टैरिफ वॉर के बीच कैदी अदला-बदली का खेल
ट्रंप के फिर सत्ता में लौटने के बाद चीन पर टैरिफ लगाने की बात तो की जा रही है लेकिन कितने अमेरिकी कैदी चीन की जेलों में हैं, इस पर खामोशी है। ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से उनके शपथ ग्रहण के बाद बात की है, लेकिन कैदियों के प्रकरण पर सार्वजनिक जिक्र नहीं है। फॉक्स न्यूज द्वारा प्रसारित सुपर बाउल साक्षात्कार में ट्रंप ने पुष्टि की, कि चर्चा हुई है।
पुष्परंजन
चीनी लीडरशिप, अमेरिका की आंखों में आंखें डालकर किसके बूते बात करती है? क्या उसकी वजह केवल ट्रेड और सैन्य ताक़त है, या कुछ और? जो है, वो दिखता नहीं। अमेरिका दुनिया को बताता नहीं, कि उसके कितने नागरिक चीनी जेलों में पड़े हैं। कैदियों का डाटा बेस तैयार करने वाले दुई हुआ फाउंडेशन का आकलन है कि अमेरिकी जेलों में 400 चाइनीज़, और चीनी जेलों में 300 अमेरिकी नागरिक कैद हैं। आप हमारे तीन कैदी छोड़ो, उतने ही कैदी हम छोड़ेंगे, इसी बराबरी वाले फार्मूले पर कैदियों का तबादला चीन-अमेरिका के बीच हो रहा है।
यह कहानी तीन माह पहले की है, जब अमेरिकी कैदी तीन चीनियों के बदले छोड़े गए था। उनकी रिहाई के वास्ते अमेरिका के पसीने छूट गए थे। तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने अगस्त, 2024 में चीन की यात्रा की और चीन में गलत तरीके से हिरासत में लिए गए सभी अमेरिकियों की रिहाई का आग्रह किया। तत्कालीन विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने उसके अगले माह सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा में चीनी राजनयिक वांग यी के साथ तीनों व्यक्तियों के मामले उठाए। उसके प्रकारांतर, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने नवंबर में पेरू में उनकी रिहाई के लिए चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग पर दबाव डाला था। क्या बाक़ी अमेरिकी कैदियों की रिहाई का ज़िम्मा ट्रंप ने लिया है? इस सवाल का उत्तर शी और ट्रंप की मुलाक़ात के बाद ही अमेरिकी जनता समझ पायेगी। लेकिन ट्रंप पर इसका दबाव है, कि कैदियों की रिहाई की जो शुरुआत जो बाइडेन ने की थी, उसे पुरज़ोर तरीके से आगे बढ़ाया जाये।
दुई हुआ फाउंडेशन, चीन की जेल प्रणाली की अस्पष्टता की आलोचना करता है, जहां बहुत-सी जानकारी गोपनीयता के नाम पर छिपाई जाती है। उसके बरअकस, अमेरिकी जेल के आंकड़े रहस्य जैसे नहीं हैं, ऐसा दावा दुई हुआ फाउंडेशन करता है । कैद में रहना कठिन है, लेकिन विदेश में कैद होना और भी कठिन है। विदेशी कैदियों को भाषाई और सांस्कृतिक बाधाओं और एक अपरिचित कानूनी प्रणाली का सामना करना पड़ता है। 1963 में ‘कांसुलर संबंधों पर वियना कन्वेंशन’ में चीन और अमेरिका सहित अधिकांश देश शामिल हैं, जिसके आधार पर किसी देश में कैद विदेशी नागरिकों में रिहाई की उम्मीद बनी रहती है। दो दशकों से अमेरिका और चीन के बीच अलग से द्विपक्षीय समझौता ‘यूएस-पीआरसी कांसुलर कन्वेंशन’, वियना कन्वेंशन से अधिक कठोर है। यदि कोई बंदी ऐसा अनुरोध करे तो उसके देश के कूटनीतिक मिशन को 24 से 72 घंटे के बीच सूचित किया जाना अनिवार्य है।
वर्ष 2024, नवम्बर में वर्षों से हिरासत में रखे गए तीन अमेरिकी नागरिकों को चीन ने रिहा किया था। उनके नाम थे मार्क स्विडन, काई ली, और जॉन लेउंग। प्रशासन के एक अधिकारी ने गुरुवार को पुष्टि की कि तीनों अमेरिकी टेक्सास में जॉइंट बेस सैन एंटोनियो के हिस्से लैकलैंड एयर फ़ोर्स बेस के ज़रिए वापस अमेरिका लौट आए। उससे पहले, अमेरिकी पादरी डेविड लिन भी सितम्बर, 2024 में चीनी क़ैद से छोड़े गए थे।
न्यूयॉर्क के लॉन्ग आइलैंड के रहने वाले 62 वर्षीय डेविड लिन को 2016 में हिरासत में लिया गया था, और 2018 में जासूसी के आरोपों में 10 साल की सज़ा सुनाई गई थी, जिसके बारे में उनके परिवार का कहना है कि ये आरोप निराधार हैं। टेक्सास के 40 वर्षीय व्यवसायी स्विडन को 2012 से हिरासत में रखा गया था और 2019 में उन्हें ड्रग से संबंधित आरोपों में दोषी ठहराए जाने के बाद मृत्युदंड की सज़ा सुनाई गई थी, जिसके बारे में संयुक्त राष्ट्र के एक कार्य समूह ने कहा था कि इसका कोई साक्ष्य आधार नहीं था। ली और स्विडन को विदेश विभाग द्वारा ‘गलत तरीके से हिरासत में लिया गया’ माना गया था।
60 वर्षीय अमेरिकी नागरिक लेउंग, जिनका हांगकांग के चीनी क्षेत्र में स्थायी निवास भी है, को पिछले साल पूर्वी चीन की एक अदालत द्वारा जासूसी का दोषी पाए जाने के बाद आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। हांगकांग और चीनी समाचार आउटलेट के अनुसार, 2021 में हिरासत में लिए गए लेउंग संयुक्त राज्य अमेरिका में बीजिंग समर्थक समूह के सदस्य थे, और वरिष्ठ चीनी अधिकारियों के साथ उनकी तस्वीरें सामने आई थीं।
अमेरिकी सरकार के एक अधिकारी ने कहा कि उनकी रिहाई चीन के राज्य सुरक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी जू यानजुन और एक चीनी नागरिक जी चाओकुन के लिए कैदी अदला-बदली का हिस्सा थी। जू को अमेरिकी विमान इंजन आपूर्तिकर्ता जीई एविएशन से तकनीक चुराने के कथित प्रयास के बाद गिरफ्तार किया गया था। जी चाओकुन पर चीनी सरकार के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया गया था।
यह नवम्बर, 2024 की बात है, जब पेइचिंग में विदेश मंत्रालय ने भी स्वीकार किया था कि उसके तीन नागरिक सुरक्षित रूप से चीन लौट आए हैं। ब्रिटिश अधिवक्ता पीटर हम्फ्रे भी मानते हैं कि चीन में लगभग 300 अमेरिकी हिरासत में हैं, और उनमें से किसी के साथ भी निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से सुनवाई नहीं हुई है। लेकिन पेइचिंग का कहना है कि सभी मामलों को कानून के अनुसार निपटाया जाता है। चीनी विदेश मंत्रालय ने कहा, कि हमारे नागरिकों को निशाने पर लेने वाले अमेरिका का विरोध हमेशा करते रहेंगे।
दिलचस्प है कि क़ैदियों जैसे विषय सामने नहीं लाये जा रहे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि उन्होंने अपने चीनी समकक्ष शी जिनपिंग से उनके शपथ ग्रहण के बाद से ही बात की है, जो बढ़ते व्यापार युद्ध के बीच निरंतर कूटनीतिक जुड़ाव का संकेत है। सोमवार शाम को फॉक्स न्यूज द्वारा प्रसारित सुपर बाउल साक्षात्कार में ट्रंप ने पुष्टि की, कि चर्चा हुई है। उन्होंने कहा कि शी और ‘उनके लोगों’ दोनों के साथ संवाद किया है। ‘मैं उन्हें बहुत पसंद करता हूं, मुझे उनसे बात करना अच्छा लगता है, उनके लोग हमेशा आते रहते हैं।’
ट्रंप ने शी के साथ अपने ‘बहुत अच्छे व्यक्तिगत संबंधों’ की भी सराहना की, उन्होंने कहा कि वे उन्हें ‘शायद दुनिया के विभिन्न हिस्सों में किसी और से बेहतर जानते हैं’। ट्रंप ने यह नहीं बताया कि बातचीत कब हुई, और दोनों नेताओं ने क्या चर्चा की। ट्रंप ने सभी चीनी आयातों पर 10 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। चीन ने भी अमेरिकी वस्तुओं पर अपने टैरिफ लगाए, जो सोमवार से प्रभावी हो गए। जिसमें कोयला, कच्चा तेल और तरल प्राकृतिक गैस निर्यात, साथ ही उच्च उत्सर्जन वाले वाहन शामिल हैं। सोचिये, क़ैदियों का तबादला और टैरिफ के बदले टैरिफ का खेल कितना रोचक है। ऐसे खेल के लिए मज़बूत लीडरशिप चाहिए !
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।