दिल्ली में 23 जगह यमुना बदरंग
नयी दिल्ली, 13 मार्च (एजेंसी)
संसद की एक समिति ने कहा कि दिल्ली के एक हिस्से में यमुना नदी की, जीवन को बनाए रखने की क्षमता लगभग नगण्य पाई गई है। समिति ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में 33 निगरानी स्थलों में से 23 स्थल प्राथमिक जल गुणवत्ता मानकों को पूरा नहीं करते। यमुना नदी दिल्ली में 40 किलोमीटर लंबे क्षेत्र से होकर बहती है, जो हरियाणा से पल्ला में प्रवेश करती है और असगरपुर से उत्तर प्रदेश की ओर निकलती है। जल संसाधन पर संसदीय स्थायी समिति ने संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा कि नदी में घुलित ऑक्सीजन (डीओ) का स्तर, जो जीवन को बनाए रखने की नदी की क्षमता को दर्शाता है, दिल्ली के इस हिस्से में लगभग नगण्य पाया गया।
दिल्ली में ऊपरी यमुना नदी सफाई परियोजना और नदी तल प्रबंधन पर अपनी रिपोर्ट में समिति ने चेतावनी दी कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश में जलमल शोधन संयंत्रों (एसटीपी) के निर्माण और उन्नयन के बावजूद प्रदूषण का स्तर चिंताजनक रूप से उच्च बना हुआ है। समिति ने प्रदूषण से निपटने और नदी की स्थिति को बहाल करने के लिए सभी हितधारकों से समन्वित प्रयासों का आह्वान किया। इसमें कहा गया है कि 33 निगरानी स्थलों में से उत्तराखंड में केवल 4 और हिमाचल प्रदेश में भी 4 ही प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंडों को पूरा करते हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों के साथ जनवरी 2021 और मई 2023 के बीच 33 स्थानों पर जल गुणवत्ता का आकलन किया। मूल्यांकन में घुलित ऑक्सीजन (डीओ), पीएच, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) और फीकल कोलीफॉर्म (एफसी) के चार प्रमुख मापदंडों को शामिल किया गया। विश्लेषण से पता चला कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में सभी चार-चार निगरानी स्थल आवश्यक मानकों को पूरा करते हैं, जबकि हरियाणा में सभी 6 स्थल इसमें विफल रहे। दिल्ली में, 2021 में सात में से कोई भी स्थान मानकों का अनुपालन करता नहीं पाया गया, हालांकि पल्ला में 2022 और 2023 में सुधार दिखाई दिया।
सही तरीके से नहीं हुआ धन का उपयोग
समिति ने कहा कि जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग ने दिसंबर 2024 के अंत तक 2024-25 के लिए 21,640.88 करोड़ रुपये के संशोधित आवंटन का केवल 58 प्रतिशत उपयोग किया है। समिति ने कहा कि आवंटित धन का लगभग 40 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया।
पंजाब में यूरेनियम संदूषण गंभीर समस्या
समिति ने देश में जल प्रदूषण के मुद्दे पर चिंता जताते हुए कहा कि 7 राज्यों के 96 जिलों की 11,348 बस्तियों के लिए लौह, नाइट्रेट और भारी धातुओं जैसे प्रदूषकों को लेकर कोई अल्पकालिक उपाय भी नहीं किए गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब में यूरेनियम संदूषण एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है, जहां 9 जिलों की 32 बस्तियां इससे प्रभावित हैं।
जरूरी हो विकास योजना तैयार करना
देश के सभी शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) के लिए ‘समग्र और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण’ के साथ विकास योजना तैयार करना अनिवार्य किया जाना चाहिए। आवास एवं शहरी मामलों की एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही। आवास और शहरी मामलों संबंधी स्थायी समिति ने अनुदान मांगों (2025-26)’ पर तीसरी रिपोर्ट पेश की।