जॉब के लिए डिप्लोमा फायदेमंद
जो विद्यार्थी 12वीं के बाद 3-4 साल की डिग्री के बजाय कम समय में किसी स्किल में माहिर होकर नौकरी चाहते हैं तो उनके लिए डिप्लोमा करना बेहतर विकल्प है। कम लागत में पैरा-मेडिकल साइंसेज व तकनीकी फील्ड संबंधी कई अच्छे डिप्लोमा कोर्स हैं, जिनकी बदौलत नौकरी मिल जाती है।
कीर्तिशेखर
डिग्री और डिप्लोमा में क्या ज्यादा महत्वपूर्ण है और कैरियर के लिहाज से किसे प्राथमिकता देनी चाहिए? इस पर कोई आसान निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता। हालांकि व्यावहारिक तौर पर निर्णय ले सकते हैं। जैसे अगर हमें कम उम्र में ही नौकरी की किसी भी वजह से दरकार है और हमारा मन स्किल आधारित काम में ज्यादा लगता है तो निश्चित रूप से डिग्री के मुकाबले डिप्लोमा सही रहेगा। डिप्लोमा उनके लिए बड़े सहारे के रूप में सामने आते रहे हैं जिनकी पढ़ने में रुचि कम हो या आर्थिक स्थितियों के चलते पढ़ नहीं सकते। सैकड़ों ऐसे डिप्लोमा हैं, जो 12वीं तक की पढ़ाई करने के बाद किये जा सकते हैं और वे मजबूत कैरियर की गारंटी देते हैं।
डिप्लोमा की ताकत
सिर्फ 12वीं तक पढ़ाई के बाद कई तरह के डिप्लोमा जॉब पाने के लिए कारगर हथियार बन सकते हैं। विशेषकर उन लोगों के लिए ये फिट बैठते हैं, जो कम उम्र में ही रोजगार पाना चाहते हैं या किसी एक फील्ड में माहिर बनना चाहते हैं, क्योंकि डिप्लोमा महज 6 महीने से लेकर 3 साल तक की अवधि तक के उपलब्ध हैं। इसलिए 12वीं के बाद 3 या 4 या इससे भी ज्यादा साल की डिग्री के बजाय कम से कम समय में किसी हुनर में माहिर होकर नौकरी चाहते हैं तो डिप्लोमा करना चाहिए। कम लागत से भी कई अच्छे डिप्लोमा कोर्स किये जा सकते हैं, जिनकी बदौलत नौकरी मिल जाती है। खासकर आईटीआई या पॉलीटेक्निक कोर्स बहुत कम फीस में हो जाते हैं और इनकी बदौलत नौकरी मिल जाती है।
सरकारी नौकरियों हेतु मान्यता
डिप्लोमा चूंकि जॉब ओरिएंटेड ट्रेनी कोर्स होते हैं या कहें डिप्लोमा में थ्योरी पढ़ाने से ज्यादा ट्रेनिंग पर जोर दिया जाता है, इसलिए ज्यादातर प्राइवेट कंपनियां डिग्रीधारकों की बजाय काम की ट्रेनिंग लेने वाले डिप्लोमाधारकों को चयन में वरीयता देती हैं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि डिप्लोमाधारी सिर्फ प्राइवेट सेक्टर में ही जॉब पाते हैं। डिप्लोमाधारक गवर्नमेंट की नौकरियों के लिए विशेष पसंद होते हैं। खासकर रेलवे, एसएससी, पीएसयू कंपनियों और सेना आदि के पदों में डिप्लोमाधारकों को चयन में वरीयता दी जाती है। कुछ टेक्निकल पदों पर केवल डिप्लोमाधारकों को ही रखा जाता है जैसे- जूनियर इंजीनियर और टेक्नीशियन के पद।
बंद नहीं होते उच्च शिक्षा के द्वार
अगर किसी मजबूरी से कैरियर की शुरुआत में आप लंबे समय की डिग्री हासिल करने में असमर्थ थे और इस तरह डिप्लोमा करके जॉब करने लगे, तो इसका मतलब यह नहीं है कि आपके लिए उच्च शिक्षा के दरवाजे हमेशा के लिए बंद हो गये हैं। आप कभी भी जॉब से ब्रेक लेकर अपनी डिग्री की पढ़ाई पूरी कर सकते है। डिग्री करने में डिप्लोमा कोई बाधा नहीं बनेगा बल्कि ज्यादातर जगहों में सहारा बनेगा। मसलन पॉलिटेक्निक डिप्लोमा के बाद लेट्रल एंट्री से बीटेक में दाखिला लेना चाहते हैं, तो सीधे दूसरे साल में दाखिला मिलता है यानी आपको वरीयता दी जाती है और एक साल का ग्रेस भी।
इन क्षेत्रों में है डिप्लोमा की मांग
कई क्षेत्रों में डिग्री से ज्यादा डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करने वालों की मांग है। मसलन पैरा-मेडिकल साइंसेज के क्षेत्र में कई डिप्लोमा कोर्स हैं जैसे- रेडियोलॉजी, डॉयलेसिस टेक्नीशियन और ओटी टेक्नीशियन। ये सारे डिप्लोमा सरकारी मेडिकल कॉलेज, निजी पैरा-मेडिकल संस्थान कराते हैं और यहां न सिर्फ नियमित डिग्री के मुकाबले डेढ़ से तीन साल तक कम समय लगता है बल्कि डिप्लोमा पाते ही 15 हजार से 30 हजार रुपये की फ्रेशर की नौकरियां आपका इंतजार करती मिलती हैं। यही हाल टेक्निकल डिप्लोमा का भी है। खास करके आईटीआई कोर्सेज जिसमें इलेक्ट्रीशियन, फिटर, प्लंबर, मैकेनिक, वेल्डर आदि शामिल हैं। यहां भी 15 से 25 हजार रुपये प्रतिमाह की नौकरी मिल जाती है। आईटीआई के डिप्लोमाधारकों को विशेष तौरपर सरकारी संस्थानों में भी प्राथमिकता मिलती है। इसी क्रम में डिजिटल मार्केटिंग और ग्राफिक डिजाइन में भी शानदार कैरियर उपलब्ध हैं और वह भी महज 6 से 12 महीने का डिप्लोमा किये होने पर। डिजिटल मार्केटिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग में डिप्लोमा करने के बाद नौकरी के अलावा फ्रीलांसिंग के भी बेहतर चांस हैं। कंपनियां ऐसे लोगों से काम कराना चाहती हैं, जिन्होंने डिजिटल मार्केटिंग और ग्राफिक डिजाइनिंग का कोर्स कर रखा है।
हॉस्पिटैलिटी और होटल मैनेजमेंट
हॉस्पिटैलिटी और होटल मैनेजमेंट में भी एक से तीन साल के ऐसे कई महत्वपूर्ण डिप्लोमा कोर्स उपलब्ध हैं,जिन्हें करने के बाद विशेषकर हॉस्पिटैलिटी इंडस्ट्री आपका स्वागत करती है, क्योंकि इस क्षेत्र में आने वाले एक-डेढ़ दशक तक डिप्लोमाधारियों की मांग बनी रहेगा। होटल, क्रूज, एयरलाइंस और रेस्टोरेंट के क्षेत्र हैं, जहां होटल मैनेजमेंट और हॉस्पिटैलिटी कोर्स का आपको लाभ होगा। दरअसल, यह आप पर निर्भर है कि इन स्थितियों का कितना बेहतर फायदा उठा पाते हैं। कई क्षेत्रों में डिप्लोमाधारकों की मांग डिग्रीधारकों से काफी ज्यादा है। इसलिए अगर कम उम्र में डिप्लोमा करने का मौका मिले तो न चूकें। -इ.रि.सें.