For the best experience, open
https://m.dainiktribuneonline.com
on your mobile browser.
Advertisement

चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी-समावेशी बनाने का प्रयास

04:00 AM May 24, 2025 IST
चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी समावेशी बनाने का प्रयास
Advertisement

नये वोटर आईडी बनाने का कदम मतदाता सूची की विश्वसनीयता सुदृढ़ करेगा, मतदान प्रक्रिया सुगम बनाएगा और चुनावी धोखाधड़ी रोकने में मदद करेगा। राजनीतिक दृष्टिकोण से, यह आयोग की निष्पक्ष छवि को पुनर्स्थापित कर सकता है तथा विपक्षी दलों की रणनीतियां प्रभावित कर सकता है।

Advertisement

डॉ. जगदीप सिंह

भारत निर्वाचन आयोग ने हाल ही में मतदाता सूची में इलेक्टर्स फोटो आइडेंटिटी कार्ड यानी ईपीआईसी नंबरों की डुप्लिकेशन समस्या को हल करने के लिए नए पहचान पत्र जारी करने का निर्णय लिया है। यह निर्णय लगभग दो दशक पुरानी एक तकनीकी समस्या को संबोधित करता है, जिसमें विभिन्न राज्यों के मतदाताओं को गलती से एक जैसे ईपीआईसी नंबर आवंटित हो गए थे। इसके परिणामस्वरूप मतदान के दौरान भ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई, कुछ मत अमान्य घोषित किए गए, और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न लगने लगे।
ईपीआईसी नंबर, जिसे आमतौर पर वोटर आईडी के रूप में जाना जाता है, भारतीय मतदाताओं की पहचान का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है। यह प्रत्येक मतदाता को मतदाता सूची में एक विशिष्ट पहचान प्रदान करता है, जो निष्पक्ष एवं पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया के लिए आवश्यक है। निर्वाचन आयोग ने इस समस्या के समाधान के लिए नए और अद्वितीय ईपीआईसी नंबरों के साथ मतदाता पहचान पत्र जारी करने का निर्णय लिया है। यह कदम मतदाता डेटाबेस को अद्यतन और त्रुटिरहित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस निर्णय का प्रभाव केवल तकनीकी सुधार तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह भारतीय राजनीति और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को भी सुदृढ़ करेगा।
डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबरों की समस्या ने मतदाता सूची की सटीकता पर गंभीर प्रश्न खड़े किए थे। नए पहचान पत्रों के जारी होने से मतदाता डेटाबेस अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी बन सकेगा, जिससे निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता और कार्यक्षमता को बल मिलेगा तथा मतदाताओं का विश्वास और बढ़ेगा। पूर्व में, डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबरों के कारण कई मतदाताओं को मतदान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, और कुछ मामलों में उनके मत अमान्य कर दिए जाते थे। अब, नए और अद्वितीय ईपीआईसी नंबरों के माध्यम से मतदाताओं को अपनी पहचान सत्यापित करने में सुविधा होगी, जिससे मतदान प्रक्रिया अधिक सुचारु और समावेशी बन सकेगी।
यह निर्णय निर्वाचन आयोग के डिजिटल और तकनीकी आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। डुप्लिकेशन की समस्या को समाप्त करने के लिए डेटाबेस को अद्यतन करने और एक केंद्रीकृत प्रणाली को अपनाने की आवश्यकता थी। यह भविष्य में अन्य तकनीकी सुधारों— जैसे आधार से मतदाता सूची को जोड़ने या बायोमेट्रिक सत्यापन को लागू करने — के लिए आधार प्रदान कर सकता है। साथ ही, यह निर्णय चुनावी धोखाधड़ी, जैसे फर्जी मतदान, को रोकने में सहायक सिद्ध होगा।
ईपीआईसी नंबर डुप्लिकेशन का मुद्दा हाल के महीनों में राजनीतिक विवाद का केंद्र रहा है। तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को उठाकर निर्वाचन आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्न उठाए थे। उनका आरोप था कि अन्य राज्यों के मतदाताओं के ईपीआईसी नंबरों का उपयोग करके फर्जी मतदान किया जा रहा है। इस समस्या के समाधान से आयोग अपनी साख में सुधार ला सकता है और राजनीतिक दलों के बीच विश्वास पुनः स्थापित कर सकता है। हालांकि, कुछ दल इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ उठाने का प्रयास करते रह सकते हैं, लेकिन अब यह मुद्दा पहले की तुलना में कम प्रासंगिक रहेगा।
यह निर्णय मतदाता सूची और संपूर्ण चुनाव प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करता है। इससे राजनीतिक दलों और नागरिक समाज को व्यापक चुनावी सुधारों, जैसे मतदाता सूची का डिजिटलीकरण, पारदर्शी मतदान प्रणाली, और ईवीएम-वीवीपैट की विश्वसनीयता पर विमर्श के लिए प्रेरणा मिल सकती है।
हालांकि यह निर्णय सकारात्मक दिशा में एक बड़ा कदम है, लेकिन इसके प्रभावी क्रियान्वयन में अनेक चुनौतियां होंगी। विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में नए ईपीआईसी कार्डों का वितरण एक जटिल प्रक्रिया हो सकती है। साथ ही, मतदाताओं को नए कार्डों के बारे में जागरूक करना और पुराने कार्डों को अमान्य करने की प्रक्रिया को भी प्रभावी ढंग से लागू करना होगा। भविष्य में, निर्वाचन आयोग को ऐसी समस्याओं से बचने के लिए और अधिक सुदृढ़ तकनीकी समाधानों—जैसे ब्लॉकचेन आधारित मतदाता डेटाबेस या बायोमेट्रिक एकीकरण — पर विचार करना चाहिए। साथ ही, राजनीतिक दलों और नागरिकों के साथ निरंतर संवाद बनाए रखना आवश्यक होगा ताकि चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर कोई संदेह न रहे।
निर्वाचन आयोग द्वारा ईपीआईसी नंबर डुप्लिकेशन समस्या के समाधान हेतु लिया गया निर्णय भारतीय चुनाव व्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक अत्यंत महत्वपूर्ण कदम है। यह कदम मतदाता सूची की विश्वसनीयता को सुदृढ़ करेगा, मतदान प्रक्रिया को सुगम बनाएगा और चुनावी धोखाधड़ी को रोकने में मदद करेगा। राजनीतिक दृष्टिकोण से, यह आयोग की निष्पक्ष छवि को पुनर्स्थापित कर सकता है तथा विपक्षी दलों की रणनीतियों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि, इस निर्णय का पूर्ण प्रभाव इसके प्रभावी कार्यान्वयन और मतदाताओं के बीच जागरूकता पर निर्भर करेगा। यह पहल भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी तथा समावेशी बनाने की दिशा में एक सराहनीय प्रयास है।

Advertisement

लेखक असिस्टेंट प्रोफेसर हैं।

Advertisement
Advertisement