गठिया से बचाव में मददगार सरल उपाय
गठिया की बीमारी जोड़ों में गंभीर असहनीय दर्द और जकड़न पैदा करती है। शरीर के अलावा इसके कारक मन के तल पर भी मौजूद हैं। ऐसे में इस रोग के समाधान के लिए समग्र उपाय जरूरी हैं। सनातन क्रिया गठिया से बचाव की ऐसी ही सरल तकनीक से लैस है जिसमें कुछ आसन प्रमुख हैं।
अश्विनी गुरुजी
गठिया रोग से पीड़ित अधिकांश रोगी, इलाज के लिए चिकित्सक के पास जाते हैं, किन्तु वह इस बीमारी के मनोदैहिक कारणों से अनजान होते हैं। गठिया वास्तव में, भावनात्मक जमाव का प्रकटीकरण है, जो 27-30 वर्ष के आसपास की आयु के अधिकांश लोगों को ग्रस्त कर लेती है। इस जमाव के कारण जोड़ों में उपस्थित महत्वपूर्ण तरल पदार्थ धीरे-धीरे सूखने लगते हैं। इस तरह जोड़ों में बहुत अधिक घर्षण पैदा होता है, जिससे वह लंबे समय में नाजुक हो जाते हैं। चूंकि समस्या की जड़ भौतिक स्तर के अलावा कई स्तरों पर है, तो उसके समाधान हेतु एक समग्र दृष्टिकोण से कार्य करने की आवश्यकता है।
गठिया के उपचार की बात करें तो सनातन क्रिया, जो मनुष्य अस्तित्व के शारीरिक, भावनात्मक, वित्तीय और आध्यात्मिक स्तर के सभी पहलुओं पर कार्य करती है, गठिया से बचने की सरल तकनीक प्रदान करती है। अपनी पीठ को सीधी रखें, हाथों को भी सीधा रखें, हथेलियों को शरीर के पास फर्श पर रखें और पैरों को आगे की तरफ सीधे रखें। अपनी आंखें बंद रखते हुए यहां बताये जा रहे कुछेक आसनों को करें।
जानू आकर्षण
अपने दाएं घुटने को फर्श पर रखते हुए नीचे की ओर दबाएं। यह 7 की गिनती तक जारी रखें। इसे सात बार दोहराएं। अब बाएं घुटने के साथ यही क्रिया दोहराएं। अंत में दोनों घुटनों को संकुचन करते हुए एक साथ दबाएं और सात बार दोहराएं।
जानू चक्र
अपने दाहिने पैर को इस तरह मोड़ें कि जांघ से सीने को छू सके। अपने दोनों हाथों से जांघ को पकड़ते हुए घुटने से नीचे के पैर को दक्षिणावर्त यानी क्लॉकवाइज और वामावर्त यानी एंटी ब्लॉकवाइज दिशा में प्रत्येक सात सात बार घुमाएं। पैरों को घुमाते समय, आधा चक्र श्वास भरते हुए और दूसरा आधा चक्र श्वास छोड़ते हुए करें। धीरे से पैर नीचे लाएं। बाएं पैर से यही क्रिया दोहराएं।
जानू नमन
अपनी कोहनियों को जमीन पर रखें और पीठ को सीधा रखते हुए, थोड़ा पीछे की तरफ मुड़ें। अब, अपने दाहिने पैर को इस तरह मोड़ें कि घुटने से छाती को छू पाएं। इसे 7 की गिनती तक करें। फिर पैर को आगे ले जाते हुए, फर्श से 60 डिग्री के कोण रखते हुए, पैर को पुरा खोल दें। यह सात बार करें। अब बाएं पैर के साथ और फिर दोनों पैरों के साथ यही आसन दोहराएं।
अंत में, शव आसन में लेट जाएं। अपनी जागरूकता को एक-एक करके, शरीर के सभी जोड़ों पर ले जाएं; उन्हें अपनी चेतना से
मजबूत करे। शरीर के जो भी हिस्से ज्यादा कमजोर हैं, उन पर थोड़ा अधिक समय रुकें। आयुर्वेद के अनुसार जोड़ों को मजबूत और स्वस्थ रखने के लिए, तिल और नीम या दालचीनी के तेल से, शरीर की नियमित मालिश करें।