खुद को पेश करने की कला से कामयाबी
बेहतर अवसर यानी पसंदीदा नौकरी का विकल्प संघर्ष से हासिल होता है। ऐसे में जरूरी है कि खुद को पेश करने यानी सेल्फ प्रेजेंटेशन की कला में स्मार्ट हुआ जाए। ताकि पहली ही मुलाकात में हमारा व्यक्तित्व आकर्षक और प्रभावशाली साबित हो। कामयाबी पाने के लिए हमें स्मार्ट और ऊर्जावान बनना होगा। इसके साथ ही शिष्टाचार, मेकअप व लीडरशिप के गुण भी शामिल करें।
कीर्तिशेखर
ज्ञा न के साथ-साथ खुद को पेश करने की कला यानी सेल्फ प्रेजेंटेशन भी सफल कैरियर का अभिन्न हिस्सा बन गया है। समय-समय पर हुए सर्वेक्षणों के आंकड़े भी इस ओर इशारा करते हैं कि बेहतर नौकरी पाने के लिए तकनीकी कुशलता का महज 15 फीसदी योगदान होता है जबकि बचा हुआ 85 फीसदी सामाजिक और व्यावसायिक सलीके से होता है। यही वजह है कि हमें डिग्रियों या तकनीकी कुशलता के साथ ही व्यावहारिक ज्ञान पर विशेषतौर पर फोकस करना चाहिए। इसके अलावा खुद को पेश करने की उस कला में भी पारंगत होना होगा।
व्यक्तित्व का करें विकास
यूं तो आज बाजार में बेहतर से बेहतर अवसरों के विकल्प मौजूद हैं। नौकरी पाने वालों के लिए भी और नौकरी देने वालों के लिए भी। शायद नौकरी देने वालों के लिए विकल्प बड़ी तादाद में उपलब्ध हैं और नौकरी करने वालों के सामने विकल्प संघर्ष का विषय है। सवाल है ऐसे में क्या किया जाए? यहां भी जवाब है कि खुद को पेश करने की कला में स्मार्ट हुआ जाए। ताकि हम पहली ही मुलाकात में अपने व्यक्तित्व के मामले में आकर्षक और अपनी ओर ध्यान खींचने वाले साबित हो सकें। नौकरी हासिल करने के संघर्ष के दौरान अपने गुड लुकिंग, स्मार्ट और ऊर्जावान होने के साथ-साथ हम शिष्टाचार, मेकअप व लीडरशिप को भी शामिल करें।
खुद में विकसित करें गुणों को
जब तक हम ज्ञान और जरूरी जानकारियां हासिल नहीं कर लेते तब तक लीडरशिप नहीं निभा सकते। आत्मविश्वास तभी आता है, जब हम ज्ञान से लबरेज हों। भविष्य बनाने के लिए जानना बहुत जरूरी है कि स्कूल, समाज, पार्टी और फिर व्यावसायिक व्यवस्था में कैसे व्यवहार करना चाहिए? आत्मविश्वास, शिष्टाचार,सज्जा-शृंगार, टेबल मैनर्स, बॉडी लैंग्वेज में सुधार, बातचीत का सलीका, उच्चारण का प्रशिक्षण, क्रोध प्रबंधन, साथियों का दबाव, स्ट्रेस मैनेजमेंट, डाइनिंग एटिकेट्स, सोशल मैनर्स, आत्मसम्मान में वृद्धि, भावनात्मक जागरूकता आदि कुछ ऐसे विषय हैं जो आज की दुनिया में काफी महत्वपूर्ण हैं। व्यक्तित्व आपके लिए कई दरवाजे खोल देता है।
खुद का मूल्यांकन, फिर पहल
खुद को पेश करने की कला में पारंगत होने के लिए सबसे पहले जानें कि कमी कहां है? क्या अभी अपने कैरियर के लिए तड़का लगाना बाकी है? सामान्यतः लोग अकसर अपनी शुरुआत से संतुष्ट नहीं होते। दरअसल, उनके दिमाग में सवाल कौंधता है कि कहीं लोग उनका मजाक तो नहीं उड़ाएंगे?
आत्मविश्वास की डगर
अगर आप सफलता के लिए प्रयासरत हैं तो शुरुआती दिनों में आपके आइडियाज पर लोग हंसेंगे, उनका मजाक बनाएंगे, नकार देंगे। इसका मतलब यह नहीं है कि आप असफल हैं। असल में आपमें वो काबिलियत है, जिसे लोग उभरने नहीं देना चाहते। लोग आपके आइडिया पर हंस रहे हैं तो उसे अमलीजामा पहना दें।
खुद की मार्केटिंग
कहते हैं कि आजकल पैसा कमाना सबसे आसान है। वहीं ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो ये कहते हैं कि अब पैसा कमाने सबसे मुश्किल है।दोनों ही बातें सही हैं। अगर आप खुद को प्रेजेंट नहीं कर सकते तो जाहिर है आप पैसा नहीं कमा सकते। दरअसल खुद को मार्केट करना सबसे जरूरी है।
जैसी प्रस्तुति, वैसी कामयाबी
माना जाता है जो प्रोडक्ट विज्ञापन की दुनिया से बाहर हो जाता है, उसकी बिक्री में खासी कमी आ जाती है। ठीक यही रूल अपने सफल जीवन के लिए भी अहम है। खुद को पेश करना एक कला है। इस कला में पारंगत होना बहुत जरूरी है। लेकिन इसके लिए यह न सोचें कि ‘फर्स्ट इम्प्रेशन इज लास्ट इम्प्रेशन’ इस तरह के नियमों पर विश्वास न करें। बाजार में ऐसे लोगों की कमी नहीं है जो धीरे-धीरे दूसरों के सामने अपनी परत-दर -परत खोलते हैं। बहरहाल असली मुद्दा यह है कि आप खुद को जैसे पेश करेंगे, वैसी ही सफलता आपकी राह ताक रही होगी। खुद को पेश करना सीख गए तो समझें कैरियर में गर्मागर्म तड़का लग चुका है। -इ.रि.सें.