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जाने-अनजानों को सुख देकर पायें अपनी खुशियां

04:05 AM Mar 18, 2025 IST
जाने अनजानों को सुख देकर पायें अपनी खुशियां
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खुद खुश रहने के कई उपायों में दूसरों को खुशी देना भी शामिल है। अपने परिवार के अलावा अपरिचितों को भी खुशी देने का भाव इसमें मददगार है। स्नेह-सम्मान, संभाल-देखभाल और साझेदारी-सहयोग से सबको सुख मिल सकता है। यानी सभी को उनके हिस्से की खुशी देने की कोशिश करें।

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डॉ. मोनिका शर्मा
खुशियां चाहने की इच्छा हर इंसान के मन में होती है। अपने लिए सुख जुटाने की चाहत हर दिल रखता है। हर पल आनंदित रहने की कामना दुनिया के हर हिस्से में बसा इंसान करता है, पर अपनी खुशियां ढूंढते हुए दूसरों का ख्याल कम ही आता है। यह बात भुला दी जाती है कि खुशी किसी और को खुश करके भी मिल सकती है। जबकि बहुत कुछ ऐसा भी किया जा सकता है जिसमें औरों की खुशियों के लिए सोचने और उन्हें साकार करने के लिए कुछ विशेष करना भी नहीं पड़ता। स्नेह, सम्मान और सहयोग से जुड़ी बहुत आम सी बातों से किसी का भी मन हर्षित हो जाता है। जिससे आपके मन को भी प्रसन्नता की सौगात मिल सकती है। साल 2025 में इंटरनेशनल डे ऑफ हैप्पीनेस की थीम भी ‘शेयरिंग इज़ केयरिंग’ है। संभाल-देखभाल और साझेदारी की भावनाओं से जुड़ा यह विषय भी परिचित ही नहीं, अपरिचितों के लिए भी सहज भाव-बर्ताव को अपनाने से जुड़ा है।
मुस्कुराहट भरा अभिवादन
परम्परागत रूप से तो हमारे यहां अभिवादन का विशेष महत्व है ही, आज की आपाधापी में भी मुस्कुराहट भरा अभिवादन किसी को भी खुशी दे सकता है। बच्चे हों या बड़े, आयु और परिचय के अनुसार मान देते हुए किसी को ग्रीट करना खुशी बढ़ाने वाला व्यवहार है। दरअसल, मिलने-जुलने या राह चलते टकरा जाने पर किया जाने वाला स्नेह पगा अभिवादन कोई औपचारिकता भर नहीं बल्कि इंसान के मनोविज्ञान जुड़े कई पहलू लिए है। बात चाहे खुशदिली से बच्चों के हाल जानने की हो या मान से साथ बड़ों के हालचाल पूछने की। बिना कोई मोल चुकाये किया जाने वाला यह बर्ताव हर किसी के मन को खुशी देता है। घर के भीतर इस अहसास को बढ़ाता है कि अपनों में परवाह का भाव है। वहीं घर से बाहर आस-पड़ोस या परिचितों का आदर के साथ अभिवादन करना भी उन्हें परिवेश में अपनी मौजूदगी और पहचान के कायम होने का सुख देता है। स्नेह-सम्मान से अभिवादन करने से अपरिचित व्यक्ति के मन को भी खुशी मिलती है। यूं भी अभिवादन आपसी बातचीत के बुनियादी कामों में से एक है। जो सकारात्मक संवाद का शुरुआती कदम है। चुप्पी ओढ़ती इस दुनिया में खुशियों के गुम होने का अहम कारण संवाद की कमी ही है। ऐसे में मुस्कुराहट भरा अभिवादन वाकई खुशियां पाने और देने का सुंदर व्यवहार है।
सम्मान देने की सोच
टैक्सी ड्राइवर हो, होटल में वेटर या फिर घर या दफ्तर में आपका सपोर्ट स्टाफ- सम्मान के साथ उनके नाम से उन्हें बुलाएं यह बात ऊंच-नीच से परे सबके काम का मान करने वाली ही नहीं, हर इंसान को सम्मान देने वाली भी है। अपना नाम हर किसी को प्रिय होता है। उसे सही ढंग से पुकारा जाना वाकई खुशी देने वाला होता है। इसीलिए छोटू, ड्राइवर या वेटर कहने के बजाय नाम पूछकर उनके नाम से बुलाएं यह काम खुशनुमा व्यवहार और अपनेपन के सहज अंदाज़ में कीजिए। इससे उनके चेहरे पर आई प्रसन्नता की चमक आपके मन को भी खुशी की सौगात दे जाएगी। इतना ही नहीं, किसी को नाम से पुकारना उस इंसान से जुड़ने का प्रभावी और सार्थक तरीका है। खुशियों की तलाश भी इस मानवीय जुड़ाव के बिना अधूरी है। बिना किसी भेदभाव के सबको सम्मान देने से हर ओर खुशियां फलती-फूलती हैं।
भावनात्मक सहारा
असल में यह मायने नहीं रखता कि आप कितने खुश हैं बल्कि मायने यह रखता है कि आपकी वजह से लोग कितने खुश हैं। याद रहे कि किसी को भी खुशी देने के लिए इमोशनल सपोर्ट देना सबसे अहम है। अकेलेपन और बिखरती मनः स्थिति के इस दौर में बिना स्वार्थ के किसी अपने-पराये को भावनात्मक सहारा देने का भाव आपके मन को भी मजबूती देगा। यह आत्मविश्वास और सहयोगी भाव वाकई सच्ची खुशी देने वाला होता है। इसके लिए ज्यादा कुछ नहीं करना होता। किसी के मन की व्यथा सुनना, किसी की उपलब्धि से मिले सुख का साझीदार बनना या तकलीफदेह दौर में ‘सब ठीक हो जाएगा’ भर कहना भी बहुत बड़ा सहारा होता है। इतना ही नहीं, वैचारिक जद्दोजहद के माहौल में ठहराव के साथ किसी का नज़रिया समझना भी दोनों ही पक्षों को बहुत खुशी देता है।
जड़ों से जुड़ाव
अपनी जड़ों से जुड़ा रहना हर उम्र के लोगों को खुशी देता है। साथ ही यह जुड़ाव दूसरों को भी प्रसन्नता देने वाला है। इसीलिए कि सामाजिक-सांस्कृतिक आयोजन या पर्व उत्सव अकेले नहीं मनाए जा सकते। यह साझी खुशी है। सबका साथ ही इस उल्लास को जीवंत बनाता है। इस सामाजिकता के भाव-चाव के चलते ही महिलाएं पुरुषों से अधिक खुश रहती हैं। एक अध्ययन के मुताबिक अपने मिलनसार स्वभाव के साथ-साथ पसंद की छोटी-छोटी चीजें भी महिलाओं को बहुत खुशी देती हैं। हैप्पीनेस को लेकर ब्रिटेन की दो यूनिवर्सिटीज में अध्ययन करने वाले बिहेवियरल साइंटिस्ट क्रिस्टोफर बॉयस द्वारा 25 देशों में खुशी के कारण तलाशने के लिए की गई यात्रा के बाद पाया गया कि परिवार और समुदाय से जुड़ाव खुशहाल जीवन का सबसे अहम फैक्टर है। ‘अ जर्नी फॉर हप्पीनेस’ के लेखक क्रिस्टोफर बॉयस ने यह भी पाया कि सोशल लाइफ में संवाद रखने वाले लोगों में कमाल का धैर्य और चीजों के प्रति सहज स्वीकार्यता होती है। जिससे वे हर हाल में खुश रहते हैं। इसीलिए कल्चरल थाती से जुड़े रहें। यह विरासत दुनिया के हर हिस्से में बसे इंसान के लिए साझे सुख का प्यारा संसार रचती है।

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