छोटी-छोटी बातों का बड़ा संसार
शैलजा कौशल
सम्मोहित करते शब्दों, किस्सागोई के साथ-साथ साफगोई और जादुई दृश्यों के सृजन का एक नाम है— रस्किन बॉन्ड। प्रभात सिंह द्वारा अनूदित रस्किन बॉन्ड की आत्मकथा ‘अपनी धुन में’ में उनके जामनगर में बिताए बचपन का विवरण पढ़कर कल्पना में एक नटखट, चटोरे और दुलारे रस्किन की छवि उभर कर आती है। उनकी लेखनी में बुद्धिमत्ता से सराबोर हास्य रस की गहरी झलक है। वे अपनी एंग्लो-इंडियन मां और ब्रिटिश पिता के मधुर प्रेम से गहरे तक प्रभावित हैं। चार खंडों में विभाजित इस आत्मकथा में रस्किन ने जैसे एक पूरे युग को स्याही से उकेर दिया है।
पुस्तक में हर छोटी-छोटी घटना उनके जीवन के उतार-चढ़ाव को इतनी बारीकी से प्रस्तुत करती है कि पाठक उसमें डूब जाता है। कभी वे मसूरी की वादियों में भटकते हैं, तो कभी पिंडारी ग्लेशियर पर ‘नंग-धड़ंग’ धूप सेंकने की याद को शिद्दत से साझा करते हैं।
देहरादून के दिनों को वे गहराई से याद करते हैं — जैसे कैम्ब्रिज हॉल में बच्चों को ट्यूशन पढ़ाना। वे अपनी आत्मकथा में अपनी पहली नावेल ‘ए रूम ऑन द रूफ’ का उल्लेख करते हैं, क्योंकि वह उनके दिल के बेहद करीब है।
रस्किन की भारतीयता किसी भी भारतीय से अधिक गहरी और संवेदनशील है। छोटी-छोटी बातों और विवरणों के प्रति उनका ध्यान सहज, सटीक और सराहनीय है— चाहे वह बावर्ची हो, घर की आया, कोई अनजान बच्चा, कमरे में बजता रेडियो या फिर ‘गोल-मटोल मकान मालकिन’ जैसे विशेषण हों, उनकी लेखनी को यह सब बेहद दिलचस्प बना देते हैं।
प्रकृति — विशेषकर पहाड़ — उन्हें अत्यंत प्रिय हैं। वे राकेश और बीना के अपने दत्तक परिवार के साथ मसूरी के पास लैंडौर में रहते हैं और बालकनी में उतरते बादलों को प्यार से निहारते हैं।
किस्सागोई केवल उनका शगल नहीं है—वे किस्सों के जादूगर हैं। उनके हर वाक्य में एक किस्सा छिपा है, हर शब्द में एक युग सांस लेता है। रस्किन भारतीयता के रंगों में रंगी अपनी बेहद सम्मोहक आत्मकथा कहते हैं— अपनी धुन में।
यह आत्मकथा न केवल एक लेखक के जीवन की कथा है, बल्कि यह एक समय, समाज और संस्कृति का दस्तावेज भी है। रस्किन बॉन्ड की नजर से भारत को देखना, उसकी आत्मा को महसूस करना है। ‘अपनी धुन में’ सिर्फ एक आत्मकथा नहीं, बल्कि साहित्य और जीवन के बीच की उस सूक्ष्म रेखा को शब्दों में पकड़ लेने की कला है। यह पुस्तक स्मृति, संवेदना और सरलता से रची गई एक आत्मीय, प्रभावशाली साहित्यिक यात्रा है।
पुस्तक : रस्किन बॉन्ड : अपनी धुन में अनुवाद : प्रभात सिंह प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन, नयी दिल्ली पृष्ठ : 325 मूल्य : रु. 499.