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गर्मी में शीतलता देता है शवासन

04:05 AM Jun 11, 2025 IST
गर्मी में शीतलता देता है शवासन
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आजकल बिगड़ी जीवनशैली के चलते बड़ी संख्या में लोग तनावग्रस्त हैं, ऐसे में शवासन थकान से मुक्ति दिलाता है। वहीं तनाव-चिंता में राहतकारी है। गर्मियों में इस आसन का खास फायदा है। शरीर तेजी से ऊर्जा खोता है, पसीना आने से डिहाइड्रेशन होता है। ठंडक प्रदान करने का प्राकृतिक तरीका है शवासन। इससे तंत्रिका तंत्र रिलैक्स होता है। यह आसन दिखने में सरल है, प्रभाव में गहरा।

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दिव्यज्योति ‘नंदन’
शवासन योग विज्ञान के कुछ सबसे महत्वपूर्ण योगासनों में से एक है। शवासन का शाब्दिक अर्थ होता है- शव अर्थात मृत शरीर और आसन। शवासन में शरीर को एक मृत शरीर की शिथिल या निष्क्रिय छोड़ दिया जाता है ताकि तन, मन और श्वास को गहराई से आराम मिल सके। यह आसन दिखने में जितना सरल लगता है, प्रभाव में उतना ही गहरा है।

गर्मियों में शवासन का खास महत्व
गर्मियों में शरीर तेजी से ऊर्जा खोता है, मन बेचैन और चिड़चिड़ा हो जाता है। वहीं बहुत ज्यादा पसीना आता है, इसलिए डिहाइड्रेशन और उच्च रक्तचाप के जैसी मानसिक थकान की स्थितियां आम होती हैं। ऐसे में शरीर को ठंडक देने, तनाव कम करने और थकान दूर करने का प्राकृतिक तरीका है शवासन। यह शरीर को फिर से ऊर्जापूर्ण बनाता है व मानसिक संतुलन बनाये रखने में भी मददगार है। गर्मियों में अगर नियमित रूप से शवासन किया जाए, तो यह शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है व मन शांत करता है। गर्मियों में शवासन करने से शरीर तनाव का कम शिकार होता है। इस मौसम में बहुत तेजी से शरीर के अंदर से नमक और पानी निकल जाता है। शरीर को निष्क्रिय छोड़ देने वाले इस आसन से ज्यादा थकान से बच सकते हैं।

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शवासन के अन्य लाभ
यह शरीर को तनाव और चिंता में राहत पहुंचाता है। इससे शरीर का तंत्रिका तंत्र रिलैक्स होता है और यह कोर्टिसोल यानी तनाव पैदा करने वाला हार्मोन के उत्पादन स्तर को कम करने में मदद करता है। नियमित शवासन करने से शरीर की मरम्मत हो जाती है। शरीर की थकी हुई कोशिकाएं शवासन करने के बाद पुनः सक्रिय हो उठती हैं। यह योगासन उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करता है, हार्ट रेट भी सामान्य रहता है।
शवासन, ध्यान मुद्रा की शुरुआती मुद्रा है। इसलिए शवासन करने से व्यक्ति की मानसिक स्पष्टता रहती है तथा उसे ध्यान करने में आसानी होती है। शवासन मांसपेशियों के तनाव को दूर करता है। जिससे शरीर की जकड़न, अकड़न और ऐंठन कम होती है, जिसके नतीजे में थकान भी कम होती है। विशेषकर जो लोग अनिद्रा रोग के शिकार हों, उन्हें नींद की गुणवत्ता सुधारने के लिए यह योगासन करना चाहिए।

शवासन करने की वैज्ञानिक विधि
एक स्वच्छ, शांत और हवादार जगह चुनें। शरीर में खुले-ढीले कपड़े होने चाहिए और पेट लगभग खाली हो। अब शवासन करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल सीधा लेट जाएं। पैरों को थोड़ा फैलाएं, पंजे बाहर की ओर ढीले छोड़ दें। इस दौरान हाथ शरीर से थोड़ी दूरी पर रखें और हथेलियां ऊपर की ओर हों। आंखें बंद करें और धीरे-धीरे पूरे शरीर को ढीला छोड़ दें। सांस को धीमा और सहज कर लें। अब श्वास पर ध्यान केंद्रित करें। लेकिन श्वास को पूरी तरह से नियंत्रित करने की कोशिश न की जाए। शरीर के सभी अंगों को एक एक करके धीरे-धीरे शिथिल करें। पैरों से शुरू करके सिर तक यह अभ्यास क्रमशः होना चाहिए। इस दौरान मन में उठते विचारों को पकड़ने की कतई कोशिश न करें। करीब 5 से 15 मिनट तक इस स्थिति में रहें तो बेहतर है। इसके बाद धीरे से बाहर निकलने की प्रक्रिया अपनाएं। सबसे पहले अपनी अंगुलियों और पंजों को हिलाएं। एक करवट लेकर कुछ सेकेंड दूसरी कवरट में ठहरें और फिर हाथों की मदद से धीरे-धीरे उठें और कुछ देर तक आंखें बंद करके बैठें।

कुछ जरूरी सावधानियां बरतें
शवासन पूरी चेतना में सोने के अभ्यास को दोहराने की प्रक्रिया है। ध्यान है, नींद लेने का कोई तरीका नहीं। कोशिश करें कि आसन करते समय नींद में गाफिल न हों बल्कि खुद को पूरी सजगता और सहजता से नींद का जैसा विश्राम दें। इस समय रीढ़ हमेशा सीधी रखें। लेटते समय अगर शरीर को टेढ़ा, मेढ़ा रखेंगे तो शरीर में कई तरह के खास करके पीठ दर्द हो सकते हैं। अगर शरीर में कमर दर्द हो या पीठ दर्द हो तो तकिये का उपयोग करें। शवासन करने का स्थान शांत व हवादार होना चाहिए। अगर बीमार हों, बेचैन हों तो शवासन अकेले न करें, किसी की देखरेख में ही हो।

योगशास्त्र में शवासन का महत्व
योग विज्ञान में कहा गया है कि शवासन सिर्फ आराम का आसन नहीं है। योगशास्त्र के अनुसार शवासन चेतना की उर्वर अवस्था में प्रवेश करने का माध्यम है। आजकल की भागमभाग वाली जीवनशैली में जहां लगभग सभी लोग तनावग्रस्त हैं और अस्त-व्यस्त दिनचर्या का शिकार हैं, ऐसे में सरल शवासन न सिर्फ शरीर को थकान से मुक्ति दिलाता है बल्कि मानसिक मजबूती देता है। -इ.रि.सें.

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