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गूगल नहीं, डॉक्टर करेगा इलाज

04:05 AM May 14, 2025 IST
गूगल नहीं  डॉक्टर करेगा इलाज
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आजकल लोग हर सवाल का जवाब गूगल पर ढूंढते हैं। यहां तक कि कोई शारीरिक-मानसिक समस्या हो तो तुरंत सर्च बार में क्वेरी टाइप करते हैं। ऐसे में कई बार भ्रामक जानकारी सामने आती है। जिस पर अमल घातक सिद्ध हो सकता है। अगर आशंका हो तो डॉक्टरी सलाह लेकर ही उपचार बेहतर है।

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डॉ. मधुसूदन शर्मा

‘गले में खराश…- कहीं यह कैंसर तो नहीं ?’ ‘सीने में दर्द…-कहीं यह हार्ट अटैक तो नहीं?’ ‘सिर में दर्द बार बार होता है…-ओह यह ब्रेन ट्यूमर का लक्षण तो नहीं?’... इस तरह के सवालों के जवाब जानने के लिए बहुत से लोग गूगल की मदद लेते हैं। सर्च बार में अपने लक्षण टाइप करते हैं। फिर गूगल जो बताता है, उसे पढ़कर स्वयं ही किसी बीमारी का निष्कर्ष निकाल लेते हैं। प्रश्न उठता है कि गूगल पर मिली जानकारी के आधार पर अपनी सेहत के बारे में निर्णय लेना क्या उचित है ? जवाब है - बिल्कुल नहीं। आज के डिजिटल दौर में इंटरनेट हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। कोई भी जानकारी चाहिए तो हम सबसे पहले गूगल पर सर्च करते हैं। निःसंदेह सेहत पर भी लेख ,रिसर्च पेपर ,वीडियो और ब्लॉग्स गूगल पर प्रचुर मात्रा में हैं । लेकिन उनकी सटीकता विश्वसनीय नहीं होती। क्योंकि गूगल एक खास पैटर्न पर लक्षणों का विश्लेषण करता है। उसका ज्ञान सभी व्यक्तियो के लिए एक जैसा होता है। जबकि संसार में हर व्यक्ति अपनी कुछ विशिष्टताएं लिए हुए भिन्न होता है। इसलिये गूगल की मेमोरी में उपस्थित एक जैसी जानकारी प्रत्येक व्यक्ति के लिए एक जैसा ही निर्णय देती है और अक्सर ही भ्रम पैदा करती है। गूगल दो व्यक्तियों में अलग-अलग विश्लेषण करके नहीं देखता। इसलिये परिणाम भ्रामक हो जाते हैं। वह व्यक्ति के लक्षणों का विश्लेषण समग्रता में नहीं करता। जबकि चिकित्सा रोगी के शारीरिक, मानसिक और वातावरण के प्रति उसकी संवेदनशीलता को समझ कर की जाती है। कुछ लोग इंटरनेट पर पढ़कर घरेलू नुस्खे या दवाइयां आजमाने लगते हैं जो उसमस्या को और बढ़ा सकती है।
साइबरकोंड्रिया
ऑन लाइन में बार-बार स्वास्थ्य संबंधी जानकारी खोजने की प्रवृत्ति को साइबरकोंड्रिया कहते हैं। इसमें कुछ लोग इंटरनेट पर स्वास्थ्य संबंधित जानकारी पढ़कर बेवजह बीमारी होने का भ्रम पाल लेते हैं। अक्सर देखा जाता है सामान्य सर्दी-जुकाम को टीबी, सिरदर्द को ब्रेन ट्यूमर और सीने में दर्द को हार्ट अटैक जैसे गंभीर रोग मान बैठते हैं। फलस्वरूप अनावश्यक चिंता और मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं।
ऐसे करें बचाव
जो लोग लगातार अपने लक्षणों, बीमारियों या उपचारों के बारे में इंटरनेट पर खोज करते रहते हैं, उन्हें अपनी ऑन लाइन खोज को सीमित कर देना चाहिए। चिकित्सक के आश्वासन के बावजूद मेडिकल वेबसाइट चेक करते रहना और छोटे लक्षणों को गंभीर बीमारी का लक्षण मानना स्वास्थ्य समस्याओं को और बढ़ा देता है। इंटरनेट पर विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी दोनों ही होती हैं। इसलिए किसी भी भ्रम को दूर करने के लिए चिकित्सक की सलाह लें।
डॉक्टरी उपचार में सटीकता
चिकित्सक के पास वर्षों का अनुभव, और मेडिकल नॉलेज होती है। वे रोगी की प्रॉपर हिस्ट्री, और लक्षणों का विश्लेषण करके सटीक बीमारी का पता लगाते हैं, शारीरिक स्थिति, खानपान और जीवन शैली को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा करते हैं। जबकि इंटरनेट पर प्रत्येक व्यक्ति के लिए बीमारी विशेष में एक ही तरह की सलाह होती है। वह सलाह हर व्यक्ति पर लागू नहीं हो सकती। मान्यता प्राप्त चिकित्सकों और अस्पतालों द्वारा दी गई सलाह वैज्ञानिक शोध और अध्ययन पर आधारित होती है। इसलिए अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए चिकित्सक पर विश्वास करें। हालांकि इंटरनेट का भी कुछ जानकारियों के लिए उपयोग किया जा सकता है जैसे स्वस्थ जीवनशैली, योग व आहार संबंधी सुझाव आदि।
अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ी संपत्ति और संपदा है, इसलिए सेहत की समस्या के लिए किसी योग्य चिकित्सक से ही परामर्श लेना चाहिए। ‘डॉक्टर गूगल’ से मिली जानकारी केवल सामान्य ज्ञान के लिए हो सकती है, लेकिन यह वास्तविक डॉक्टर का स्थान नहीं ले सकती।

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