जारी है सीक्वल का फंडा...
बॉलीवुड में सीक्वल बनाने का ट्रेंड चल पड़ा है। जिस निर्माता की भी एक फिल्म हिट होती है, वह उसका सीक्वल बनाना चाहता है। उन्हें लगता है कि पिछली हिट के सहारे सीक्वल चल निकलेगा। लेकिन कई बार यह सोच गलत साबित होती है जब दर्शकों का प्रतिसाद नहीं मिलता।
असीम चक्रवर्ती
जल्द ही अक्षय कुमार की फिल्म ‘केसरी-2’ और अजय देवगन की ‘रेड-2’ दर्शकों के बीच में आएगी। यही नहीं, ‘मेट्रो इन लाइफ’, ‘इश्क विश्क रिबाउंड’, ‘हाउसफुल-5’, ‘हेरा फेरी-3’, ‘स्त्री-3’, ‘भूल-भुलैया-3’, ‘वेलकम टु जंगल-वेलकम-3’, ‘वॉर-2’, ‘डॉन-3’, ‘दबंग-4’ आदि कई फिल्में ऐसी हैं, जिनकी फ्रेंचाइजी पर इन दिनों काम चल रहा है। बॉलीवुड फिल्मों के जानकार राजगोपाल नांबियार के मुताबिक, ‘ऐसे कई प्रोड्यूसर हैं, जिनकी पहली फिल्म बहुत सफल हो जाती है, तो वह उसकी फ्रेंचाइजी बनाने के लिए बेहद उत्सुकता दिखाते हैं।’ बात वाजिब है जैसे कि विख्यात फिल्मकार राकेश रोशन की ‘कृष’ क्या सफल हुई, वह लगातार इसी फ्रेंचाइजी की फिल्में बना रहे हैं। अब उनकी ‘कृष-4’ को उनके अभिनेता बेटे ऋतिक रोशन उनके अस्वस्थता के चलते इसे डायरेक्ट भी करेंगे।
सफलता बड़ा पैमाना
कुछ ट्रेड पंडितों का मानना है कि ऐसी फिल्मों के सफल निर्माताओं के बीच होड़ लगी हुई है। जिस निर्माता की भी एक फिल्म हिट होती है, वह उसी फिल्म का सीक्वल बनाना चाहता है। ट्रेड विश्लेषक नांबियार कहते हैं, ‘उन्हें लगता है कि पिछली हिट के सहारे सीक्वल फिल्म को आसानी से दर्शकों को परोसा जा सकता है। दर्शक सोचते हैं कि पिछली फिल्म मनोरंजक थी, तो यह भी मनोरंजक होगी। इसलिए वे सीक्वल फिल्म को लेकर भी उत्सुक हैं।’ यह बात कई बार सच भी होती है। जैसे कि ‘कृष’, ‘हेरा-फेरी’, ‘केसरी’, ‘रेड’, ‘हाउसफुल’ आदि के निर्माता अपनी फ्रेंचाइजी फिल्मों की सफलता से अभिभूत हैं।
निर्माताओं का मोह
ज्यादातर निर्माता सिर्फ मार्केट को ध्यान में रखकर प्रोजेक्ट की घोषणा कर रहे हैं। सीक्वल की घोषणा होते ही ट्रेड मुगालते में आ जाता है कि हिट फिल्म का सीक्वल है, इसलिए प्रोजेक्ट अच्छा ही होगा। मगर कई बार यह सोच गलत भी साबित होती है, अक्षय की ‘बड़े मियां छोटे मियां’ को उम्मीद के मुताबिक सफलता नहीं मिली। इसी तरह जहां ‘सिंघम रिटर्न’ फ्लॉप हो गई, वहीं ‘स्त्री-2’ और ‘भूल-भुलैया-3’ को औसत सफलता ही मिली। पर बावजूद इसके इस मृगतृष्णा से बहुत कम निर्माता बचते हैं। मसलन, ‘हाउसफुल’ बड़ी हिट कभी नहीं थी। पर लगातार इसकी फ्रेंचाइजी बन रही है। ‘हाउसफुल-5’ को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
पहली पसंद हैं अक्षय
ऐसी फिल्मों के पसंदीदा हीरो के तौर पर अक्षय का नाम सबसे ऊपर आता है। ‘केसरी-2’ की बात जाने दें, ‘हाउसफुल-5’, ‘हेरा-फेरी-3’, ‘ओ माई गॉड-3’, ‘वेलकम टु जंगल-वेलकम-3’ आदि आधा दर्जन से ज्यादा सीक्वल फिल्मों के हीरो वह हैं। हालांकि अंट-शंट फिल्मों से तंग आकर अक्षय अपनी हर फिल्म पर पैनी नजर डाल रहे हैं। धर्मा प्रोडक्शन की ‘केसरी-2’ के एक निर्माता वह भी हैं। जलियांवाला बाग कांड में जिन निर्दोष लोगों की जान गई थी, उन शहीदों की पैरवी जिस दक्षिण भारतीय वकील श्रीशंकरन नायर ने की थी, उसकी कहानी यह फिल्म बयां करती है। जाहिर है अक्षय फ्रेंचाइजी के नाम पर कोई भी फिल्म करने के लिए तैयार नहीं हैं।
हिरानी ‘मुन्नाभाई’ की शरण में
‘लगे रहो मुन्नाभाई’ के बाद इसके क्रिएटर राजकुमार हिरानी ने इसकी तीसरी फ्रेंचाइजी फिल्म ‘मुन्नाभाई चले अमेरिका’ पर फिल्म बनाने का पूरा मन बना लिया था। पर फिर वह अपने ‘पीके’, ‘थ्री इडियट्स’, ‘संजू’ जैसे प्रोजेक्ट में मशगूल हो गए।
कहानी पर मेहनत
हिरानी अपने सीक्वल में भी एक नई कहानी पेश करते हैं। बस, पिछली फिल्म के दो-तीन प्रमुख पात्रों को लेकर वह इसकी कहानी को आगे बढ़ाते हैं। इसलिए उनकी फिल्में पूरी तरह से सीक्वल नहीं होती । लेकिन दूसरे फिल्मकार इस तरह का परिवर्तन करके भी एक नई कहानी पेश नहीं कर पाते हैं। इसकी मुख्य वजह कमजोर कहानी है। जिसके चलते ये फिल्में न सीक्वल बन पाती हैं, न ही कोई अलग फिल्म। ट्रेड विश्लेषक नरेंद्र गुप्ता बताते हैं, ‘ हिट फिल्म का पीछा निर्माता आसानी से छोड़ना नहीं चाहते। यदि हिट फ्रेंचाइजी का सहारा ही लेना है, तो कुछ नया बनाइए। वरना ‘रेस-3’, ‘सिंघम रिटर्न’, ‘बड़े मियां छोटे मियां’ जैसी हालत होती है।’ बात वाजिब है। यहां फिल्मकार राकेश रोशन का उदाहरण देना ठीक होगा। वह इन दिनों ‘कृष-4’ की स्क्रिप्ट की तैयारी कर रहे हैं। ‘कोई मिल गया’ के बाद उन्होंने ‘कृष’ बनाई। फिर ‘कृष-2’, ‘कृष-3’ बनाई। हर बार एक नई कहानी के साथ वह दर्शकों के बीच आए। लेकिन पिछली कहानी से उसका रिश्ता जुड़ा रहा। ज्यादातर ट्रेड पंडित मानते हैं कि सीक्वल को हर बार एक नए क्रिएशन के साथ परोसना पड़ेगा।