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दिलचस्प म्यूज़ियमों का रोचक सफर

04:05 AM May 23, 2025 IST
दिलचस्प म्यूज़ियमों का रोचक सफर
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भारत में म्यूज़ियम केवल अतीत की वस्तुएं सहेजने की जगह नहीं, बल्कि कला, संस्कृति, विज्ञान और कल्पना का जीवंत संगम बन चुके हैं। यहां टॉयलेट से लेकर ट्रिक आर्ट, गुड़ियों से लेकर पनडुब्बी तक—हर म्यूज़ियम एक अनोखी दुनिया में ले जाता है। ये ज्ञान, रोमांच और मनोरंजन का अनोखा अनुभव कराते हैं।

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रजनी अरोड़ा
म्यूज़ियम सभ्यताओं के विकास, इतिहास, संस्कृतियों के संवर्धन, कला-संस्कृतिक के आदान-प्रदान, लोगों के बीच आपसी समझ, सहयोग-शांति के विकास का एक महत्वपूर्ण जरिया माने जाते हैं। इसी मकसद से दुनियाभर में तकरीबन 38 हजार म्यूज़ियम बनाए गए हैं। इनमें कुछ ऐसे अनोखे म्यूज़ियम भी हैं जो पारंपरिक म्यूज़ियमों की लीक से हट कर हैं। ये मानव संस्कृति, इतिहास और कल्पना की विविधता को दर्शाने के साथ मनोरंजन और ज्ञान के स्रोत भी हैं।
म्यूज़ियम ऑफ टाॅयलेट : दिल्ली के पालम में स्थित यह म्यूज़ियम टाॅयलेट के विकास, डिज़ाइन और स्वच्छता के इतिहास को समर्पित है। इसकी स्थापना 1992 में सुलभ इंटरनेशनल नामक एक गैर-सरकारी संगठन ने की थी। इसमें 50 से अधिक देशों के शौचालयों और उनसे जुड़ी तकनीकों का प्रदर्शन किया गया है। प्राचीन काल (2500 बीसी) से लेकर आधुनिक समय तक के टाॅयलेट शामिल हैं। इस म्यूज़ियम में टाॅयलेट पर लिखी कविताओं का कलेक्शन भी है जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनता है।
मैडम तुसाड वैक्स म्यूज़ियम : दिल्ली के कनॉट प्लेस की मशहूर रीगल बिल्डिंग में बना है-यह म्यूज़ियम। अंतर्राष्ट्रीय वैक्स म्यूज़ियम की यह ब्रांच साल 2017 में खोली गई थी। यहां पर्यटक राजनीति (महात्मा गांधी, एपीजे अब्दुल कलाम), फिल्मी (अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, लता मंगेश्कर), खेल (विराट कोहली, सचिन तेंदुलकर, मिल्खा सिंह, मैसी, रोनाॅल्डो) जैसी कई मशहूर सेलेब्रिटीज के वैक्स के स्टैच्यू देख सकते हैं।
शंकर्स इंटरनेशनल डॉल म्यूज़ियम : यह म्यूज़ियम नई दिल्ली में है। इसकी स्थापना प्रसिद्ध राजनीतिक कार्टूनिस्ट के. शंकर पिल्लै ने 1965 में की थी। म्यूज़ियम में दुनियाभर के लगभग 85 देशों से लाई गई 6,500 से अधिक खूबसूरत और पारंपरिक पोशाकों में सजी गुड़ियां प्रदर्शित की गई हैं। यहां दो हिस्से हैं- एक भाग में यूरोप, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड आदि देशों की गुड़ियां हैं। दूसरे भाग में एशिया, मध्य-पूर्व अफ्रीका और भारत की हैं। भारतीय गुड़ियाें का एक विशेष सेक्शन है जो देश के विभिन्न राज्यों की संस्कृति और विविधता को दर्शाती हैं।
पतंग म्यूज़ियम : यह म्यूज़ियम पतंगों की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और कलात्मक विविधता को दर्शाता है। अहमदाबाद के संस्कार केंद्र में स्थित इस म्यूज़ियम की स्थापना साल 1984 में भानुभाई शाह की पतंगों के निजी संग्रह से हुई थी। यहां 125 से अधिक दुर्लभ और कलात्मक पतंगें प्रदर्शित हैं जिनमें जापान, मलेशिया, कोरिया, अमेरिका जैसे देशों की भी पतंगे भी हैं। पतंगों पर किया गया मिरर वर्क, ब्लॉक प्रिंट,जापानी रोकोकू, राधा-कृष्ण चित्र देखने योग्य हैं। यही नहीं यहां 16 फीट लंबी पतंग भी है जिस पर उकेरा गया गरबा डांस आने वाले प्र्यटकों को बरबस ही अपनी ओर खींचता है।
ट्रिक आर्ट 3-डी म्यूज़ियम : चेन्नई में 2016 में भारत का पहला ट्रिक आर्ट 3-डी म्यूज़ियम जनता के लिए खोला गया था। इसकी स्थापना कलाकार एपी श्रीथर ने की थी। यह म्यूज़ियम फ्रेंच आर्ट फॉर्म. ट्रॉम्प लोय या दृष्टि भ्रमकारी कला या आॅप्टिकल इल्यूजन और इंटरेक्टिव आर्ट के लिए मशहूर है। यहां की गैलरियांे में दर्शकों को भ्रमित कर देने वाली 24 से अधिक इंटरएक्टिव 3-डी पेंटिंग्स प्रदर्शित की गई हैं। जो आने वाले दर्शकों को यह जादुई दुनिया का अहसास कराती हैं। इनके साथ खड़े होकर फोटो लेने पर ऐसा लगता है, मानो ये पेंटिंग्स जीवित हो गई हों। ट्रिक आर्ट म्यूज़ियम की तर्ज पर अब बेंगलुरु में क्लिक आर्ट म्यूज़ियम और मुंबई में पैराडाॅक्स म्यूज़ियम भी बनाए गए हैं।
ब्रेन म्यूज़ियम : बेंगलुरु के विल्सन गार्डन में बने ब्रेन म्यूज़ियम की नींव 1995 में रखी गई थी। यह भारत का एकमात्र और विश्व के गिने-चुने ब्रेन म्यूज़ियमों में से है। जिसे न्यूरोसाइंस शिक्षा, शोध और जागरूकता के लिए स्थापित किया गया है। म्यूज़ियम में 400 से अधिक मानव मस्तिष्क और कई पशु (जैसे गाय, मुर्गी, चूहा, बंदर) के मस्तिष्क फॉर्मालिन में संरक्षित करके प्रदर्शित किए गए हैं। जिन्हें पिछले 40 वर्षों में वैज्ञानिकों ने एकत्र किया है। इनके अलावा यहां फेफड़े, वोकल बॉक्स, आंतें और मानव कंकाल के नमूने भी हैं। इसका उद्देश्य न्यूरोसाइंस की जानकारी देना, ब्रेन की संरचना, कार्य, विकास और मानसिक बीमारियों (जैसे अल्जाइमर, पार्किंसन, ब्रेन ट्यूमर, एक्सीडेंट्स) से जुड़ी भ्रांतिया दूर करना और अंगदान के प्रति जागरूकता फैलाना है।
सुधा कार म्यूज़ियम : भारतीय नवाचार, रचनात्मकता और ऑटोमोबाइल के अनूठे संगम को दर्शाता है- हैदराबाद में स्थित यह म्यूज़ियम। जिसे 2010 में कण्याबोयिना सुधाकर ने स्थापित किया था। यह दुनिया का पहला हैंडमेड कार म्यूज़ियम माना जाता है। सबसे खास बात है कि यहां प्रदर्शित कारें और बाइक दैनिक जीवन में इस्तेमाल होने वाली चीजों के रूपाकार में डिजाइन की गई हैं जैसे- कैमरा, पर्स, जूता, किताब, बर्गर, क्रिकेट बैट, लिपस्टिक, टेबल टेनिस बाॅल आदि। सभी गाड़ियां चलने योग्य (वर्किंग कंडीशन) हैं लेकिन बिक्री के लिए नहीं हैं। यहां दुनिया की सबसे बड़ी तिपहिया साइकिल और सबसे छोटी डबल डेकर बस भी देखी जा सकती है, जिन्हंे गिनीज वर्ल्ड रिकार्ड में भी शामिल किया गया है।
नेशनल रेल म्यूज़ियम : चाणक्यपुरी में बने रेल म्यूज़ियम की स्थापना 1977 में हुई थी। म्यूज़ियम में भारतीय रेलवे के इतिहास को दर्शाया गया है। यहां विभिन्न रेल इंजन और डिब्बों को भी प्रदर्शित किया गया है। जिनमें जाकर इन्हें न केवल अंदर से देख सकते हंै, बल्कि रेलवे स्टिमुलेटर द्वारा इंजन को चला भी सकते हैं। म्यूज़ियम में चलने वाली टॉय ट्रेन पर सवारी का मजा भी उठा सकते हैं।
नेवल एविएशन म्यूज़ियम : गोवा के डाबोलिम में बने नेवल एविएशन म्यूज़ियम की स्थापना 1998 में की गई थी। इस म्यूज़ियम में आप कई विंटेज विमान और लड़ाकू विमानों में प्रयोग होने वाले हथियार देख सकते हैं। साथ ही यहां आईएनएस विराट युद्धपोत का मॉडल भी प्रदर्शित किया गया है। इस अनोखे म्यूज़ियम में एवियाफ्लिक्स थियेटर भी है, जहां पर्यटक नेवल एविएशन के बारे में कई रोचक जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं।
आरबीआई मॉनेटरी म्यूज़ियम : यह म्यूज़ियम मुंबई में है। इसकी 2004 में हुई थी। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा संचालित इस म्यूज़ियम में मुद्रा से जुड़ी डेढ़ हजार से ज्यादा वस्तुओं का संग्रह है। इस म्यूज़ियम में छठी सदी से आज तक के सिक्के और नोट का अच्छा कलेक्शन है। पर्यटक यहां नोटों और सिक्कों के बनने का प्रोसेस भी जान सकते हैं और साथ ही समझ सकते हैं कि करेंसी में किस-किस तरह की सिक्योरिटी फीचर होते हैं।
आईएनएस कुरसुरा सबमरीन म्यूज़ियम : यह म्यूज़ियम विशाखापट्टनम में है। इस म्यूज़ियम को 2002 में जनता के लिए खोला गया था। यह म्यूज़ियम सबमरीन आईएनएस कुरसुरा एक एस-20 पनडुब्बी है जिसने 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में एक अहम भूमिका निभाई थी। यहां पर्यटक यह जान सकते हैं कि पनडुब्बी को कैसे चलाई जाती है और इसके अंदर लोग कई हफ्तों तक पानी के नीचे कैसे रहते हैं। सभी चित्र लेखिका

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