चंडीगढ़ के आसपास के फार्म हाउस मालिकों को नोटिस
राजमीत सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 12 मार्च
फार्म हाउस बनाने के लिए जरूरी विनियामक तंत्र को लागू करने के लिए, पंजाब वन विभाग ने चंडीगढ़ के आसपास के करीब 100 फार्म हाउस मालिकों को नोटिस जारी किए हैं। जिन लोगों को नोटिस जारी किये गये हैं, उनमें प्रमुख राजनेताओं और पूर्व आईएएस तथा आईपीएस अधिकारियों सहित कई अमीर और ताकतवर लोग शामिल हैं।
संपत्ति मालिकों को 17 मार्च को इकोटूरिज्म डेवलपमेंट कमेटी (ईडीसी) के सदस्यों के सामने पेश होने के लिए कहते हुए, विभाग ने उनके प्रासंगिक रिकॉर्ड का विवरण मांगा है ताकि यह तय किया जा सके कि इको टूरिज्म पॉलिसी 2019 के अनुसार अनुमति कहां दी जा सकती है।
फार्म हाउस करोरां, नाडा, पड़छ, जयंती माजरी, स्यूंक, नागल, पड़ौल, सुल्तानपुर, सिसवां, माजरा, दुलवां, पलनपुर, मिर्जापुर और तारापुर गांवों में स्थित हैं। उन्हें दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है - वे जो पीएलपीए से हटाए गए क्षेत्रों में बनाये गये हैं और दूसरे वे जो पीएलपीए के तहत आने वाले क्षेत्रों में बनाये गये हैं।
इको-टूरिज्म परियोजनाओं के लिए वनों में और उसके आसपास के क्षेत्रों की पहचान करते समय, विभाग को संबंधित क्षेत्रों की वहन क्षमता सहित वन प्रबंधन योजनाओं को ध्यान में रखना होगा। हालांकि पीएलपीए से हटाए गए क्षेत्रों और पीएलपीए के तहत आने वाले क्षेत्रों में अनुमति दी जा सकती है, लेकिन अंतिम मंजूरी केंद्र द्वारा दी जाती है।
वन संरक्षण अधिनियम, 1980 में 2023 के संशोधन के बाद, स्वीकृत प्रबंधन योजनाओं वाले क्षेत्रों में इकोटूरिज्म गतिविधियों की अनुमति दी जा सकती है। स्वीकृत गतिविधियों में नेचर कैंपिंग, पर्यावरण अनुकूल आवास, ट्रैकिंग और नेचर वॉक, पर्यावरण के अनुकूल वाहनों में वन्यजीवों को देखना, हर्बल इकोटूरिज्म, आगंतुक व्याख्या केंद्र और संरक्षण शिक्षा शामिल हैं।
वन, पर्यटन, स्थानीय सरकार, आवास विभाग के अधिकारियों के अलावा अन्य लोगों से मिलकर बनी ईडीसी को यह देखना होगा कि नीति के तहत दी जाने वाली अनुमतियां पंजाब भूमि संरक्षण (पीएलपीए) अधिनियम, 1900, वन संरक्षण अधिनियम, 1980, भारतीय वन अधिनियम, 1927 और वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1927 के तहत भूमि उपयोग के प्रावधानों के अनुरूप हैं या नहीं।