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'चालू वित्त वर्ष में 6.4 से 6.7 प्रतिशत रहेगी आर्थिक वृद्धि दर'

06:00 AM Jul 04, 2025 IST
 चालू वित्त वर्ष में 6 4 से 6 7 प्रतिशत रहेगी आर्थिक वृद्धि दर
Newly elected CII President Rajiv Memani adddressing a Press Conference in New Delhi on Thursday . TRIBUNE PHOTO:MUKESH AGGARWAL
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नयी दिल्ली, 3 जुलाई (एजेंसी)

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मजबूत घरेलू मांग के चलते चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.4 से 6.7 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने ये संभावना जताई। बृहस्पतिवार को सीआईआई के अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के बाद मेमानी ने अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की एक सरल त्रिस्तरीय संरचना की वकालत की। उन्होंने कहा कि जरूरी वस्तुओं को 5 प्रतिशत कर के दायरे में रखा जा सकता है, जबकि विलासिता एवं नुकसानदेह उत्पादों पर 28 प्रतिशत कर लगाया जाए और शेष वस्तुओं को 12-18 प्रतिशत कर के दायरे में रखा जाए। फिलहाल जीएसटी एक चार-स्तरीय कर व्यवस्था है जिसमें 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से कर लगाया जाता है।

मेमानी ने भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में कहा कि अच्छे मानसून का अनुमान और नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) एवं रेपो रेट में कटौती जैसे कारक देश की आर्थिक वृद्धि का समर्थन करेंगे। पिछले महीने भारतीय रिजर्व बैंक ने सीआरआर में एक प्रतिशत कटौती की घोषणा करने के साथ मानक ब्याज दर रेपो में भी 0.50 प्रतिशत की कमी करके इसे 5.50 प्रतिशत कर दिया था। वित्त वर्ष 2025-26 में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर के बारे में पूछे गए सवाल पर मेमानी ने कहा कि हमें भारतीय अर्थव्यवस्था के 6.4 से 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि इस वृद्धि की राह में कुछ स्पष्ट जोखिम हैं जिनमें से कुछ बाहरी व्यापार जोखिमों से भी संबंधित हैं। मेमानी ने कहा कि मुझे लगता है कि उनमें से बहुत से कारकों को तो आकलन में शामिल किया गया है और कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। इसलिए उम्मीद है वे संतुलित हो जाएंगे। उन्होंने एक प्रस्तुति में कहा कि आर्थिक वृद्धि से जुड़े जोखिम समान रूप से संतुलित हैं। सीआईआई के अध्यक्ष ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि के लिए ‘भू-राजनीतिक अनिश्चितता' नकारात्मक जोखिम पैदा करती है जबकि 'मजबूत घरेलू मांग' इसका सकारात्मक पहलू है।

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पेट्रोलियम, बिजली व शराब को जीएसटी के दायरे में लाया जाए

उन्होंने जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाए जाने की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि कम आय वाले तबके के इस्तेमाल वाली वस्तुओं पर कर की दर घटाई जानी चाहिए। उन्होंने सीमेंट पर जीएसटी दर को भी 28 प्रतिशत से कम करने का सुझाव दिया। उन्होंने पेट्रोलियम, बिजली, अचल संपत्ति और शराब को जीएसटी के दायरे में लाए जाने पर एक राष्ट्रीय सहमति बनाने की वकालत की। मेमानी ने कहा कि अगर भारत को उपलब्ध अवसरों का फायदा उठाना है तो उसे अधिक आर्थिक सुधार करने होंगे और कृत्रिम मेधा (एआई) की दौड़ जीतने के अलावा रोजगार पर उसके संभावित प्रभाव से भी निपटना होगा। उन्होंने कहा कि भारत को अधिक रोजगार पैदा करने वाले विनिर्माण को बढ़ाना देने और कारोबारी सुगमता पर लगातार ध्यान देना होगा।

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