नयी दिल्ली, 30 मई (एजेंसी)देश की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही में सालाना आधार पर धीमी होकर 7.4 प्रतिशत पर आ गई। इससे पूरे वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि चार साल के निचले स्तर 6.5 प्रतिशत पर रही। शुक्रवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों में यह जानकारी दी गई। वित्त वर्ष 2023-24 की जनवरी-मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 8.4 प्रतिशत, जबकि समूचे वित्त वर्ष में 9.2 प्रतिशत रही थी।2024-25 की चौथी तिमाही में वृद्धि दर भले ही सालाना आधार पर नरम पड़ी है, लेकिन अन्य तिमाहियों की तुलना में इसका प्रदर्शन बेहतर हुआ है। देश की अर्थव्यवस्था अक्तूबर-दिसंबर 2024 तिमाही में 6.4 प्रतिशत, जुलाई-सितंबर में 5.6 और अप्रैल-जून में 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ी थी। वित्त वर्ष में 6.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि, फरवरी में जताए गए सरकारी अनुमानों के अनुरूप ही है।इस समग्र प्रदर्शन के दम पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार बढ़कर 330.68 लाख करोड़ रुपये यानी लगभग 3.9 लाख करोड़ डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 3.6 लाख करोड़ डॉलर था। इस तरह भारत मार्च, 2025 के अंत में अमेरिका, चीन, जर्मनी और जापान के बाद दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था रहा। चालू वित्त वर्ष में भारत की वृद्धि दर 6.3 से 6.8 प्रतिशत रहने के अनुमान को देखते हुए, पूरी संभावना है कि वह जापान से आगे निकलकर चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा।विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर घटकर 4.5 प्रतिशत रही, जबकि 2023-24 में 12.3 प्रतिशत थी। कृषि क्षेत्र में सुधार के साथ वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत हो गयी, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 2.7 प्रतिशत थी। बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य जन-केंद्रित सेवाओं में चौथी तिमाही के दौरान 5.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो एक साल पहले की समान अवधि में 8.8 प्रतिशत थी।सरकार ध्यान भटकाने की कोशिश में : कांग्रेसकांग्रेस ने शुक्रवार को कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में 6.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर मौजूदा परिस्थितियों में काफी कम है, लेकिन सरकार ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘जनवरी-मार्च, 2025 में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि एक साल पहले के 11.3 प्रतिशत के मुकाबले 4.8 प्रतिशत रही, लेकिन इस वास्तविकता को देखने के बजाय सरकार ने एक बार फिर चीजों से ध्यान भटकाने का रास्ता अपनाया है।