जोखिम और रोमांच से भरपूर खूबसूरत ठंडे पर्यटक स्थल
गर्मियों की चिलचिलाती धूप और बढ़ते तापमान से राहत पाने के लिए लोग विदेशों से ठंडी और शांत जगहों की तलाश में रहते हैं। भारत में कई ऐसे खूबसूरत पर्यटन स्थल हैं, जहां प्राकृतिक सुंदरता, ठंडी हवाएं, बर्फीले नज़ारे और सुकून भरा माहौल एक यादगार छुट्टी का अनुभव कराते हैं।
शिखर चंद जैन
गर्मी के मौसम में जब मैदानी इलाकों में तापमान चढ़ता है, तब ठंडी और सुकून भरी जगहों की याद बरबस ही आने लगती है। क्यों न इस बार छुट्टियों में भीड़-भाड़ से दूर, भारत के उन ठंडे और शांत ठिकानों की ओर रुख किया जाए जहां प्राकृतिक सुंदरता, ताज़ी हवा और शांति आपका स्वागत करें? आइए जानें ऐसे ही कुछ बेहद खूबसूरत और ठंडे पर्यटन स्थलों के बारे में।
सियाचिन ग्लेशियर बेस कैंप तक
मई जून से दिसंबर तक का मौसम यहां जाने के लिए बिल्कुल मुफीद है। दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध स्थल होने के साथ-साथ यह देश के सबसे ठंडे स्थानों में से एक है। हाल ही लद्दाख टूरिज्म ने पर्यटकों को सियाचिन बेस कैंप तक आने का आमंत्रण दिया था। यहां चारों तरफ बर्फ बिखरी हुई दिखेगी। यह स्थान पाकिस्तान से साथ जुड़ी एलओसी के पास काराकोरम पर्वत शृंखला में है। जिन्हें ऊंचे और ठंडे स्थानों पर घूमने में मजा आता है उनके लिए यह वरदान सरीखा है। सियाचिन ट्रैक साहसी और रोमांच पसंद करने वालों के लिए है। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य व प्रदूषण मुक्त वातावरण आपका मन मोह लेगा।
गर्मियों में घूमने के लिए बेहतर जगह है लद्दाख। यहां हर किसी का मन रम जाएगा। कुदरत की अनूठी सौगात, मनोरम दृश्य, ठंडा वातावरण मन को सुकून देते हैं। नीली झीलों, नीले आसमान और खूबसूरत पहाड़ियों को आप देखते ही रह जाएंगे। ये दृश्य हर किसी की आंखों और मन में जीवनभर के लिए कैद हो जाते हैं। बौद्ध मठों का गढ़ भी है लद्दाख। पैंगोंग लेक यहां का सबसे खास आकर्षण है। यहां नुब्रा घाटी में बालू के टीलों के बीच ऊंटों की सवारी करना आपको खूब भाएगा।कुफरी की तफरीह
मई-जून की तपती गर्मी में शिमला के टूरिस्ट टाउन कुफरी में जाने का निर्णय आनंददायक साबित हो सकता है। शिमला से 20 किलोमीटर दूर नेशनल हाईवे 22 पर स्थित है कुफरी। यहां आपको अपनी खरीदारी और सुविधाओं और खानपान के लिए तमाम बुटीक, होटल और फूड स्टॉल्स मिल जाएंगे। यहां बच्चों को हिमालयन जू देखने में खूब मजा आएगा। इस जू में कई ऐसे जानवर और पक्षी भी देखे जा सकते हैं जो आमतौर पर दूसरे चिड़ियाघर में नहीं होते। जैसे हिमालयन मोनाल, जो कभी हिमाचल प्रदेश का राज्य पक्षी हुआ करता था।
बर्फ की धरती द्रास
कारगिल में मौजूद है दुनिया का दूसरा सबसे ठंडा स्थान द्रास जो भारत के सबसे ठंडे स्थानों में से एक है। इसे आमतौर पर लद्दाख का द्वार कहा जाता है। यह सुरु घाटी, अमरनाथ और सियालकोट में ट्रैकिंग का शुरुआती बिंदु है। सर्दियों में यहां का तापमान माइनस 45 डिग्री तक चला जाता है। इस शानदार हिल स्टेशन को लोग प्यार से बर्फ की धरती भी कहते हैं। यहां आप जून से दिसंबर तक जा सकते हैं।
ऑफ बीट हिल स्टेशन कालपा
गर्मियां शुरू होने से लेकर सितंबर तक कभी भी आपको ठंडक में कुछ दिन बिताने का मन हो तो आप अपना बैग पैक कर हिमाचल प्रदेश के इस छोटे से टूरिस्ट प्लेस पर आ जाएं। यह एक ऑफबीट हिल स्टेशन है। हिमाचल प्रदेश का छोटा-सा गांव कालपा कई बौद्ध मठों और मंदिरों की पवित्र धरती के रूप में विख्यात है। यहां आपको सतलुज नदी का सौंदर्य और सेब के विशाल बगीचों में महक लेने का अवसर भी मिलेगा। यहां कई बार तापमान माइनस 15 डिग्री तक भी चला जाता है।
रोहतांग पास, पर्यटकों की आस
हिल स्टेशन के रूप में आपने मनाली की प्रसिद्धि खूब सुनी होगी लेकिन पास ही स्थित रोहतांग पास भी घूमने-फिरने और मौज-मस्ती के लिए कुछ कम नहीं है। यह जगह कुल्लू घाटी और स्पीति घाटी से जुड़ी हुई है। 3978 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस हिल स्टेशन पर पूरे साल दूर-दूर तक बर्फ नजर आती है। यहां का न्यूनतम तापमान माइनस 6 डिग्री तक पहुंच जाता है। उत्साही, रोमांच पसंद पर्यटकों के लिए एक शानदार टूरिस्ट प्लेस है। गर्मियों के मौसम में यहां आप स्कीइंग, माउंटेन बाइकिंग आदि का आनंद भी ठंड के साथ-साथ उठा सकते हैं। मई-जून के महीने यहां आने के लिए विशेष रूप से सुविधाजनक है।रिवर आइलैंड माजुली
अगर आप किसी नए और बिल्कुल हटकर पर्यटन स्थल पर जाना चाहते हैं तो बेहिचक माजुली पहुंच जाएं। यह असम की ब्रह्मपुत्र नदी में बसा एक द्वीप है। भारत में किसी द्वीप को जिले का दर्जा पहली बार दिया गया है। इसे दुनिया के सबसे बड़े रिवर आईलैंड होने का गौरव भी प्राप्त है। यहां प्रदूषणरहित वातावरण में आनंद उठाने के लिए भारत ही नहीं दुनिया भर से पर्यटक आते हैं। अद्भुत और बेजोड़ सौन्दर्य के कारण माजुली को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में भी शामिल करने की प्रबल संभावना है। चारों तरफ हरियाली, ठंडी हवाएं और ब्रह्मपुत्र का सानिध्य इसके खास आकर्षण हैं। इसे असम की सांस्कृतिक राजधानी का दर्जा भी दिया गया है। यहां आपको आदिवासियों के जीवन को नजदीक से देखने का मौका मिलेगा। यहां के बाशिंदे पूरी मस्ती से उत्सवों का आयोजन करते रहते हैं और अक्सर नृत्य और संगीत का दौर खूब चलता है। यहां जोरहाट से बोट द्वारा पहुंचा जा सकता है। गुवाहाटी से यह 350 से 400 किलोमीटर दूर है। यहां आप बांस की झोपड़ियों में रहते स्थानीय लोगों को आग पर खाना पकाते हुए देख सकते हैं। साथ ही यहां तरह-तरह के देसी विदेशी पक्षी भी खूब नजर आएंगे। यहां खूब सैर-सपाटा करें, नौका की सवारी करें और जी भरकर फोटोग्राफी करें। यहां का हस्तशिल्प और ज्वेलरी भी खरीदने लायक है।जीरो भी है हीरो
जीरो यहां का एक पुराना हिल स्टेशन है। अगर आप हरियाली के बीच शांतिपूर्ण और प्रदूषणरहित छुट्टियां बिताने का शौक रखते हैं तो यहां जरूर जाएं। यहां पूरे साल मौसम सुहावना रहता है। आपातानी जनजाति का निवास स्थान यह छोटा-सा शहर आपको आरामदायक और सुखद लगेगा। यहां आपको तिब्बती भोजन का स्वाद खूब मिलेगा। मोमो (शाकाहारी और मांसाहारी), थुपका (वेजिटेबल और मांसाहारी सूप), जेन खुरा (पैन केक जैसा एक व्यंजन) ज्ञापाखाजी (राइस पुलाओ जैसा शाकाहारी और मांसाहारी भोजन) आदि यहां चख सकते हैं। तेजपुर एयरपोर्ट यहां से मात्र 200 किलोमीटर दूरी है। यहां आप टेली वैली वाइल्डलाइफ सेंक्चुअरी, मेघना केव टेंपल, कुदरती शिवलिंग जो 25 फुट लंबा और 22 फीट चौड़ा है, किले पाखो जहां से एक तरफ आप जीरो पठार और दूसरी तरफ बर्फ से लदा हिमालय देख सकते हैं। यहां ट्रैकिंग का खास आकर्षण है। ईटानगर से जीरो 167 किलोमीटर दूर है।धर्मशाला और डलहौजी में मौज
कांगड़ा घाटी में बसे धर्मशाला की जलवायु और वातावरण बहुत सुहावना रहता है। धौलाधार के पहाड़ियों से घिरा यह अंचल जहां चारों तरफ देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ है। यहां की सांस्कृतिक विशेषता और शिल्प कला भी देखने लायक है। यहां आपको भारतीय और तिब्बती व्यंजनों को चखने का मौका भी मिलेगा। धर्मशाला से 120 किलोमीटर दूर डलहौजी ऐसा पर्यटन स्थल है जहां पूरे साल जाया जा सकता है। पहाड़ियों से घिरे इस मनोरम स्थल पर्यटन स्थल पर आप झर-झर बहते प्राकृतिक झरने, कल-कल बहती झीलें और हरियाली से लदे पेड़ चारों तरफ देख सकते हैं। बच्चों और बड़ों के लिए मौज-मस्ती करने के लिए काफी कुछ है। जैसे ट्रैकिंग, रिवर राफ्टिंग, कैनोइंग, कयाकिंग और कैंपिंग। यहां की वादियां मन को प्रसन्न कर देती हैं। यह दिल्ली से 555 किलोमीटर दूर है। यहां पास ही 24 किलोमीटर दूर खज्जियार है जहां आप प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। साथ ही घुड़सवारी, पैराग्लाइडिंग आदि का भी आनंद ले सकते हैं।सिक्किम का दम-खम
कहते हैं पर्यटन के शौकीन हर व्यक्ति को जीवन में एक बार सिक्किम जरूर जाना चाहिए। उत्तर पूर्वी भारत का गलियारा सिक्किम राज्य प्राकृतिक छटा से भरपूर है। यहां बच्चों व बड़ों के मनोरंजन के लिए काफी कुछ है। प्रकृति प्रेमियों का तो यहां से लौटने का ही मन नहीं करता। यहां आप गंगटोक में ट्सोमगो झील, नाथूला दर्रा, पेलिंग, रूमटेक के मठ की खूबसूरती, यामतांग घाटी, नामची, जुलुक और लाचेन जैसी जगहों पर खूब एंजॉय करेंगे। मार्च से अक्तूबर तक यहां मौसम सुहाना रहता है। शाकाहारी लोगों को यहां खाने-पीने की कुछ असुविधा हो सकती है। इसलिए आपको स्नेक्स, होममेड फूड, ड्राई फ्रूट्स और बिस्किट जैसी चीजें साथ रखनी चाहिए। दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा यहां का विशेष आकर्षण है। यहां खाने के लिए आपको नेपाली, तिब्बती और सिक्किम के स्थानीय व्यंजन मिलेंगे जो ज्यादतर मांसाहारी हैं।