवर या कुछ कलाकारी दिखा कर गुजर-बसर करते हैं।
सिटी की विशेषताएं
हर यूरोपीय देश की तरह यहां भी घूमने का असली मजा तो पैदल ही है। कुदरती खूबसूरती हमेशा शबाब पर रहती है, मौसम खुशगवार। रंग-बिरंगे फूलों से सजी स्ट्रीट शॉप्स दिलकश हैं। बीच-बीच में फुर्र-फुर्र उड़ती गौरैया और सफेद कबूतर प्यारे लगते हैं। सड़कों पर बड़ी आलीशान कारें नहीं, छोटी-छोटी कारें ही दौड़ती हैं। महंगी बाइक्स जरूर दिखाई देती हैं। रोज हजारों सैलानी आने के बावजूद सड़कों और फुटपाथों की साफ-सफाई देख मन खुश हो जाता है। चप्पा-चप्पा एकदम सेफ है। गाइड ने बताया, ‘1929 से यह अलग देश है, रोम की गोद में होने के चलते इटली ही सुरक्षा मुहैया कराता है। इसकी अपनी पुलिस और फौज नहीं है। पोप की सुरक्षा का जिम्मा स्विट्ज़रलैंड का है।’निषिद्धताएं और संस्कृति
पवित्रता बरकरार रखने के लिए वेटिकन सिटी में सिगरेट पीने पर पूरी तरह रोक है। जगह-जगह ‘सिगरेट पीना सख्त मना है’ के बोर्ड लगे हैं। वैसे, चप्पा-चप्पा एकदम सेफ है। सड़कों और फुटपॉथों की साफ-सफाई देख-देख मन खुश होता है। अपने देश की तरह यहां भी टूरिस्ट प्लेस के ईद-गिर्द स्टॉलों पर सामान दुगुना-तिगुना महंगा मिलता है।
जनसंख्या और जीवनशैली
आबादी एक हजार से कम है। ज्यादातर लोग पादरी, सरकारी अफसर और सुरक्षाकर्मी हैं। पुलिसकर्मी और मेट्रो-बस ड्राइवर बांके नौजवान हैं, खूब हैंडसम। अनुशासित देश होने के बावजूद जेब्रा क्रॉसिंग पर ट्रैफिक बमुश्किल रुकता है। आगे बढ़कर सीटी बजाते सड़क पार कर लें, तो कर लें। बाकी यूरोप से यहां एक और फर्क है कि उन देशों के नलों और होटलों के बाथरूम तक का पानी पीने लायक होता है, लेकिन यहां बोतल बंद फिल्टर वॉटर ही पीने की हिदायत दी जाती है।
आधारभूत सेवाएं
इसका अपना रेलवे स्टेशन, रेडियो-टीवी, बैंक और अखबार तो हैं, लेकिन करेंसी यूरो ही है। अपने डाक टिकट भी जारी करता है। पोस्टल सिस्टम इटली से बेहतर बताते हैं। डाक घरों में सैलानियों का जमघट रहता है। ई-मेल, व्हाट्सएप वगैरह के जमाने में सैलानी अपने-अपने घर के पते पर पोस्ट कार्ड डालते हैं। घूम-फिर कर सैलानी घर लौटते हैं तो डिलीवर कार्ड पर सबसे छोटे देश की सरकारी मोहर लगी देख, सहेज कर रख लेते हैं।