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तलवार नहीं, नदी की धार देगी जवाब

04:00 AM Jun 05, 2025 IST
तलवार नहीं  नदी की धार देगी जवाब
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शमीम शर्मा

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मेरी बिल्ली मुझी से म्याऊं पर ये बिल्ली अब म्याऊं से पंजा दिखाने पर उतर आई है। पंजा दिखाते ही उसे पता चल गया है कि शेर के सामने पंजा दिखाने का मतलब है आत्महत्या का ऐलान। भारत ने आज इस बिल्ली के नाखून नोच कर सारी दुनिया के सामने उसकी हेकड़ी निकाल दी है। बता दिया है कि भारत में वे लोग नहीं रहे जो पाकिस्तान की बिल्लियों के भाग्य का छींका तोड़ने में मदद करंेगे। अब तो बेचारा कर्ज की रोटी खाकर झूठ के परांठे बेलकर विदेश नीति का नया नाश्ता करने में जुटा है।
जिस थाली में खाना, उसमें छेद न करने की नसीहत बड़े बुजुर्ग देते आये हैं पर पाकिस्तान तो जिसके नल का पानी पीया, उसी पे गुर्राया। ऐसे नापाक अब समझ चुके हैं कि म्याऊं करने से न तो दूध मिलता है, न पानी। अब जल ही जवाब होगा, बूंद-बूंद का हिसाब होगा। भारत अब बदला नहीं, नल बंद करेगा। अब सिर्फ हथियार नहीं, धार भी हमारी चलेगी, बहाव भी हमारा होगा। भारत की नदियां भी राष्ट्रगान गायेंगी और पाक का नाम डुबायेंगी। पाक खून का प्यासा था पर हमने पानी छीन लिया। हमारा पानी भी दुश्मनों पर बरसेगा। अब नल से नहीं, नसों से भी पानी सूखेगा।
हमने नदियों का रुख मोड़ा है, अब हमारी नदियां भी सरहद पर खड़े जवान की भूमिका निभायेंगी। भारत हमला नहीं सिर्फ बहाव की दिशा बदल रहा है और उसी में उसके तेवर पता चलते हैं। न्यूक्लियर बम का बटन दबाने की धमकी देने वाले बाल्टी लेकर नलों की ओर भाग रहे हैं। पाक की नस्लें पाइप लाइन के नीचे हाथ जोड़ेंगी, कंठ सूखेगा, खेत धूल फांकेंगे और पाक का चेहरा पानी-पानी होगा। पाकिस्तान के लिये टैंक चलाने का नहीं पानी की टंकी भरने का टाइम आ चुका है। इस पानी में ही पाकिस्तान का इतिहास डूबेगा।
नौ सौ चूहे खाकर बिल्ली हज को चली। अब पाकिस्तान दुनिया के सामने दुहाई देगा कि इंसानियत के नाम पर पानी दिलवा दो। पर इंसानियत की खेती वहां होती है जहां बम नहीं बोये जाते, आतंकी नहीं पैदा किये जाते। अब जवाब तलवार से नहीं, नदी की धार से मिलेगा। भारत का इरादा फौलादी है कि जल प्रहार से फट्टे चक देंगे। अब पाकिस्तान को टैंक-तोप-बंदूकों की आवाजें नहीं, नलों की खामोशी सतायेगी।
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एक बर की बात है अक पेड़ पै दो चूहे बैट्ठे थे। तलै कै एक हाथी लिकड़या तो एक चूहा उस पै गिर ग्या। दूसरा बोल्या- दबा कै राख साले नैं, मैं इब्बे आऊं सूं।

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