जहां हर पैडल से बढ़े सेहत और सुकून
भागदौड़ भरी जिंदगी, असंतुलित खानपान और तनाव के कारण कम उम्र में ही लोग बीमारियों से घिरने लगे हैं। ऐसे में साइकिलिंग एक सरल, प्रभावशाली और हर उम्र के लिए उपयुक्त व्यायाम है, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य सुधारती है बल्कि मानसिक सुकून और आत्मविश्वास भी बढ़ाती है।
नम्रता नदीम
खानपान में होने वाले बदलाव, निष्क्रिय जीवनशैली और जीवन में बढ़ते तनाव के कारण कम उम्र में ही लोग गंभीर बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। ऐसे में स्वस्थ रहने के लिए फिजिकल एक्टिविटी बेहद जरूरी है। इन एक्टिविटी में साइकिलिंग भी एक ऐसी एक्टिविटी है, जिसे करके हम न केवल वजन घटा सकते हैं बल्कि मोटापा, टेंशन, डायबिटीज और दिल संबंधी बीमारियों के जोखिम को कम कर सकते हैं।
साइकिल चलाने से मसल्स को टोंड करने, हड्डियों को मजबूत करने, बैली फैट कम करने और बॉडी फैट को बर्न किया जा सकता है। साइकिल चलाने के लिए सुबह का समय सबसे उपयुक्त होता है। क्यांेकि खाली पेट साइकिल चलाने से बॉडी फैट जल्दी बर्न होता है। शुरुआती दौर में सीधी सपाट रोड पर साइकिलिंग और बाद में ज्यादा कैलोरीज बर्न करने के लिए तथा वजन घटाने के लिए चढ़ाई पर भी साइकिलिंग की जा सकती है।
पोस्चर महत्वपूर्ण
जिस समय साइकिल चला रहे हों, आपका पोस्चर और शीट पर फोकस करें। साइकिल चलाते समय एक ही पोस्चर में न रहकर उसमें बदलाव करते रहें ताकि शरीर के दूसरे हिस्सों पर भी जोर पड़े। साइकिलिंग दिल के स्वास्थ्य के लिए बहुत बेहतर एक्सरसाइज है। इससे ब्लड सकुलेशन से जुड़े जोखिम को कम कर सकते हैं। जो लोग ऑफिस या किसी दूसरे स्थान पर दिनभर बैठकर काम करते हैं, उनके लिए साइकिलिंग इसलिए भी बेहतरीन एक्सरसाइज है, क्योंकि इससे डायबिटीज का खतरा कम होता है। साइकिल चलाने से इंसुलिन लेवल कम होता है।
पैडलिंग का प्रभाव
साइकिलिंग के दौरान पैरों की पैडलिंग पर आप कितना समय देती हैं, ये मायने रखता है। इसके लिए पहले समय निर्धारित करना चाहिए। साइकिलिंग के रुटीन को शुरू करने से पहले कहां से पैडलिंग करनी है और कहां आराम से राइड करना है, यह ध्यान रखना जरूरी है। पैरों की मदद से जब पैडलिंग की जाती है तो पैर ऊपर से नीचे की तरफ एक्टिविटी करते हैं। इससे पैरों की मसल्स से लेकर शरीर के निचले हिस्से और ऊपर के हिस्से की मसल्स मजबूत होती हैं और शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है। प्रतिदिन एक घंटे अगर साइकिलिंग की जाए तो 500 कैलोरी बर्न होती है और इससे वजन भी जल्दी कम होता है। विभिन्न शोध इस बात की ओर इशारा करते हैं कि महिलाओं के लिए साइकिलिंग एक लाभप्रद एक्सरसाइज है। यह उनमें ब्रेस्ट कैंसर के जोखिम को कम करती है। जोड़ों से जुड़ी समस्याओं की रोकथाम करने के लिए भी साइकिलिंग काफी फायदेमंद होती है। ऑर्थराइट्स में यह एक अच्छी एक्सरसाइज है। इससे मसल्स मजबूत होती हैं और एनर्जी लेवल भी बढ़ता है। साइकिलिंग मन की स्थिति में बदलाव लाकर हमारे मूड को सही करती है और इससे हमें डिप्रेशन और टेंशन कम होता है।
किन्हें रखना चाहिए परहेज
जिन्हें घुटनों संबंधित बीमारी हो, उन्हें साइकिलिंग नहीं करनी चाहिए, क्योंकि साइकिलिंग के दौरान ज्यादा एनर्जी का इस्तेमाल करना पड़ता है, इससे सांस फूलने लगती है, अस्थमा के रोगियों को भी डॉक्टर की सलाह के बाद ही साइकिलिंग जैसी एक्सरसाइज करनी चाहिए। जिन्हें थकान जल्दी होती है, उन्हें भी साइकिलिंग से बचना चाहिए। क्योंकि साइकिलिंग के दौरान मसल्स पर जोर पड़ता है और इससे स्ट्रोक हो सकता है।
रहें फिट आफ्टर फिफ्टी
जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, हमारी हड्डियां और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं, जिसके कारण व्यायाम करना मुश्किल होता है। अलबता उम्र बढ़ने के बावजूद साइकिल चलाना एक ऐसा व्यायाम है, जो आसानी से हो सकता है और जिसके कई फायदे हैं। विभिन्न अध्ययन इस बात की पुष्टि करते हैं कि साइकिल चलाने से उम्र बढ़ने की प्रक्रिया धीमी होती है। साइकिल चलाने से लंबे समय तक जीने में मदद मिल सकती है। नियमित रूप से साइकिल चलाने वालों में कैंसर, हृदय रोग और मृत्यु की आशंका कम होती है। अगर आप भी ऑफ्टर फिफ्टी साइकिलिंग करने पर विचार कर रही हैं तो कुछ बातों पर पहले गौर करें।
साइकिल चलाने से हृदय गति बढ़ती है। अपने जोड़ों की सुरक्षा के प्रति खास ध्यान रखना होता है। घुटनों की सुरक्षा के लिए पेडल चलाना फायदेमंद होता है। घुटनों को स्थिर करके पेडल चलाने से पैरों को ताकत मिलती है। साइकिलिंग करते समय अपनी पिंडली से जांघ तक देखें कि एक सीधी रेखा दिखाई देती है या नहीं। अगर घुटना अंदर की आसानी से मूड जाता है या बाहर की ओर स्वतः आ जाता है तो इससे आसानी से घुटने सुरक्षित रखे जा सकते हैं। अपनी सीट को पीछे की ओर रखने से घुटनों की गतिशीलता बढ़ती है। जो साइकिल आप चलाने के लिए इस्तेमाल करना चाहती हैं, वह कितनी पुरानी है, यह जांच लें। अगर आप पुरानी साइकिल का इस्तेमाल करती हैं तो किसी पेशेवर से इसकी जांच करा लें और इसको दुरुस्त करवा लें।
अगर आप इलेक्ट्रिक साइकिल का इस्तेमाल कर रही हैं तो इससे बिना पेडल चलाये भी चला सकते हैं। लेकिन इससे ऐरोबिक व्यायाम नहीं होता। अगर आप थके हैं तो इससे आपको काफी मदद मिल सकती है। जो लोग सामाजिक रूप से दूसरों से अलग रह रहे हैं, इस उम्र में उनमें अवसाद की आशंका रहती है। इसलिए फ्रेंड के साथ साइकिलिंग करने से न केवल आत्मविश्वास बढ़ता है बल्कि आप जीवन अच्छी तरह जी सकते हैं। इसके लिए किसी बाइक क्लब को ज्वाइन किया जा सकता है। साइकिलिंग करते समय अपनी शारीरिक क्षमताओं को नजरअंदाज न करें। अपने शरीर की आवाज सुनकर धीरे धीरे अपनी दूरी, प्रयास और गति बढ़ाकर साइकिल चलाने की अपनी कला में सुधार कर सकती हैं। साइकिल चलाते समय संतुलन एक बड़ी समस्या होती है, इसलिए पहले स्थिर बाइक पर प्रैक्टिस करें।
साइकिल चलाते समय सड़क के नियमों का खास ध्यान रखें। अगर दृष्टि कमजोर है तो अतिरिक्त सावधानी बरतें और अपने चश्मे की जांच कराकर सही नंबर लें। कच्चे के रास्तों की बजाय पक्के रास्तों को चुनें। दिन के समय साइकिल चलाये। साइकिल चलाते समय हेलमेट के साथ साथ गहरे रंग के कपड़े पहनें। साइकिलिंग से पहले अतिरिक्त कार्बोहाइड्रेट डाइट लें। इस दौरान आप स्नैक्स भी ले सकते हैं। साइकिलिंग चलाते समय हाइड्रेट रहें। साइकिलिंग करने से पहले अपनी नींद पूरी करें। अगर आप हफ्ते में रोज साइकिल नहीं चलाती तो बीच बीच में आराम करें, क्योंकि थकावट होने पर आपके शारीरिक और मानसिक प्रदर्शन पर बुरा असर होता है और दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका भी रहती है। ...तो देर किस बात की अपने बचपन को फिर से वापस लौटाएं, साइकिल चलाने में न शर्माए, क्योंकि साइकिलिंग में उम्र कोई बाधा नहीं होती, इसकी आप किसी भी उम्र में शुरुआत कर सकते हैं। इ.रि.सें.