For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

जैव विविधता बचाने को हो वन्य जीवों का संरक्षण

04:05 AM Feb 28, 2025 IST
जैव विविधता बचाने को हो वन्य जीवों का संरक्षण
Advertisement

विश्व वन्यजीव दिवस का इस बार की थीम ‘वन्यजीव संरक्षण वित: लोगों और ग्रह में निवेश’ के तहत वन्यजीवों और उनके आवासों की सुरक्षा के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने का आह्वान किया गया है। इसका उद्देश्य न केवल जैव विविधता की रक्षा करना है, बल्कि इसके माध्यम से स्थानीय समुदायों और समग्र पारिस्थितिकी तंत्र को भी लाभ पहुंचाना है।

Advertisement

के.पी. सिंह
वन्यजीव संरक्षण सिर्फ मानव जीवन की गुणवत्ता के लिए ही नहीं बल्कि मानव जीवन के अस्तित्व के लिए भी जरूरी है। हर साल 3 मार्च को मनाये जाने वाले विश्व वन्यजीव दिवस की इस बार थीम है, ‘वन्यजीव संरक्षण वित्त : लोगों और ग्रह में निवेश’। वास्तव में इसका मतलब वन्यजीवों और उनके प्राकृतिक आवासों के संरक्षण हेतु आर्थिक संसाधनों का प्रबंध करना है ताकि न केवल जैव विविधता की रक्षा हो सके बल्कि इसका लाभ समाज और समूची धरती को भी मिले। इस थीम के बहुत गहरे मायने हैं। अगर वन्यजीवों और उनकी पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के लिए वन्यजीवन पर आर्थिक निवेश नहीं किया गया, तो दुनिया की एक बहुत बड़ी आबादी भी विकास से वंचित हो जायेगी।
वन्यजीव संरक्षण पर किये गये निवेश से जनजातीय समुदाय तो लाभान्वित तो है ही, इको टूरिज्म, वैकल्पिक रोजगार और प्राकृतिक संसाधनों का सतत उपयोग स्थानीय लोगों के जीवनस्तर को बेहतर बनाता है। हालांकि यह भी जानना जरूरी है कि वन्यजीव संरक्षण दिवस जनजातीय समुदायों के विकास के लिए नहीं मनाया जाता बल्कि इसे मनाये जाने के पीछे लगातार वन्यजीवों का विनाश है। हर साल 3 मार्च को विश्व वन्यजीव दिवस मनाने का मकसद वन्यजीवों और वनस्पतियों के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ाना और लोगों के मन में वन्यजीवन के प्रति सम्मान पैदा करना है।
वैसे हर साल की अलग थीम के अलावा वन्यजीव दिवस मनाये जाने की जो स्थानीय थीम है, उसका मकसद वन्यजीवों और वनस्पतियों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। जाहिर है ये जागरूकता बढ़ाने के लिए बड़े पैमाने पर वित्तीय संसाधनों की भी जरूरत है। इसलिए विश्व वन्यजीव संरक्षण दिवस के दिन तमाम वित्तीय संगठन, विभिन्न सरकारें, नागरिक समाज और कार्पोरेट जगत मिलकर इन संसाधनों के जुटाने पर विचार विमर्श करता है। इस साल विशेष रूप से सही थीम है कि दुनियाभर के वन्यजीव को बचाने के लिए जिस व्यापक पैमाने पर वित्त की जरूरत है, उसकी व्यवस्था कब, कैसे और कहां से हो। जब वन्यजीव संरक्षण पर निवेश की बात होती है तो स्पष्ट कर दिया जाता है कि इसका मतलब स्थानीय समुदायों को संसाधनों से बेहतर बनाना है। अगर वन्यजीव संरक्षण पर निवेश होता है तो धरती में पारिस्थितिकी के संतुलन की उम्मीद की जा सकती है वर्ना वन्यजीव के निरंतर विनाश से जलवायु परिवर्तन के बेलगाम होने और प्राकृतिक आपदाओं की बाढ़ आना भी तय है। इसलिए वन्यजीवन बचाने के लिए किये गये निवेश को धरती को बचाने के लिए किया गया निवेश कहते हैं।
अगर वन्यजीव संरक्षण के लिए निवेश किया गया तो पारिस्थितिकी संतुलन भी मजबूत होगा, जलवायु परिवर्तन में रोक लगेगी, प्राकृतिक आपदाओं में कमी आयेगी और पारिस्थितिक सेवाएं जैसे स्वच्छ जल, हवा आदि को भी संरक्षण मिलेगा, जो कि न सिर्फ मानव जीवन को स्वस्थ बनाये रखने के लिए बल्कि इसे संरक्षण देने के लिए भी जरूरी है। वन्यजीव पारिस्थितिकी तंत्र का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह खाद्य शृंखला को संतुलित रखते हैं और प्राकृतिक चक्रों जैसे कार्बन और नाइट्रोजन चक्र को सुचारू रूप से चलाने में मददगार होते हैं। इसलिए किसी भी जीव प्रजाति के विलुप्त होने का असर इंसानों के जीवन के लिए बढ़ते खतरे के रूप में होता है। क्योंकि प्रकृति से कोई भी जीव प्रजाति जब लुप्त होती है, तो उस स्तर का असंतुलन पैदा होता है और इससे समूचे पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ता है।
वन्यजीव संरक्षण जलवायु परिवर्तन को भी रोकने में सहायक है क्योंकि जंगलों मंे रहने वाले जीव जंतु और पेड़-पौधे जलवायु परिवर्तन को अपनी तरह से नियंत्रित करते हैं। मसलन हाथी जंगलों में बीजों का फैलाव करते हैं, जिससे वनों का न केवल विकास उनका सघनीकरण होता है। वन कार्बनडाइऑक्साइड को अवशोषित करते हैं और कार्बनडाइऑक्साइड के अवशोषित होने से ग्लोबल वार्मिंग का खतरा कम होता है। वन्यजीवों के संरक्षण से जलस्रोतों की रक्षा होती है। इसी तरह वन्यजीव संरक्षण जैव विविधता को बढ़ाता है; क्योंकि वन्यजीव संरक्षण का मतलब जैव विविधता का संरक्षण है। धरती को बचाने में हर जीव की अपनी एक भूमिका होती है। यदि कोई जीव लुप्त होता है तो उसके हिस्से की भूमिका कोई दूसरा नहीं उठाता और इस तरह जैव विविधता का नुकसान होता है। मसलन अगर जंगल में शेर और बाघ जैसे शिकारी जीव कम हो जाएंगे तो हिरण और जंगली सूअर जैसे शाकाहारी जीवों की संख्या बढ़ जायेगी और वो जंगलों का सफाया कर डालेंगे। इ.रि.सें.

Advertisement
Advertisement
Advertisement