क्रिकेट से बड़ा बेचने और कमाने का खेल
विडंबना यह है कि लाभ-लोलुप कंपनियों और विज्ञापन की दुनिया के लिए, नाटकबाजी का हर हिस्सा अपना माल बेचने और पैसा कमाने का मौका है। किसी को कोई शिकायत नहीं है, निश्चित रूप से इन दोनों मुख्य पात्रों को तो कतई नहीं!
प्रदीप मैगज़ीन
ये मेरे भ्रमित मन द्वारा किए गए स्वीकारोक्तिपूर्ण उद्गार हैं, जिसकी वजह है भ्रम के समुद्र में गोते लगा रहा भटका मन, जो अपने आप में एक क्रिकेट लीग को समझने की कोशिश कर रहा है, वह जिसकी दुनिया दीवानी है। मेरी इंद्रियों पर यह हमला अंतहीन है। जब बिल्ली के पंजे जैसी नफासत न होकर क्रूर ताकत से लगाए चौकों-छक्कों की बौछार होते देखता हूं, तो दिमाग चकरा जाता है, प्रतिक्रिया करने में असमर्थ हो जाता है। एकरसता की धुंध छा जाती है। यदि आपने स्टेडियम में कोई मैच देखा है, तो यह सब स्वयं महसूस किया होगा।
तो क्या मैं बूढ़ा हो चला हूं? क्या मैंने वह संवेदी बोध खो दिया है, वह जिससे दिल की धड़कन तेज और रंगों में उत्तेजना दौड़ने लगती है। वह खुमार जो शरीर और मन को जश्न मनाने वाली भीड़ में एक होने को उकसाता है? बेवकूफ, बेवकूफ, बेवकूफ... मेरे कानों में अक्सर गूंजता है। मैं चौंक कर उठता हूं और दुखी महसूस करता हूं। धीरे-धीरे समझ में आता है कि ये झिड़कियां मेरे लिए नहीं हैं। ये शब्द टीवी पर हर कहीं सुनाई देते हैं, जब आईपीएल के मैच मैदान पर और स्क्रीन के सामने डटे दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर रहे होते हैं। ये प्रसिद्ध शब्द किसने कहे थे! मन मोहने वाले ऋषभ पंत ने या महान सुनील गावस्कर ने? करोड़ों लोग हर शाम लगातार तीन बार ये शब्द चिल्लाते हुए पंत का खेल देखते हैं, जबकि गावस्कर, जिन्हें साथी कमेंटेटर प्यार से ‘सनी जी’ संबोधित करते हैं, उनके रुतबे के अनुरूप अधिमान न देकर उनके साथ धोखा किया जा रहा है।
एक ऑनलाइन ट्रैवल बुकिंग प्लेटफॉर्म के लिए किए जा रहे विज्ञापन का दृश्य है कि पंत गावस्कर को उनकी गलती का अहसास कराते हैं, और स्वाभाविक रूप से गावस्कर इस मदद के लिए पंत के आभारी हो रहे हैं। यह विज्ञापन तभी बेहतर समझ में आ सकता है जब आप इन शब्दों के ‘क्रिकेटिंग’ इतिहास और इन दोनों के साथ इसके संबंध को जानते हों। इसके लिए हाल ही में संपन्न भारत-ऑस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज़ में लौटना होगा, जब एक टेस्ट मैच में पंत मैच के अत्यंत महत्वपूर्ण चरण में एक भयानक शॉट पर आउट हो गए और ऑस्ट्रेलियाई दर्शकों से बतियाने में लगे ‘सनी जी’ इतने क्रोधित हो गए कि वे गुस्से में उठ खड़े हुए और पूरी गंभीरता से चिल्लाए : 'बेवकूफ, बेवकूफ, बेवकूफ'। गावस्कर द्वारा इन कड़े शब्दों में अपनी नाराजगी व्यक्त करने वाला यह सीन वायरल हो गया और अधिकांश भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों की नजरों में पंत एक खलनायक बन गए।
विडंबना यह है कि लाभ-लोलुप कंपनियों और विज्ञापन की दुनिया के लिए, नाटकबाजी का हर हिस्सा अपना माल बेचने और पैसा कमाने का मौका है। किसी को कोई शिकायत नहीं है, निश्चित रूप से इन दोनों मुख्य पात्रों को तो कतई नहीं! इसलिए, जहां आप अपने पसंदीदा क्रिकेटर को सफेद चमड़े की गेंद को धुनते हुए देखते हैं वहीं पंत और गावस्कर को एक-दूसरे को गले लगाते हुए देखने का यह सुखद दृश्य मुस्कुराने और सहज होने का पल है, इससे पहले कि पूर्व की भांति आप लाइव मैच के एक्शन में फिर से खो जाएं। क्या मैं आवश्यक रूप से रूखा, असभ्य और मतलबी हो रहा हूं या फिर पूरी तरह एक बेवकूफ़ हूं? मैं पूरी दुनिया की तरह इस बात पर बहस क्यों नहीं पड़ रहा कि अब तक टूर्नामेंट का सबसे बढ़िया खिलाड़ी कौन है— श्रेयस अय्यर, रजत पाटीदार, अश्विनी कुमार, मोहम्मद सिराज, गायकवाड़, निकोलस पूरण, जोस बटलर, साई सुदर्शन, ट्रैविस हेड, नूर अहमद, मिशेल स्टार्क, जोश हेज़लवुड या कोई और? इस पर भी चर्चा नहीं करता कि भारतीय क्रिकेट के दो मुख्य हीरे, रोहित शर्मा और विराट कोहली ने इतनी धीमी शुरुआत क्यों की और हमारे बहुत प्यारे एमएस धोनी का लीग में क्या भविष्य है?
ओह हां, धोनी। क्या कभी भारत या दुनिया ने उनसे अधिक व्यावहारिक, लगभग निर्लिप्त खिलाड़ी देखा है? मुझे लगता नहीं। उनके स्वभाव को उनकी अभूतपूर्व उपलब्धियों के साथ मिलाएं तो आपको टूर्नामेंट की शोभा बढ़ाने वाला एक असली सुपरस्टार मिल जाएगा। तो क्या हुआ अगर वे 43 साल के हैं। उम्र सिर्फ़ एक संख्या है और धोनी जैसे खिलाड़ियों के लिए, उसकी ऊर्जा प्रशंसकों की फौज की वफ़ादारी और टीम मालिकों के समर्थन से आती है, जिनके लिए खिलाड़ी खेल रहे होते हैं। अगर धोनी का उनके लिए खेलना व्यावसायिक रूप से बेहतर है, तो हम कौन होते हैं शिकायत करने के लिए। आखिरकार, भारत कोई चेन्नई सुपर किंग तो है नहीं और न ही चेन्नई सुपर किंग भारत है। वे राष्ट्र के प्रति जवाबदेह नहीं हैं और न ही राष्ट्र जानना चाहता है।
मुझे एक विज्ञापन में उनका अभिनय बहुत भाया, जहां वे उपभोक्ता वस्तु बेचते हुए कहते हैं ‘आज भी और कल भी’, बहुत प्यारा। यह पूछे जाने पर कि क्या इसका मतलब लगाया जाए कि वे आगे भी खेलते रहेंगे, इस पर रहस्यमय ढंग से मुस्कुराते हैं और जवाब देते हैं, ‘मैं उत्पाद के बारे में बात कर रहा हूं, अपने बारे में नहीं’। वे जहां कहीं भी खेलने जाते हैं, चाहे घर पर हो या बाहर, पीले रंग की टी-शर्ट पहने जनसमूह उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है। जो उन्माद वे पैदा करते हैं वह व्यक्ति के प्रति दीवानगी भरा है। यह हुजूम भाड़े का नहीं होता और यह इस देश के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के लिए भी ईर्ष्या का बायस हो सकता है। वे पूरी शाम उनकी बारी आने का इंतज़ार करते हैं। हर विकेट का गिरना, जो उनके बल्लेबाजी क्रम को छोटा करता है, प्रशंसकों के लिए बल्कि जश्न मनाने की वजह होता है। वे मैदान में उनके प्रवेश, निकास और यहां तक कि विफलता का भी जश्न मनाते हैं, क्योंकि अवसर सदा अगली बार भी है।
अगर आपके लिए यह सब समझ से परे है, तो एक बार स्टेडियम जाकर उन्माद से आवेशित हजारों लोगों के हुजूम का हिस्सा बनकर देख लें। यह उस परमाणु ऊर्जा की तरह है जो पहाड़ों को हिला सकती है, और अगर फट जाए तो यह पूरी दुनिया में आग लगा सकती है। जी हां, है तो डरावना, लेकिन फिर भीड़ ऐसी ही दिखती है। स्टैंड से मैच देखना नम्र लोगों के लिए नहीं बना। लेकिन चिंता न करें। चलिए अपनी घबराहट को शांत करने के लिए, आप आमिर खान और रणबीर कपूर के साथ मिलकर परफेक्ट ड्रीम-11 ऑनलाइन बना सकते हैं, जो आपको लाखों कमाने में भी मदद कर सकती है, भले ही अधिकांश अनुभव यह हो कि यह अक्सर आपके पर्स को हल्का करती है। तो क्या हुआ, आप हमेशा कोशिश कर सकते हैं। ‘मेरे सर्कल में शामिल हों’, यह सब एक उद्देश्य के लिए है : ब्रांड आईपीएल।
‘नॉट क्वाइट क्रिकेट’ और ‘नॉट जस्ट क्रिकेट’ नामक किताबें लेखक की रचना हैं।