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खूब खाओ जी पर साधु भी भूखा न रहे

04:00 AM Mar 28, 2025 IST
खूब खाओ जी पर साधु भी भूखा न रहे
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अशोक गौतम

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सरकार जी! जब भी मैं बहुत परेशान हो जाता हूं तो आपको चिट्ठी लिख देता हूं ताकि मुझे भी लगे कि मैंने भी अपना रोना किसी के आगे रो दिया। मेरे बच्चे ऑफिशियल प्रोसीजर का पालन करते मेरी बीवी के सामने अपना रोना रोते हैं। मेरी बीवी थ्रू प्रापर चैनल उनका रोना मेरे आगे रखती है। वह भी रोती है, पर कभी कहती नहीं। चपरासी भोलाराम की बीवी है न सरकार जी! उसने लोकतंत्र में रोने को स्वीकार कर लिया है। और मैं अपना रोना थ्रू प्रापर चैनल पहले आपके समक्ष रखता हूं, बाद में अपने भगवान के आगे। क्योंकि मुझे भगवान से पावरफुल आप लगते हो सरकार जी! यहां किसी की सुनता ही कौन है सरकार जी! सब अपने-अपने में बहरे हैं। लगता है भगवान ने जो कान हमारे सुनने को लगाए थे, वे सब अब बाधित हो गए हैं। बस, बची जुबान, सो चलाए रहते हैं।
सरकार जी! आपने अपना वेतन बेक डेट से बढ़ाया, बधाई हो जी!! आपने अपने भत्ते बढ़ाए, बधाई हो जी! आपको इसका एरियर भी मिलेगा, बधाई हो जी! आपने अपना दैनिक भत्ता, बढ़ाया बधाई हो जी! आपने अपना तो वेतन बढ़ाया ही बढ़ाया, अपने पास अपने कंप्यूटर का काम करने वाले को भी तार दिया, बधाई हो जी! सब कुछ पेपरलेस करने की कवायद करने वाले आपजी ने हर महीने जनता के काम करने के लिए प्रयोग होने वाले कागज स्याही का भुगतान भी बढ़ाया, बधाई हो जी! आपने पहले ही देश को चरा चुके अपने बंधु-बांधवों की पेंशन भी बढ़ाई, बधाई हो सरकार जी। खुद टिकाऊ न होने के बाद भी जनाब जी अपने लिए पहले से महंगा टिकाऊ कुर्सी मेज ले सकेंगे, बधाई हो सरकार जी। हम जनता तंगियों में रहें तो रहें, पर हम सबकी हरदम ये दिली इच्छा रहती है कि आप तंगी में सोए सोए भी न रहें सरकारी जी!
सरकार जी! बुरा मत मानिएगा जो सच कह रहा होऊं! जो आप अपनी पगार न भी बढ़ाएं तो भी आपके पास कमाने खाने के परोक्ष हजारों साधन संसाधन हैं, पर मेरे जैसों के पास तो सब खाने ही खाने वाले हैं। कमाकर देने वाला एक भी नहीं। माना, मैं तो चार चपातियों से दो पर आ गया हूं, पर मेरे पास मेरा भरापूरा परिवार खाने वाला है रिश्तेदार खाने वाले हैं। यार दोस्त खाने वाले हैं।
सरकार जी! महंगाई सिर से ऊपर हो जाने के बाद भी दो साल से डीए तो मिला नहीं, पर मेरा बचा एरियर भी आजतक नहीं मिला। मेरे से बाद वालों को मिल गया। मेरी ही रोटी में से मेरे ही आगे कभी कभार एक टुकड़ा तोड़ कर फेंका जा रहा है।
एक बार फिर आपसे गुजारिश है कि आप मेरा बचा एरियर मेरे जीते जी एकमुश्त देने की कृपा करें ताकि मुझे लगे कि किसी से तो मेरा लेन देन जिंदा रहते खत्म हुआ। शेषों, अवशेषों के साथ हिसाब किताब तो मरने के बाद भी चलते रहेंगे सरकार जी!

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