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छोटे परमाणु रिएक्टर बदलेंगे ऊर्जा का परिदृश्य

04:00 AM Mar 11, 2025 IST
छोटे परमाणु रिएक्टर बदलेंगे ऊर्जा का परिदृश्य
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भारत में ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है और मॉड्यूलर रिएक्टर इस मांग को पूरा करने में मदद कर सकते हैं। मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास में कुछ चुनौतियां और चिंताएं भी हैं।

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मुकुल व्यास

विश्व में हाल में परमाणु ऊर्जा की तरफ नई दिलचस्पी पैदा हुई है और इसकी मुख्य वजह यह कि विभिन्न देश अपने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर गमन करना चाहते हैं। जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों को हल करने के लिए कई देश परमाणु ऊर्जा को एक स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा स्रोत के रूप में देख रहे हैं। परमाणु ऊर्जा ने पिछले 50 वर्षों में पहले ही लगभग 70 गीगाटन (70 अरब मीट्रिक टन) कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम किया है, और इसका निरंतर विस्तार नेट जीरो इमिशन (हानिकारक उत्सर्जन के उन्मूलन) के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है।
आने वाले समय में एआई सिस्टम के संचालन के लिए निरंतर ऊर्जा आपूर्ति की जरूरत पड़ेगी। पारंपरिक ऊर्जा स्रोत एआई सेक्टर की मांग पूरी नहीं कर सकते। इस समय सिर्फ परमाणु ऊर्जा ही इस जरूरत को पूरा कर सकती है। भारत ने अपने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं, जिसमें नए परमाणु ऊर्जा संयंत्रों का निर्माण और मौजूदा संयंत्रों को अपग्रेड करना शामिल है। दुनिया में अब बड़े परमाणु रिएक्टरों के बजाय छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों का चलन बढ़ रहा है। भारत भी मॉड्यूलर रिएक्टरों के मामले में किसी से पीछे नहीं रहना चाहता।
अभी हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की फ्रांस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आधुनिक परमाणु रिएक्टरों को संयुक्त रूप से विकसित करने की मंशा व्यक्त की, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि ऊर्जा सुरक्षा और कम कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए परमाणु ऊर्जा महत्वपूर्ण है। दोनों देशों ने छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों (एसएमआर) और एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों (एएमआर) के बारे में एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए। भारत और फ्रांस ने इस बात पर जोर दिया कि ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और कम कार्बन अर्थव्यवस्था की ओर गमन के लिए परमाणु ऊर्जा एनर्जी मिक्स (विभिन्न ऊर्जा स्रोत) का एक अनिवार्य हिस्सा है। एसएमआर कॉम्पैक्ट परमाणु विखंडन रिएक्टर हैं जिन्हें कारखानों में निर्मित किया जा सकता है और फिर कहीं और स्थापित किया जा सकता है। वे आम तौर पर पारंपरिक परमाणु रिएक्टरों की तुलना में कम क्षमता वाले होते हैं।
मॉड्यूलर रिएक्टर मॉड्यूलर डिजाइन पर आधारित होता है। यह रिएक्टर छोटे और मॉड्यूलर इकाइयों में बनाया जाता है जिन्हें एक साथ जोड़कर एक बड़ा रिएक्टर बनाया जा सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर छोटे आकार में बनाए जा सकते हैं, जिससे उन्हें आसानी से ट्रांसपोर्ट किया जा सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर की लागत कम होती है, क्योंकि उन्हें मॉड्यूलर इकाइयों में बनाया जाता है। मॉड्यूलर रिएक्टर में पैसिव कूलिंग सिस्टम जैसे कई सुरक्षा उपाय होते हैं। इनकी दक्षता बढ़ाने के लिए कई तकनीकों का उपयोग किया जाता है। स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (एसएमआर) छोटे आकार के रिएक्टर होते हैं जो 10-100 मेगावाट की क्षमता वाले होते हैं।
एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों में उन्नत तकनीक का उपयोग किया जाता है, जैसे कि पैसिव सुरक्षा प्रणाली, उन्नत ईंधन चक्र और उन्नत नियंत्रण प्रणाली। एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों को सेफ्टी के लिए डिजाइन किया जाता है। एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों को लागत की दृष्टि से प्रभावी बनाया जाता है। इंटीग्रल प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर (आईपीडब्ल्यूआर) और हाई-टेम्परेचर गैस-कूल्ड रिएक्टर (एचटीजीआर) एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों के कुछ उदाहरण हैं। आईपीडब्ल्यूआर रिएक्टर एक एकल इकाई में प्रेशराइज्ड वाटर रिएक्टर और टर्बाइन को एकीकृत करते हैं जबकि एचटीजीआर रिएक्टर उच्च तापमान पर काम करते हैं और गैस कूलिंग का उपयोग करते हैं।
नि:संदेह, एडवांस्ड मॉड्यूलर रिएक्टरों का विकास और उपयोग परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो कि सुरक्षित, कुशल और लागत-प्रभावी ऊर्जा उत्पादन की दिशा में एक महत्वपूर्ण योगदान कर सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर का उपयोग विद्युत उत्पादन के अलावा उद्योगों में ऊर्जा उत्पादन के लिए किया जा सकता है। इनका उपयोग विभिन्न चिकित्सा अनुप्रयोगों में भी किया जा सकता है। रेडियो आइसोटोप उत्पादन के लिए छोटे रिएक्टर बहुत उपयोगी होंगे।
भारत का लक्ष्य स्वच्छ ऊर्जा में अपने परिवर्तन के हिस्से के रूप में 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करना है। निजी क्षेत्र की भागीदारी को सक्षम करने के लिए सरकार परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति अधिनियम के लिए नागरिक दायित्व में संशोधन पर भी विचार कर रही है। इस समय परमाणु ऊर्जा संयंत्र भारत की कुल स्थापित बिजली क्षमता 462 गीगावाट का 1.8 प्रतिशत और कुल बिजली उत्पादन का लगभग 3 प्रतिशत योगदान देते हैं। इससे सालाना लगभग 4.1 करोड़ टन कार्बन डाइऑक्साइड की बचत होती है। वर्ष 2022 में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन कार्यालय को सौंपी गई अपनी दीर्घकालिक कम उत्सर्जन विकास रणनीति में भारत ने 2032 तक स्थापित परमाणु क्षमता में तीन गुना वृद्धि का अनुमान लगाया है। सरकार ने एसएमआर के अनुसंधान और विकास के समर्थन करने के लिए 20,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ एक परमाणु ऊर्जा मिशन शुरू करने की योजना की घोषणा की है। पहल के हिस्से के रूप में, भारत 2033 तक कम से कम पांच स्वदेशी रूप से विकसित एसएमआर को चालू करने की योजना बना रहा है।
उल्लेखनीय है कि भारत सरकार ने परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए कई परियोजनाओं को शुरू किया है। देश में मॉड्यूलर रिएक्टर की स्थिति में तेजी से प्रगति हो रही है। मॉड्यूलर रिएक्टर परियोजना में अहमदाबाद में दो, काकरापार में चार, राजस्थान में दो, तमिलनाडु में दो मॉड्यूलर रिएक्टरों का निर्माण किया जा रहा है, जिनकी प्रत्येक की क्षमता 700 मेगावाट होगी। आने वाले वर्षों में कई और परियोजनाएं शुरू की जाएंगी।
भारत में ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है और मॉड्यूलर रिएक्टर इस मांग को पूरा करने में मदद कर सकते हैं। मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास से भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने में आत्मनिर्भर बन सकता है। मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास में कुछ चुनौतियां और चिंताएं भी हैं। परमाणु ऊर्जा को कुछ लोग अक्सर स्वच्छ ऊर्जा स्रोत के रूप में देखते हैं लेकिन इसे पूरी तरह से स्वच्छ नहीं कहा जा सकता। रिएक्टरों के साथ दुर्घटनाओं का खतरा रहता है। इसके अलावा परमाणु अपशिष्ट का प्रबंधन भी बड़ी समस्या है। मॉड्यूलर रिएक्टर के निर्माण और संचालन की लागत अधिक हो सकती है। मॉड्यूलर रिएक्टर के विकास में प्रौद्योगिकी की भी चुनौतियां हैं। रिएक्टर के डिज़ाइन और निर्माण में सटीकता की आवश्यकता होती है।

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लेखक विज्ञान मामलों के जानकार हैं।

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