जंग पर बनी फिल्में भी हुई सुपर हिट
युद्ध का माहौल दर्शाती फिल्में हों या फिल्मी गीत- दर्शकों के जेहन व जुबान पर चढ़ जाते हैं। बॉर्डर पर तैनात सैनिक युद्धभूमि में हों, घायल हों या अपनों से दूर होने से निराश हों- उनमें जोश भरने, संकल्प दृढ़ करने और उम्मीदें जगाने में फिल्मी कहानियों व गीतों का अहम रोल रहा है। बलिदानी वीरों यानी शहीदों पर बनी ज्यादातर फिल्में सुपर हिट रही हैं।
अमिताभ स.
‘जब अमन की बांसुरी, गूंजे गगन के तले/ जब दोस्ती का दिया, इन सरहदों पे जले/... बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था...’ फिल्म ‘एलओसी कारगिल’ का गीत जंग की बजाय बेशक अमन की राह दिखाता है। लेकिन जंग की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्में और उनके गाने खूब चलते रहे हैं।
जोशीले तराने गुनगुनाने का माहौल
भारत रत्न लता मंगेशकर का भारत-चीन युद्ध के बाद 1963 में गाया ‘ऐ मेरे वतन के लोगो..’ हो, या 1965 की ‘शहीद’ फ़िल्म का अमर गाना ‘मेरा रंग दे बसंती चोला..’ हो, या फिर 1986 में रिलीज़ सुभाष घई की ‘कर्मा’ का गीत ‘दिल दिया है, जान भी देंगे, ऐ वतन तेरे लिए..’ भारत-पाक जंग के मौजूदा माहौल में एक बार फिर हर देशवासी देश प्रेम के जोशीले फ़िल्मी तराने गुनगुनाने लगा है। एआर रहमान का 1997 का ‘मां तुझे सलाम.. वंदे मातरम..’, ‘द लीजेंड ऑफ भगत सिंह’ (2002) का ‘देश मेरे..’, और 2019 की ‘केसरी’ का ‘तेरी मिट्टी..’ भी जोश जगाने के लिए पीछे कहां हैं।
‘संदेशे आते हैं..’
करीब 28 साल पुराना गीत ‘संदेशे आते हैं..’ भी किसी से कम नहीं। गीत निर्देशक जेपी दत्ता की युद्ध शैली पर बनी ‘बॉर्डर’ (1997) फिल्म का है। सनी देओल, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ और अक्षय खन्ना अभिनीत यह फिल्म लोंगेवाला क्षेत्र में भारतीय वीर जवानों के दल की कठिनाइयों को दर्शाती है। गीत ‘संदेशे आते हैं.. ‘असाधारण संवेदनशीलता के साथ रचा गया है। गीत के बोल राष्ट्र के प्रति कर्तव्य निभाते-निभाते परिजनों से दूर होने के दर्द को जाहिर करते हैं।
‘आज गा लो, मुस्कुरा लो..’
ऐसी कई फ़िल्में तो बनी ही युद्ध की पृष्ठभूमि पर हैं। दशकों पहले 1971 की भारत-पाक जंग के अगले साल रिलीज़ निर्देशक रामानंद सागर की ‘ललकार’ में अभिनेता राजेंद्र कुमार और धर्मेंद्र राजन और राम नाम के भाइयों की भूमिका में हैं। उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में जंग में भेजा जाता है। जब एक भाई को मृत मान लिया जाता है, तो दूसरे को गुप्त मिशन पर भेजा जाता है। किशोर कुमार और लता मंगेशकर की आवाज़ों से सजा गीत ‘आज गा लो, मुस्कुरा लो..’ याद दिलाता है कि संघर्ष की घनघोर छाया में भी प्रेम और जीवन कैसे कायम रहता है।
‘जग्गा जितेया ते मिल्लन वधाइयां..’
उधर ‘उरी: द सर्जिकल स्ट्राइक’ फिल्म का ‘जग्गा जितेया ते मिल्लन वधाइयां..’ पारंपरिक देशभक्ति गीत से हट कर है। एक योद्धा का यह गान मातृभूमि की रक्षा के लिए अंदरूनी ज्वाला चरम पर पहुंचाने में कसर नहीं छोड़ता। साल 2019 में रिलीज़ फिल्म 2016 के उरी हमले के लिए जवाबी कार्रवाई के घटनाक्रम का सिनेमाई रूप है। फ़िल्म में अभिनेता विक्की कौशल पाक इलाक़ों पर सर्जिकल स्ट्राइक का नेतृत्व करते काल्पनिक मेजर विहान सिंह शेरगिल के रोल में है।
‘हिंदुस्तान की क़सम’
‘कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियो..’ गीतकार कैफ़ी आज़मी का शब्दबद्ध गाना शहादत की एक अमर कविता है। गीत चेतन आनंद निर्देशित ‘हकीकत’ (1964) फ़िल्म का है। फ़िल्म में धर्मेंद्र ने कैप्टन की भूमिका निभाई है। वह 1962 की चीन- भारत जंग में लड़ते हैं। ‘हिंदुस्तान की क़सम.. न झुकेगा सर वतन का ..’ कैफी आज़मी लिखित और चेतन आनंद निर्देशक जोड़ी की ही एक और पेशकश है। गीत मन्ना डे और मुहम्मद रफ़ी की आवाज़ से सज़ा और मदन मोहन के संगीत से खिला है।
‘जय हिंद की सेना..’
भारतीय सशस्त्र बलों का जश्न मनाता आधुनिक युद्ध गान है -‘जय हिंद की सेना..’। यह चार साल पहले 2021 की फिल्म ‘शेरशाह’ का है। सिद्धार्थ मल्होत्रा और कियारा आडवाणी अभिनीत फिल्म के पीछे वास्तविक जीवन की प्रेरणाओं की भूमिका निभाते हैं कैप्टन विक्रम बत्रा। उनकी कुर्बानी का कारगिल युद्ध में भारत को विजयी बनाने में अहम रोल रहा है। ‘..जब अमन की बांसुरी, गूंजे गगन के तले.../ बस इतना याद रहे, एक साथी और भी था...’ हृदयविदारक ट्रैक गिरे हुए साथियों के लिए एक मार्मिक शोकगीत है फिल्म ‘एलओसी कारगिल’ का। साल 2003 की जेपी दत्ता की क्लासिक फिल्म भारतीय सैनिकों की जंग के दौरान की कहानी है। यह अजय देवगन, संजय दत्त, अभिषेक बच्चन, सैफ अली खान, सुनील शेट्टी और रानी मुखर्जी जैसे कलाकारों की मल्टीस्टारर युद्ध
फिल्म है।
‘कंधों से कंधे मिलते हैं..’
साल 2004 की फरहान अख्तर निर्देशित फिल्म ‘लक्ष्य’ ऐसे युवक की कहानी है, जिसका जीवन एक झटके में भारतीय सेना में शामिल होने के बाद बदल जाता है। फिल्म का ‘कंधों से कंधे मिलते हैं..’ गीत जंग ही नहीं, रोजमर्रा की जिंदगी में भी कर्तव्य को प्रेरित करने में सफल होता है। साल 2023 की फिल्म ‘सैम बहादुर’ में विक्की कौशल ने रौबदार सैम बहादुर की दमदार भूमिका निभाई। ‘..चट्टान से चौड़े, सीनों में तूफ़ान उठाना है, है जोश में सरफ़रोश ’ गीत आगे बढ़ते सैनिकों की हौसला अफ़ज़ाई करता ही है।