For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

दिन अच्छा जाएगा...

04:05 AM Mar 02, 2025 IST
दिन अच्छा जाएगा
Advertisement

पुरुषोत्तम व्यास

Advertisement

सुबह अगर होती उनसे मुलाकात,
तो कहते वह,
आज का दिन अच्छा जाएगा...

मैं मुस्कराता,
सोचता कोई यह क्यों नहीं कहता,
रात अच्छी जाएगी।
भविष्य फल वाले,
दिन के ही बारे में बताते,
पर रात के बारे नहीं।

Advertisement

जीवन में तो दोनों का महत्व।

काले कारनामे अधिकतर रात में ही होते,
आदमी का असली रूप रात में ही
उजागर होता।
फिर दिन का इतना महत्व या फिर ऐसा
जो जीना चाहता प्रेमपूर्वक जीवन को
जो सोचता दिन अच्छा जाएगा तो
रात नींद अच्छी आएगी...।

खट्टी-मीठी
अगर बच्चों में हो जाता झगड़ा,
कर लेते एक-दूसरे से कट्टी।
मन ही मन सोचने लगते
कैसे हो जाएगी मीठी,
दोनों एक-दूसरे को मुंह फुलाकर,
देखते रहते, खेलने के लिए एक-दूसरे को,
आवाज भी नहीं देते,
दिल भी बहुत दुखता उनका,
एक मित्र दूसरे से कर लेता मीठी
और वे जाते भी भूल बात पुरानी...

वही बच्चे बड़े होकर भूल जाते,
खट्टी और मीठी वाली बात।
अधिकतर उनकी वही मीठी होती,
जहां होता स्वार्थ।
वहीं अगर पति और पत्नी में होती कट्टी
तो बात चली जाती बहुत दूर तक।
फिर कट्टी कट्टी नहीं रहती कुछ,
और हो जाती, पीड़ा भी होती है शायद।
वहीं दो देशों में जब हो जाती कट्टी,
हो जाता युद्ध।
क्योंकि अधिकतर हम बड़े होकर,
कट्टी के बारे में सोचा करते,
मीठी कहीं खो जाती।

Advertisement
Advertisement